नौटंकी के नाम के बारे में भी अलग-अलग राय है। कुछ का मत है कि नौटंकी संस्कृत के शब्द ‘नाटक’ से बना है। एक कहानी जहां से इसका नाम नौटंकी पड़ा है मुल्तान की रानी नौटंकी की है। पड़ोस की एक रियासत में दो भाई भूपसिंह और फूलसिंह रहते थे। भूपसिंह फूलसिंह से बड़ा था। एक दिन छोटा फूलसिंह, जो बहुत खूबसरत और बहादुर था, शिकार से वापस आता है और अपनी भाभी से जल्दी से खाना देने के लिए कहता है। इस पर उसकी भाभी उसे ताना देती है कि वह तो ऐसे बरताव कर रहा है जैसे वह खूबसूरत शहज़ादी नौटंकी का पति हो।

फूलसिंह को महसूस हुआ कि उसकी भाभी ने उसका अपमान किया है और उसके दिल को चोट पहुंचाई है। वह खाना खाए बिना घर से चल पड़ा और यह कसम खाई कि वह उस समय तक घर में कदम नहीं रखेगा जब तक कि नौटंकी के साथ शादी न कर लेगा। उसका वफादार दोस्त यशवंत सिंह उसके साथ रवाना हो जाता है। मुल्तान पहुंचकर उसकी मुलाकात महल की मालन से हो जाती है और वे उससे इल्तजा करते हैं कि हमें अपनी झोंपड़ी में ठहरा लो। मालन तरस खाकर मान जाती है और फूलसिंह और उसका मित्र मालन की झोंपड़ी में रहने लगते हैं।

यह मालन हर रोज ताजा फूलों का एक हार शहजादी के लिए लेकर महल जाती थी। फूलसिंह फूलों के हार और गुलदस्ते वगैरा बनाने में माहिर था और उसने मालन से कहा कि मैं हर रोज तुम्हारे लिए शहजादी के वास्ते एक खूबसूरत फूलों का हार गूंथ दूंगा। अगर तुम उसके बदले हमारी रोटी पका दिया करो। मालन मंजूर कर लेती है।

मगर जब वह फूलसिंह का बनाया हुआ हार शहज़ादी के पास ले जाती है तो उसे शक हो जाता है कि यह हार मालन ने नहीं बल्कि किसी और ने बनाया है और वह मालन से पूछताछ करती है। मालन कहती है कि उसके भतीजे की नौजवान बहू कुछ दिनों के लिए उसके पास आई हुई है और यह हार उसने बनाया है। मगर राजकुमारी को उस पर विश्वास नहीं हुआ और वह उसे आज्ञा देती है कि उस नौजवान औरत को हमारे हुजूर में पेश करो। मालन अपनी झोंपड़ी में वापस आ जाती है मगर बड़ी परेशान है। फूलसिंह उसे तसल्ली देता है वह बहुरूप भरने में अपना सानी नहीं रखता और अगर वह जनाना कपड़े पहनकर एक नवयुवती के वेश में दाखिल होगा तो राजकुमारी हरगिज़ यह न पहचान सकेगी कि स्त्री के वेश में कोई पुरुष है।

मालन पहले तो घबराती है, मगर फिर मान जाती है और वह फूलसिंह को अपने भतीजे की बहू बनाकर महल में ले जाती है। राजकुमारी उसके सौंदर्य को देखकर चौंक जाती है और इतनी प्रभावित होती है कि उसे अपनी सहेली बना लेती है। वह जिद करती है कि रात को वह उसकी मेहमान रहे और उसके कमरे में ही सोए। फूलसिंह यह मान जाता है। रात को राजकुमारी आह भरकर कहती है अगर मैं एक आदमी होती तो इससे शादी कर लेती। फूलसिंह यह सुनकर बहुत खुश होता है और राजकुमारी से कहता है कि राजकुमारी जी अपनी आंखें बंद कर लीजिए, अपने देवता का स्मरण कीजिए और उनसे प्रार्थना कीजिए कि वह हम दोनों में से एक को मर्द बना दे। राजकुमारी ऐसा ही करती है और जब कुछ देर के बाद वह अपनी आंखें खोलती है तो क्या देखती है कि उसकी साथी औरत तो एक सुंदर पुरुष में बदल चुकी है। दोनों एक-दूसरे को प्यार भरी नजरों से देखते हैं और प्रेम लिप्त हो जाते हैं।

सुबह उसके महल की बांदी, जिसने फूलसिंह को देख लिया था। राजा से शिकायत करती है कि उसने राजकुमारी के शयन कक्ष में एक पुरुष को देखा है। राजा आग-बबूला होकर आज्ञा देता है कि नवयुवक को गिरफ्तार करके उसे तत्काल मौत के घाट उतार दिया जाए। शाही आदमी फूलसिंह को गिरफ्तार करके ले जाते हैं। राजकुमारी नौटंकी एक हाथ में तलवार और दूसरे में ज़हर का प्याला लेकर उस पर पहुंचती है। जंजीरों जकड़ा हुआ फूलसिंह अपनी मौत के इंतजार में खड़ा है। वह वध करने के लिए आए हुए सिपाहियों को वहां से भगा देती है और अपने पिता से भी लड़ाई करने के लिए तैयार है। बादशाह अपनी पुत्री की दिलेरी और सच्चे प्रेम से बहुत प्रभावित होता है और उसकी शादी फूलसिंह से करने के लिए तैयार हो जाता है। इस तरह से फूलसिंह की शादी राजकुमारी नौटंकी से हो जाती है और वह हंसी-खुशी अपनी दुलहन के साथ घर वापस आ जाता है।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here