youtube: सौरभ भारद्वाज ने शुरू किया अपना YouTube चैनल
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
youtube: दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन एक हार ऐसी रही, जिसने खुद हारने वाले को भी चौंका दिया। यह हार इतनी गहरी थी कि संबंधित नेता ने खुद को ‘बेरोजगार’ घोषित कर दिया और अब राजनीति से यू-टर्न लेकर YouTuber बन गए। हम बात कर रहे हैं आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज की, जिन्होंने अपनी नई पहचान ‘बेरोजगार नेता’ के रूप में खुद ही तय कर ली है।
बेरोजगार नेता का नया सफर
सौरभ भारद्वाज ने चुनावी नतीजों के बाद अपना एक नया YouTube चैनल लॉन्च किया, जिसका नाम रखा – बेरोजगार नेता। अब इसे आत्म-स्वीकृति कहें या आत्म-व्यंग्य, लेकिन यह पहल चर्चा में जरूर आ गई है। हार के बाद सन्नाटे में जाने के बजाय उन्होंने कैमरे के सामने आने का रास्ता चुना और डिजिटल दुनिया में खुद को व्यस्त कर लिया।
वेब स्टोरीज
चुनावी ‘कन्फ्यूजन‘ और ‘एकतरफा‘ नतीजे
भारद्वाज को चुनावी हार का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था। उनकी मानें तो उन्हें तो चुनाव के दिन भी यह यकीन था कि जीत पक्की है। उनकी कहानी सुनकर लगता है कि जनता ने उन्हें इतना भरोसा दिलाया था कि वे निश्चिंत होकर सोने चले गए और जब जागे तो नतीजे बदल चुके थे। मोहल्लों में घूमते हुए लोग उन्हें रोककर कहते थे – “अरे, सौरभ जी, आप क्यों प्रचार कर रहे हैं? आप तो जीत चुके हैं!” लेकिन जब नतीजे आए, तो जनता की यह ‘सहानुभूति’ अचानक गायब हो गई।
सन्नाटे के बाद ‘सृजन‘
भारद्वाज ने एक दिलचस्प किस्सा साझा किया कि जब एक मंत्री हार जाता है, तो उसके घर का माहौल बदल जाता है। पहले जहां घर के दरवाजे पर भीड़ लगी रहती थी, वहीं हार के बाद दरवाजे पर सन्नाटा पसर जाता है। हालांकि, भारद्वाज ने इस सन्नाटे को क्रिएटिविटी में बदलने का रास्ता खोज लिया। शायद यही वजह है कि अब वह YouTube पर अपना नया सफर शुरू कर चुके हैं।

राजनीति से डिजिटल प्लेटफॉर्म की ओर
भारद्वाज का कहना है कि उन्होंने इस सच्चाई को जल्द ही स्वीकार कर लिया कि जनता ने उन्हें ‘आराम’ देने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद उन्होंने खुद को व्यस्त रखने के लिए नया रास्ता चुना – कैमरा, माइक और YouTube। अब देखना यह है कि राजनीति छोड़कर डिजिटल दुनिया में उनकी यह नई पारी कितनी सफल होती है। क्या वह ‘बेरोजगार नेता’ से ‘लोकप्रिय YouTuber’ बन पाएंगे या यह चैनल भी किसी चुनावी वादे की तरह हवा में उड़ जाएगा?
निष्कर्ष: नया दौर, नया मंच
भारद्वाज का यह प्रयोग दिलचस्प है और राजनीति से हटकर नए रास्ते तलाशने वालों के लिए प्रेरणा भी। हालांकि, यह देखना बाकी है कि ‘बेरोजगार नेता’ नाम का यह प्रयोग उन्हें कितनी ‘रोज़गारी’ दिला पाता है। राजनीति में हार जीत चलती रहती है, लेकिन सवाल यह है कि अब डिजिटल जनता उनकी इस नई भूमिका को कितनी गंभीरता से लेगी?
लेटेस्ट न्यूज
- बधाई हो! अब और भी दमदार और शानदार हुई आपकी पसंदीदा Land Cruiser 300, पेट्रोल-हाइब्रिड अवतार में मचाएगी धमाल!
- Nothing Phone 3: 7 साल का सॉफ्टवेयर सपोर्ट, स्नैपड्रैगन 8s जेन 4 चिपसेट – मतलब, ये फोन तो चलेगा Boss!
- TVS Ronin 2025 : क्लासिक रेट्रो स्टाइल और मॉडर्न टेक्नोलॉजी का परफेक्ट मेल!
- AI Chatbots: क्या ये हमें Super Lazy बना रहे हैं, या Learning में क्रांति ला रहे हैं?
- AI photos with ChatGPT on WhatsApp: वाट्सएप पर चैटजीपीटी से ऐसे बनाएं AI तस्वीरें, स्टेप-बाय-स्टेप गाइड