अपने एक पारिवारिक मित्र प्रकाश के बरेली स्थित घर पर हरिवंश राय बच्चन (harivansh rai bachchan) की तेजी (teji bachchan) से मुलाकात हुई थी। तेजी सूरी के पिता बैरिस्टर थे। उनका नाम सरदार खजान सिंह (ardar khajan singh) था, वो सिख धर्म को मानने वाले थे। उनके पुरखों का मकान रावलपिंडी के कल्लर में था। सरदार खजान सिंह ने दो शादियां की थीं। पहली पत्नी से एक बेटी हुई थी और दूसरी से तीन। चारों बेटियों में तेजी सबसे छोटी थीं। इंग्लैंड से बैरिस्टर बनने के बाद अपने देश वापस लौटकर सरदार खजान सिंह ने काफी दिनों तक लायलपुर ( वर्तमान नाम फैसलाबाद अब पाकिस्तान में) में वकालत की थी। तेजीजी वहीं पैदा हुई थीं। सरदार खजान सिंह बाद में पटियाला आकर उस राज्य के राजस्व मंत्री हुए। रिटायर होने के बाद वह लाहौर चले गए। पढ़ाई-लिखाई खत्म करके जब तेजी सूरी फतेहचंद कालेज में नौकरी करने लगीं। उस वक्त खजान सिंह सिंघ के मीरपुर में रह रहे थे।

हरिवंश राय संकोच में पड़ गए

हरिवंश राय बच्चन के मन में तेजी जी को लेकर थोड़ी दुविधा भी थी। बरेली के चार दिन उन दोनों के ही एक-दूसरे को जानने-समझने में बीते। अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति करते-करते तेजी के आभिजात्य पारिवारिक समृद्धि से भी वो परिचित हुए। यही उनके लिए चिंता और दुविधा का विषय बन गया। वह बार-बार यही समझने की कोशिश कर रहे थे कि तेजी की आधुनिक जीवन शैली के साथ उनके निम्न मध्यवर्गीय, अभावों से भरे जीवन का तालमेल बैठ पाएगा या नहीं। खैर, तेजी जी ने कहा ‘मैंने तो अपनी ओर से आपको अपना लिया है। अब जैसी आपकी इच्छा।’ चार दिनों में ही तेजी सूरी और हरिवंश राय बच्चन ने एक-दूसरे से शादी करने का इरादा पक्का कर लिया। तेजी के लिए लाहौर वापस जाना जरूरी था और बच्चनजी को इलाहाबाद। करीब पंद्रह दिनों के बाद हमेशा के लिए एक साथ रहने हेतु तेजीजी ने इलाहाबाद चले आने का वादा कर लिया। उन्होंने अपना काफी कुछ सामान भी बच्चनजी के साथ इलाहाबाद भिजवा दिया। बरेली से लाहौर पहुंचकर, वहां की नौकरी से इस्तीफा देकर, इलाहाबाद लौटने में उन्हें पंद्रह दिन भी नहीं लगे थे।

इलाहाबाद के जिलाधिकारी डिक्सन साहब के बंगले में 24 जनवरी, 1942 की सुबह दस बजे रजिस्ट्री से उनकी शादी हो गई। बच्चनजी की ओर से उनके छोटे भाई शालिग्राम ने और जीजी की ओर से प्रकाश ने गवाह के रूप में दस्तखत किए। डिक्सन साहब ने ईश्वर को साक्ष्य बनाकर कहा था- ‘मैं आप दोनों को पति-पत्नी के रूप में मंजूरी देता हूँ।’ उनकी शादी में कुल आठ सौ रुपए खर्च हुए थे। बच्चनजी को यह बात अभी तक याद है। उन्होंने चार सौ रुपए खर्च किए थे, और चार सौ रुपए तेजीजी ने।

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