केंद्र सरकार ने पहली बार 651 जिलों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन कर, कृषि में लचीलापन बढ़ाने की रणनीति बनाई।
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
भारत सरकार ने किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से बचाने और कृषि में लचीलापन बढ़ाने के लिए जिला स्तर पर विस्तृत अध्ययन किया है। दृष्टिगत कृषि आकस्मिक योजनाओं (डीएसीपी) के तहत फसल चयन और प्रबंधन में सहायता प्रदान की जाएगी।
केंद्र सरकार ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के मार्गदर्शन में जलवायु लचीला कृषि में राष्ट्रीय नवाचार (एनआईसीआरए) परियोजना लागू की है। इस पहल के तहत 651 जिलों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन किया गया है।
- जिला कृषि आकस्मिक योजनाएं (डीएसीपी):
- संवेदनशील जिलों की पहचान:
- 651 जिलों में से 310 को जलवायु के प्रति संवेदनशील पाया गया।
- इनमें 109 जिले “बहुत अधिक संवेदनशील” और 201 जिले “अत्यधिक संवेदनशील” वर्गीकृत हुए।
- फसल और प्रौद्योगिकी की सिफारिश: प्रत्येक जिले के लिए जलवायु लचीली फसलों और प्रबंधन रणनीतियों की पहचान की गई।
- संवेदनशील जिलों की पहचान:
जलवायु लचीला गाँव (सीआरवी):
28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 151 जिलों में 448 जलवायु लचीला गाँवों में स्थान-विशिष्ट तकनीकों का प्रदर्शन किया गया है।
- किसानों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम।
- प्रत्येक जिले के लिए स्थान-विशिष्ट सिफारिशें।
डीबीटी और पीएम किसान:
सरकार ने किसानों को डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान कर कृषि क्षेत्र को और मजबूत बनाया है। अब तक 3.46 लाख करोड़ रुपये से अधिक वितरित किए गए।
जलवायु प्रबंधन के अन्य उपाय:
- राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए):
- वर्षा आधारित क्षेत्र विकास योजना।
- सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के तहत “प्रति बूंद अधिक फसल” योजना।
- बांस और कृषि वानिकी का विकास।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई):
अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली फसल हानि के लिए व्यापक बीमा कवर।
आईएमडी की भूमिका:
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (जीकेएमएस) के तहत किसानों को मौसम आधारित फसल सलाह उपलब्ध कराई है।
- ब्लॉक और जिला स्तर पर मौसम पूर्वानुमान।
- फसल और पशुधन प्रबंधन के लिए एग्रोमेट एडवाइजरी।
प्रगति के आंकड़े:
- 2593 फसल किस्मों का विकास।
- इनमें से 2177 किस्में जलवायु लचीली पाई गईं।
सरकार की यह पहल न केवल किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाएगी, बल्कि डीबीटी, सतत कृषि योजनाओं, और फसल बीमा के माध्यम से उनकी आय में स्थिरता भी सुनिश्चित करेगी।