दिल्ली (Delhi) में वैसे तो कई पुराने पुस्तकालय हैं जहां आपको हिंदी, अंग्रेजी व उर्दू भाषाओं की पुस्तकों का भंडार मिल जाएगा। लेकिन आपकी रूचि बांग्ला भाषा में है तो आपको देशबंधु चित्तरंजन मेमोरियल सोसायटी (डीसीएमएस) लाइब्रेरी (deshbandhu chittaranjan memorial society library) ही आना होगा। यहां आपको बांग्ला भाषा में लिखी ऐसी नवीनतम व दुर्लभ पुस्तकें मिल जाएंगी जो दिल्ली के किसी भी पुस्तकालय में आसानी से नहीं मिलेंगी। यहां रखी पुस्तकें आपका देश की संस्कृति और साहित्य से परिचय कराएंगी। सीआर पार्क स्थित चित्तरंजन भवन में डीसीएमएस लाइब्रेरी को 44 वर्षों से देशबंधु चित्तरंजन मेमोरियल सोसायटी चला रही है। वर्तमान में यहां अंग्रेजी व बांग्ला में लिखी करीब 45 हजार से भी अधिक पुस्तकों का संग्रह है। वहीं, देश दुनिया के इतिहास, राजनीति, अर्थशास्त्र आदि विषयों पर भी हजारों पुस्तकें यहां उपलब्ध हैं। दूर-दूर से बांग्लाभाषी लोग अपने बच्चों को लेकर इस पुस्तकालय में पढ़ने आते हैं। जामिया और अंबेडकर विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र भी शोध से संबंधित पुस्तकों के लिए यहां आते हैं।

स्वतंत्रता सेनानी चितरंजन दास के नाम पर हुआ पुस्तकालय का नाकरण

सीआर पार्क में बंगाली समाज द्वारा स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चित्तरंजन दास के जन्म शताब्दी के अवसर पर देशबंधु चित्तरंजन मेमोरियल सोसायटी शुरु की गई थी। 15 अगस्त 1976 को सोसायटी के तत्कालीन सचिव डॉ. आनंदा मुखर्जी ने बंगाली भाषा, संस्कृति व शिक्षा के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से यहां पुस्तकालय शुरु किया जिसका नाम स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चित्तरंजन के नाम पर ही रखा गया। इस पुस्कालय की शुरुआत मात्र 300 पुस्तकों के साथ हुई थी और आज यहां 45 हजार पुस्तकों का भंडार है। यहां भवानी सिंह गुप्ता, अमिताभ चौधरी, नितिश चंद्र गुप्ता व निखिल चक्रोबर्ती जैसे साहित्यकार पढ़ने आया करते थे।

बच्चों व युवाओं के लिए खास पुस्तकों का संग्रह

पुस्तकालय में बच्चों के लिए एक अलग सेक्शन बनाया गया है जिसमें रोचक बाल साहित्य की पुस्तकें रखी हैं। यहां द अॉक्सफोर्ड चिल्ड्रन्स डिक्शनरी, द वनडरफुल वर्ल्ड अॉफ बर्ड्स एंड दियर बिहेवियर, द वनडरफुल वर्ल्ड अॉफ लाइफ इन द सी, शंकर्स चिल्ड्रन्स आर्ट नंबर, हैरी पॉटर की नॉवल, सुकुमार रे सहित कई कार्टून कैरेक्टर की पुस्तकें बच्चों को खूब आकर्षित करती हैं। वहीं, युवाओं के लिए खास अंग्रेजी फिक्शन की पुस्तकों का संग्रह है।

दुर्लभ पुस्तकों का खजाना

लाइब्रेरीयन टीके धर ने बताया कि यहां सौ साल पुरानी दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह है जिसमें अरबिंदो की एकत्रित कृतियों की एक हस्ताक्षरित प्रतिलिपि शामिल है। इसके अलावा यहां राम किंकर बैज, द राइज एंड फॉल अॉफ द थर्ड रीच, धन्य बाग बाजार (बांग्ला), रामकिंकर-यक्ष याक्षी, केजीबी, द वेल्थ अॉफ नेशन 1776 में छपी अर्थशास्त्र की पहली प्रामाणिक पुस्तक, द एलपीरिय गुप्ताज आदि पुस्तकों का संग्रह है। यहां ऐसी-ऐसी दुर्लभ बांग्ला पुस्तकों का संग्रह है जिनका उपयोग शोध के लिए भी किया जा सकता है। यहां आपको पांच हजार से अधिक नेता, अभिनेता व खिलाड़ियों की जीवनी भी मिल जाएगी जिनमें देवानंद, राडी बरमन, जवाहरलाल नेहरु, सचिन तेंदुलकर आदि शामिल हैं। यहां भारत के राज्य व अन्य देश विदेश के इतिहास पर लिखी पुस्तकें जिम्बावे, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अमेरिका आदि मौजूद हैं।

यह पुस्तकें पाठकों को करती हैं आकर्षित

यहां कई ऐसी पुस्तकें मौजूद हैं जो पाठकों को खूब आकर्षित करती हैं। इनमें री-विजनिंग द पास्ट अर्ली फोटोग्राफी इन बंगाल 1875-1915, आर्ट अॉफ द 20थ सेनचुरी, डेन ब्राउन डा विंकी कोड- स्पेशल इलस्ट्रेटिड कलेक्टर्स एडिशन, डिफ्रेंट नेशनलिज्म बंगाल 1905-1947, स्टे हंगरी स्टे फूलिश, रोड शो, न्यू दिल्ली मेकिंग अॉफ अ केपिटल, एटलस अॉफ मैन, वूमन चेंजिंग इंडिया आदि शामिल हैं। यहां कई पिक्चर बुक्स भी उपलब्ध हैं जिन्हें पाठक खूब चाव से पढ़ते हैं। इनके अलावा यहां भारतीय संस्कृति, साहित्य, राजनीति, इतिहास, अर्थशास्त्र आदि से जुड़ी हजारों पुस्तकें अंग्रेजी व बांग्ला भाषा में उपलब्ध हैं। जो पाठकों को खूब आकर्षित करती हैं।

ऐसे लें सदस्यता

एक स्थायी निवास प्रमाण पत्र, दो पासपोर्ट साइज फोटो और 300+50 रुपये शुल्क जमा कर आप इस पुस्तकालय की सदस्यता प्राप्त कर सकते हैं। इसके बाद आपको वार्षिक शुल्क 200 रुपये देने होंगे।

पुस्तकालय खुलने का समय-मंगलवार से शुक्रवार को शाम 7 से 8:30 बजे तक। रविवार को सुबह 10 से 11:30 बजे तक पुस्तकालय खुलता है। सोमवार, बुधवार व शनिवार को पुस्तकालय बंद रहता है।

ऐसे पहुंचे

नजदीकी मेट्रो स्टेशन ग्रेटर कैलाश है। यहां से रिक्शा लेकर पांच मिनट में लाइब्रेरी तक पहुंचा जा सकता है।

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