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₹23 करोड़ के निवेश से टियर-2 और टियर-3 संस्थानों में उद्योग-केंद्रित शिक्षा, नवाचार और रोजगार को मिलेगा बड़ा बढ़ावा, रिसर्च इंटर्नशिप पोर्टल और क्लाइमेट सेल भी लॉन्च

नई दिल्ली, 22 सितंबर, 2025

AICTE की नई पहल ‘प्रोजेक्ट प्रैक्टिस’ से बदलेगी छोटे शहरों के इंजीनियरिंग कॉलेजों की किस्मत, 20 लाख छात्रों को मिलेगा उद्योग-केंद्रित प्रशिक्षण और नवाचार का अवसर

भारत के छोटे शहरों और कस्बों में स्थित इंजीनियरिंग कॉलेजों की अपार प्रतिभा को अब एक ऐसा मंच मिलने जा रहा है जो उन्हें देश के शीर्ष संस्थानों के बराबर खड़ा कर देगा। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए तीन महत्वाकांक्षी योजनाओं का शुभारंभ किया है, जिनका लक्ष्य टियर-2 और टियर-3 शहरों के तकनीकी संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता को बदलना और छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करना है।

इन पहलों का अनावरण भारत सरकार के उच्च शिक्षा सचिव डॉ. विनीत जोशी ने AICTE के अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम की उपस्थिति में किया। इसका केंद्रीय आकर्षण ‘प्रोजेक्ट प्रैक्टिस’ (PRACTICE) है, जो सीधे तौर पर 1,000 कॉलेजों के 20 लाख छात्रों और 10,000 शिक्षकों के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा।

क्या है प्रोजेक्ट प्रैक्टिसऔर क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?

‘प्रोजेक्ट प्रैक्टिस’ (प्रोजेक्ट फॉर एडवांसिंग क्रिटिकल थिंकिंग, इंडस्ट्री कनेक्ट एंड इंप्लॉयबिलिटी) एक परिवर्तनकारी कार्यक्रम है जिसे विशेष रूप से उन इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थानों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो अकादमिक परिणामों में पीछे रह जाते हैं।

  • मुख्य उद्देश्य: परियोजना-आधारित शिक्षा (Project-Based Learning), लाइव उद्योग परियोजनाओं और उन्नत रोजगार कौशल को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना।
  • बड़ा निवेश: इस पहल में ₹23.31 करोड़ का निवेश शामिल है, जिसे AICTE और उसके सहयोगी (मेकर भवन फाउंडेशन, लीप और क्रिस्प) मिलकर वहन करेंगे।
  • विशाल प्रभाव: अगले तीन वर्षों में, यह सीधे तौर पर 20 लाख छात्रों को व्यावहारिक अनुभव और 10,000 शिक्षकों को उन्नत प्रशिक्षण प्रदान करेगा।

क्रिस्प के संस्थापक और सीईओ, आर. सुब्रह्मण्यम ने जोर देकर कहा कि इस पहल का मुख्य फोकस उन “कमजोर और अक्सर उपेक्षित संस्थानों” पर है, ताकि उन्हें गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा और नवाचार की मुख्यधारा में लाया जा सके।

छोटे शहरों के छात्र बना रहे ड्रोन, जो सीमाओं की सुरक्षा में सक्षम

कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए, उच्च शिक्षा सचिव डॉ. विनीत जोशी ने छोटे शहरों के छात्रों की बढ़ती क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “टियर-2 और टियर-3 कॉलेजों के छात्रों में अपार संभावनाएं हैं।” उन्होंने इन छात्रों द्वारा विकसित ड्रोन नवाचारों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें से कई ड्रोन देश की सीमाओं की सुरक्षा करने में भी सक्षम हैं।

उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे AICTE द्वारा शुरू की गई हर पहल का पूरा लाभ उठाएं, चाहे वह तकनीक हो या भाषा सीखना। उन्होंने यह भी बताया कि छात्रों को AICTE की पहल के माध्यम से चैटजीपीटी और पेरप्लेक्सिटी जैसे AI टूल्स तक मुफ्त पहुँच मिलेगी, जिससे वे अपना समय बचाकर कुछ नया सीख सकते हैं।

नवाचार से लेकर पर्यावरण तक: AICTE का समग्र दृष्टिकोण

प्रोजेक्ट प्रैक्टिस के अलावा, दो अन्य महत्वपूर्ण पहलें भी शुरू की गईं:

  1. AICTE रिसर्च इंटर्नशिप (ARI) पोर्टल: यह पोर्टल छात्रों को सार्थक शोध के अवसर प्रदान करेगा, जिससे उन्हें अकादमिक और व्यावहारिक दुनिया के बीच एक पुल बनाने में मदद मिलेगी।
  2. क्लाइमेट सेल और R&D सेल: संस्थानों में क्लाइमेट सेल की स्थापना पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बढ़ावा देगी और सतत विकास लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करेगी।

AICTE के अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम ने कहा, “हमारा प्रयास केवल रोजगार योग्य इंजीनियर बनाना नहीं, बल्कि नवाचार और राष्ट्र-निर्माण के लीडर तैयार करना है। ये पहलें उद्योग-अकादमिक सहयोग को मजबूत करेंगी, खासकर उन आकांक्षी कॉलेजों में जहाँ इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।”

शिक्षा जगत और सरकार का समर्थन

इस पहल को शिक्षाविदों और सरकार दोनों का पुरजोर समर्थन मिला है। सीएसआईआर-सीबीआरआई के पूर्व निदेशक, प्रो. आर.के. भंडारी ने 1,000 ग्रामीण इंजीनियरिंग कॉलेजों को बदलने के इस लक्ष्य को “वास्तव में महत्वपूर्ण” बताया। वहीं, माननीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने वीडियो संदेश में इन पहलों को ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण के साथ जोड़ते हुए गुणवत्ता, नवाचार और समावेशिता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

यह पहल भारत के 5,800 से अधिक तकनीकी कॉलेजों में पढ़ रहे 30 लाख से अधिक छात्रों के लिए आशा की एक नई किरण है, जो AI, डेटा साइंस और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे उभरते क्षेत्रों में रोजगार की खाई को पाटने का वादा करती है।

Q&A:

प्रश्न 1: ‘प्रोजेक्ट प्रैक्टिसक्या है?

उत्तर: यह AICTE द्वारा शुरू किया गया एक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य टियर-2 और टियर-3 के 1,000 इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षा और उद्योग से जुड़ाव को बढ़ाकर 20 लाख छात्रों की रोजगार क्षमता को बढ़ाना है।

प्रश्न 2: इस पहल से छात्रों को क्या सीधा लाभ होगा?

उत्तर: छात्रों को वास्तविक उद्योग परियोजनाओं पर काम करने, महत्वपूर्ण सोच विकसित करने और व्यावहारिक कौशल सीखने का मौका मिलेगा। साथ ही, उन्हें AICTE के माध्यम से चैटजीपीटी जैसे AI टूल्स तक मुफ्त पहुँच भी मिलेगी।

प्रश्न 3: AICTE द्वारा शुरू की गई अन्य दो योजनाएं कौन सी हैं?

उत्तर: अन्य दो योजनाएं हैं- ‘AICTE रिसर्च इंटर्नशिप (ARI) पोर्टल’, जो छात्रों को शोध के अवसर प्रदान करेगा, और संस्थानों में ‘क्लाइमेट सेल’ की स्थापना, जो पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाएगी।

प्रश्न 4: इस कार्यक्रम का मुख्य फोकस किन संस्थानों पर है?

उत्तर: इस कार्यक्रम का मुख्य फोकस भारत के छोटे शहरों और कस्बों में स्थित टियर-2 और टियर-3 इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालयों पर है, जिन्हें अक्सर मुख्यधारा से बाहर माना जाता है।

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