-पांडेय पान के मेन्यू में 170 प्रकार का पान का बीड़ा लगाया जाता है

पान भारत के इतिहास एवं परंपरा से बहुत गहरे से जुड़ा है। यही वजह है कि भारत के लगभग हर हिस्से में पान के शौकीन आपको मिल जाते हैं। यही नहीं धार्मिक अनुष्ठान भी बिना पान के अधूरे होते हैं। लेकिन हाल के वर्षो में तंबाकू ने पान की शुद्धता एवं स्वाद दोनों को नुकसान पहुंचा है। लिहाजा, कनॉट प्लेस स्थित पांडेय पान दुकान दिल्ली की पहली तंबाकू फ्री पान दुकान है। पान की वैराइटी आपको हतप्रभ करेगी तो वहीं बेमिसाल स्वाद बार बार आने को मजबूर कर देगा। काजू, किशमिश, केसर, चॉकलेट, इलायची, आरेंज डीप, मैंगो डिप्ड, माधुरी दीक्षित हनी, बटर स्कॉच, चार इडियट, चाकलेट विथ कैरेमल समेत मेन्यू में तो एक दो नहीं बल्कि 170 प्रकार के पान हैं।

जब सीपी में भारतीयों का प्रवेश वर्जित था

दुकान मालिक हरिओम पांडेय कहते हैं कि उनके दादा स्व. शिव नारायण पांडे ने पढ़ाई के बाद क्लर्क की नौकरी की। लेकिन 8 रुपये की सैलरी में परिवार का भरण पोषण नहीं हो पा रहा था। लिहाजा, उन्होंने दुकान खोलने की सोची। उन दिनों कनॉट प्लेस में भारतीयों का प्रवेश वर्जित था। ये करीब 1942 की बात होगी। दादा चांदनी चौक से पान खरीद कर ले आते एवं चोरी छिपे कनॉट प्लेस में बेचते थे। जब देश आजाद हुआ तो उन्होंने जी ब्लॉक में पहली दुकान खोली।

मशहूर हस्तियों को पसंद आया पान

दुकान पर राजनीतिक हस्तियों समेत मशहूर लोग आने लगे। डॉ राजेंद्र प्रसाद, वी वी गिरी, एम. एफ. हुसैन साहब उनमें से एक थे। दादाजी लोगों को तंबाकू का सेवन करने से मना करते थे.। वे लोगों को तंबाकू से हटाकर मीठे पान की तरफ ला रहे थे। सन 1954 तक पान वाले के साथ-साथ पान इतना मशहूर हुआ कि उसकी मांग राष्ट्रपति भवन में भी जाने लगी। सन 1972 में माननीयों ने खुश होकर एमपी फ्लैट में दुकान खुलवाई।

चश्मे बद्दूर की शूटिंग भी

बकौल हरिओम पांडे सैय्यद जावेद जाफरी की फिल्म आनी थी, चश्मे बद्दूर। उन्होंने ग्राहक को एंटरटेन किस तरह करते हैं, उनके साथ कैसा व्यवहार करते हैं, पान लगाते कैसे हैं और परोसते कैसे हैं। सभी चीजें सीखने के लिए एक हफ्ते की ट्रेंनिग ली। फिल्म वालों ने उनका एक पान का स्टॉल लगवाया जहां

शिव नारायण पांडे ने उन्हें ट्रेनिंग दी। इसकी यादें आज भी कनॉट प्लेस स्थित दुकान में फोटो के रूप में संहेजी गई है।

..जब हनुमान जी ने उठा लिया पान

हरिओम कहते हैं कि एमएफ हुसैन भी पान के बहुत शौकीन थे। वे दादा के बहुत करीबी थे। अक्सर दुकान पर आते एवं पान खाने के एवज में कई बार पेंटिंग भी दे देते थे। एमएफ हुसैन तब माधुरी दीक्षित को लेकर गजगामिनी फिल्म बना रहे थे। एक दिन वो माधुरी को लेकर दुकान पर आए। उन दिनों दुकान पर पिता देवी प्रसाद बैठते हैं। उन्होंने माधुरी दीक्षित के लिए विशेष पान का बीड़ा तैयार किया। मगही पत्ते पर शहद से बना गुलकंद और हनी दिया। यह माधुरी ने खाया तो महज 30 सेकेंड में पान घुल गया। माधुरी ने तारीफ की तो एमएफ हुसैन ने एक पेंटिंग ही बना डाली, जिसमें हनुमान जी संजीवनी बूटी की जगह पान लेकर लेकर उड़ रहे हैं। इसके बाद तो यह पान माधुरी पान के नाम से ही प्रसिद्ध हो गया।

तंबाकू मुक्त पहली दुकान

शिव नारायण पांडे की तीसरी पीढ़ी हरिओम पांडे और हरिशंकर पांडेय अब दुकान संभाल रहे हैं। हरिओम बीकाम किए हुए हैं एवं सन 1994 से दुकान संभाल रहे हैं। कहते हैं, जब मैं दुकान पर बैठना शुरू किया तो तभी दादा ने कहा कि पान वैसा ही बनाओ, जैसे अपने खा सको। इसे ही मूल मंत्र मान मैने पान को आधुनिक करने की सोची और सन 2000 में पहला फ्लेवर चाकलेट और बटर स्कॉच का बीड़ा लगाना शुरू किया। लोगों ने इसे काफी पसंद भी किया। इसके बाद तो हम फ्लेवर एड करते चले गए। वर्तमान में दोनों दुकान पर 170 प्रकार के पान मिलते हैं। यहां गिफ्ट पैक भी मिलते हैं। जो 80 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक के हैं। इनमें पान को बड़े सलीके से पैक कर दिया जाता है।

पान की वैराइटी

सीजनल फल वाले पान

यहां सीजन के हिसाब से पान तैयार होता है। सीजन फल, अममरूद जैसे-जैसे मिलता है उस चीज को गुलकंद के साथ मिलाते हैं। आरेंज डीप स्वीट पान और मैंगो डीप स्वीट पान भी यहां मिलता है।

स्वीट पान

-माधुरी हनी स्वीट

-बटर स्कॉच

-चार इडियट

-ओवर टेक स्वीट पान

-डाइट स्वीट पान

स्वीट पान विथ फ्रेश बेरियर

-ब्लूबेरी स्वीट पान

-स्ट्राबेरी

-क्रेनबेरी

-ब्लैक चेरी

-ब्लैकबेरी स्वीट

स्वीट पान विथ फ्रेश फ्रूटस

-पीना कोलाडा

-किवी स्वीट

-कस्टर्ड एप्पल

-मस्कमेलन

-मैंगो स्वीट पान

स्वीट पान विथ नट्स

-हनी विथ आलमंड

-अंजीर स्वीट पान

-पिस्ता स्वीट

-किशमिश

-काजू

-अखरोट

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