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पूरे भारत में मनाया जाता है आस्था और विश्वास का महापर्व

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

chhath puja 2024: छठ महापर्व पर विस्तृत खबर तैयार करते हुए, हम चार दिनों की पूजा विधि, विधान और पूजा पद्धति के बारे में विस्तार से जान सकते हैं। छठ महापर्व मुख्यतः सूर्य देव और छठी मईया की उपासना का पर्व है, जिसमें व्रती (व्रत करने वाले) कठिन तपस्या और अनुशासन का पालन करते हैं। आइए चारों दिन की विधि और विशेषताओं पर नजर डालते हैं।

1. नहाय-खाय (पहला दिन)

छठ महापर्व का पहला दिन नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रती सुबह नदी, तालाब या घर में स्नान करते हैं और पवित्रता का विशेष ध्यान रखते हैं। इसके बाद साफ-सफाई के साथ भोजन बनाया जाता है। इस दिन कद्दू-भात (लौकी और चावल) खाने का विधान है, जो पूरी तरह शुद्ध और सात्विक होता है। भोजन में लहसुन-प्याज का उपयोग वर्जित होता है।

ध्यान रखने योग्य बातें:

– केवल शुद्ध और सात्विक भोजन बनाएं।

– स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें और पवित्रता बनाए रखें।

2. खरना (दूसरा दिन)

दूसरे दिन को खरना कहते हैं। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद विशेष प्रसाद का सेवन करते हैं। प्रसाद में गुड़ की खीर, गेहूं की रोटी और केले का उपयोग होता है। खरना के प्रसाद को खासतौर से साफ-सुथरे बर्तनों में बनाया जाता है और इसकी पवित्रता का पूरा ध्यान रखा जाता है। खरना के बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं।

ध्यान रखने योग्य बातें:

– खरना के प्रसाद को केवल मिट्टी या पीतल के बर्तनों में ही बनाएं।

– प्रसाद बनाने के समय घर में शांति और पवित्रता बनाए रखें।

3. संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन)

तीसरे दिन संध्या अर्घ्य का विधान होता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं और सूर्यास्त के समय नदी, तालाब या घर के आंगन में जल से भरे बर्तन में सूर्य देव को पहला अर्घ्य (जल अर्पण) देते हैं। संध्या अर्घ्य के दौरान बांस के सूप में ठेकुआ, नारियल, गन्ना, अदरक, हल्दी आदि चीजें रखी जाती हैं। इस अर्घ्य का विशेष महत्व है, जिसमें सूर्य देव की उपासना के साथ छठी मईया का आशीर्वाद मांगा जाता है।

ध्यान रखने योग्य बातें:

– अर्घ्य के समय पूरे परिवार के साथ पूजा करें।

– पूजन सामग्री को साफ-सुथरे बर्तनों में रखें और अर्घ्य देने के समय पूर्ण शांति बनाए रखें।

4. उषा अर्घ्य (चौथा दिन)

छठ महापर्व के चौथे और अंतिम दिन को उषा अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले व्रती नदी या तालाब पर पहुंचते हैं और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस अर्घ्य के बाद ही व्रती अपना व्रत समाप्त करते हैं। अर्घ्य के दौरान सूप में वही पूजन सामग्री होती है जो संध्या अर्घ्य में होती है। इस दिन छठी मईया का विशेष पूजन होता है और व्रती परिवार की सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।

ध्यान रखने योग्य बातें:

– उगते सूर्य को अर्घ्य देने के समय शांतिपूर्वक रहें।

– व्रत समाप्त करने के बाद सबसे पहले व्रती प्रसाद ग्रहण करें, फिर परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद लें।

छठ पूजा के दौरान ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बातें:

– छठ महापर्व में पवित्रता, स्वच्छता और अनुशासन का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

– पूजा स्थल और पूजन सामग्री की शुद्धता बनाए रखें।

– व्रती को अनुशासन का पालन करना होता है, इसलिए पूजा के दौरान पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ व्रत का पालन करें।

– इस पूजा में अनावश्यक बातों और शोर से बचें, ताकि पूरे वातावरण में शांति और सकारात्मकता बनी रहे।

छठ महापर्व बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में विशेष रूप से मनाया जाता है, लेकिन अब यह पर्व पूरे भारत और विदेशों में भी लोकप्रिय हो चुका है। इस महापर्व में सूर्य देव और छठी मईया के प्रति असीम श्रद्धा और भक्ति की भावना होती है, जो जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद देती है।

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