शुभ मुहूर्त और व्रत पर्व

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*⛅दिनांक – 06 जनवरी 2025*

*⛅दिन – सोमवार*

*⛅विक्रम संवत् – 2081*

*⛅अयन – दक्षिणायन*

*⛅ऋतु – शिशिर*

*⛅मास – पौष*

*⛅पक्ष – शुक्ल*

*⛅तिथि – सप्तमी शाम 06:23 तक, तत्पश्चात अष्टमी*

*⛅नक्षत्र – उत्तर भाद्रपद शाम 07:00 तक तत्पश्चात रेवती*

*⛅योग – परिघ रात्रि 02:05 जनवरी 07 तक, तत्पश्चात शिव*

*⛅राहु काल – प्रातः 08:43 से प्रातः 10:04 तक*

*⛅सूर्योदय – 07:25*

*⛅सूर्यास्त – 06:04*

*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*

*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:36 से 06:29 तक*

*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:24 से दोपहर 01:07 तक*

*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:19 जनवरी 07 से रात्रि 01:12 जनवरी 07 तक*

*⛅व्रत पर्व विवरण – श्री गुरु गोविंदसिंहजी जयंती*

*⛅विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है व शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹प्राकृतिक नियमों का करें पालन, बना रहेगा स्वस्थ जीवन (भाग-१)*

*🔸प्राकृतिक नियमों का पालन करने से शरीर, मन, बुद्धि का विकास तथा स्वास्थ्य की रक्षा सहज में होती है और उनकी उपेक्षा करने से अनेक समस्याओं में उलझते-जूझते जीवन का ह्रास हो जाता है ।

ध्यान रखने योग्य कुछ उपयोगी बातें :*

🔸१] संतुलित भोजन : कई विद्यार्थी भोजन में केवल पसंदीदा खाद्य पदार्थ लेते रहते हैं लेकिन तन-मन-बुद्धि  के विकास के लिए भोजन संतुलित व पोषक तत्त्वों से युक्त होना चाहिए । इसलिए विद्यार्थियों को यथासम्भव फल, सब्जियों तथा षडरस युक्त आहार लेना चाहिए । प्रोटीन शरीर-वृद्धिकारक व शक्तिप्रद हैं । अत: बच्चों के लिए दूध, छिलकेवाली दालें, शकरकंद आदि प्रोटीनयुक्त आहार विशेष सेवनिय है । सर्दियों में पर्याप्त मात्रा में एवं अन्य दिनों में अल्प मात्रा में सूखे मेवे ले सकते हैं । स्मृतिशक्ति-वृद्धि हेतु फॉस्फोरस की अधिकतावाले फल जैसे – अंजीर, बादाम, अखरोट, अंगूर, संतरा, सेब आदि का सेवन उत्तम है।

२] शारीरिक कसरत : व्यायाम व योगासन से शरीरवृद्धि तेजी से होती है तथा मानसिक व बौद्धिक विकास में भी मदद होती है । सूर्यनमस्कार, दौड़, कबड्डी, कुश्ती आदि खेलों से बच्चों को शारीरिक लाभ के साथ आपसी सहयोग, सफलता-असफलता को स्वीकार करने की वृत्ति, एकाग्रता, तन्मयता आदि के विकास का भी सुअवसर मिलता है।

३] पढ़ाई के बीच में विश्रांति : निरंतर अधिक समय तक पढ़ने से थकान व उबान का अनुभव होता है। अत: बीच-बीच में खड़े होकर पंजों के बल कूदना, पानी पीना, थोड़ी देर खुले में (जैसे छत पर) घूम के आना, देव-मानव हास्य प्रयोग करना तथा थोड़ी देर श्वासोच्छ्वास में भगवन्नाम जप अर्थात श्वास अंदर जाय तो ‘ॐ’ बाहर आये तो ‘१’ …. श्वास अंदर जाय तो ‘आनंद’ बाहर आये तो ‘२’… श्वास अंदर जाय तो ‘शांति’ व सर्तकतापूर्वक एवं हिले बिना श्वासोच्छ्वास की गिनती करनी चाहिए।

इससे एकाग्रता एवं सोचने-समझने, ग्रहण करने व याद रखने की क्षमता बढ़ेगी तथा शांति, सुख व प्रसन्नता के साथ स्वास्थ-लाभ भी मिलेगा।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here