पूर्वांचली वोटरों को लुभाने के लिए राजनीतिक दल कर रहे लोकलुभावने वायदे
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: दिल्ली में 2025 के विधानसभा चुनाव धीरे-धीरे नजदीक आ रहे हैं। जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें करीब आ रही हैं, राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को धार देने में जुट गए हैं। इन रणनीतियों में एक बड़ा फोकस दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल के वोटरों पर है। यह समुदाय दिल्ली की राजनीति में अपनी निर्णायक भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है।
दिल्ली की कुल आबादी में बड़ी संख्या में पूर्वांचल से आए प्रवासी लोग शामिल हैं। ये लोग बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों से दिल्ली में आकर बसे हैं। पिछले कुछ दशकों में इनकी संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और यह समुदाय अब दिल्ली की राजनीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुका है।
पूर्वांचली वोटरों का महत्व
पूर्वांचली वोटर दिल्ली की लगभग 70 विधानसभा सीटों में प्रभाव डाल सकते हैं। इनमें से कुछ क्षेत्रों में तो वे निर्णायक स्थिति में होते हैं। उत्तर-पूर्वी दिल्ली, शाहदरा, पश्चिमी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली के कई इलाकों में पूर्वांचली समुदाय की प्रभावशाली उपस्थिति है।
पूर्वांचली वोटरों की यह ताकत राजनीतिक दलों को उन्हें आकर्षित करने की दिशा में कदम उठाने के लिए प्रेरित करती है। चाहे वह समाज कल्याण की योजनाएं हों, रोजगार के अवसर, शिक्षा या स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो, राजनीतिक दल इन्हें लुभाने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं।
आम आदमी पार्टी की रणनीति
दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) ने हमेशा से पूर्वांचली वोटरों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विभिन्न सामाजिक और बुनियादी सुविधाओं में सुधार के माध्यम से इस समुदाय का समर्थन प्राप्त करने की कोशिश की है।
- बिजली और पानी सब्सिडी: दिल्ली सरकार ने बिजली और पानी के बिलों में राहत प्रदान की है, जो खासतौर पर मध्यम और निम्न वर्ग के लिए आकर्षक है।
- शिक्षा और स्वास्थ्य: मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी स्कूलों के स्तर में सुधार पूर्वांचली वोटरों के लिए एक बड़ा मुद्दा है।
- छठ पूजा पर विशेष व्यवस्था: छठ पूजा, जो पूर्वांचली समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, को दिल्ली सरकार ने बड़े पैमाने पर सुविधाजनक बनाया है।
केजरीवाल सरकार ने भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार पूर्वांचलवासियों की उपेक्षा कर रही है। AAP यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि वह इस समुदाय के हितों के प्रति अधिक प्रतिबद्ध है।
भाजपा की चुनौती और रणनीति
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लंबे समय से दिल्ली में सत्ता हासिल करने की कोशिश कर रही है। भाजपा समझती है कि पूर्वांचली वोटर उनकी जीत में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
- पूर्वांचल मोर्चा का गठन: भाजपा ने अपनी रणनीति के तहत पूर्वांचल मोर्चा का गठन किया है, जो इस समुदाय के मुद्दों को सामने लाने और हल करने का काम करता है।
- मोदी फैक्टर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूर्वांचली पृष्ठभूमि भाजपा के लिए एक मजबूत आधार है। भाजपा इसे समुदाय से जुड़ने के लिए एक अवसर के रूप में देखती है।
- रोजगार और प्रवास: भाजपा ने बार-बार यह मुद्दा उठाया है कि केजरीवाल सरकार ने पूर्वांचलवासियों को उनके मूल अधिकारों से वंचित किया है।
कांग्रेस की वापसी की कोशिश
कांग्रेस, जो दिल्ली की राजनीति में एक समय पर प्रमुख शक्ति थी, अब अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस पूर्वांचली समुदाय को अपने पक्ष में लाने के लिए पुरानी नीतियों और उपलब्धियों का सहारा ले रही है।
- शिला दीक्षित का शासनकाल: कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री शिला दीक्षित के शासनकाल को याद दिलाकर वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है।
- पूर्वांचल समुदाय के नेताओं को मंच देना: कांग्रेस ने अपने मंच पर पूर्वांचल से जुड़े नेताओं को प्रमुखता से स्थान देना शुरू कर दिया है।
क्यों हैं पूर्वांचली वोटर महत्वपूर्ण?
पूर्वांचली समुदाय की ताकत केवल उनकी संख्या में ही नहीं बल्कि उनकी एकजुटता में भी है। यह समुदाय अपने धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को बनाए रखता है और इसे अपने प्रतिनिधियों से सम्मानित करवाने की अपेक्षा करता है।
- सांस्कृतिक जुड़ाव: छठ पूजा, होली, और अन्य त्यौहारों पर राजनीतिक दल विशेष ध्यान देते हैं। यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि राजनीतिक समीकरण साधने का भी माध्यम बन चुके हैं।
- आर्थिक योगदान: दिल्ली की कई अर्थव्यवस्थाएं, जैसे निर्माण, सफाई, और छोटे व्यवसाय, पूर्वांचलियों पर निर्भर हैं। यह उन्हें एक महत्वपूर्ण वोट बैंक बनाता है।
चुनाव में मुद्दे
पूर्वांचली वोटरों को साधने के लिए सभी राजनीतिक दल कई प्रमुख मुद्दों को उठा सकते हैं:
- रोजगार के अवसर: पूर्वांचल समुदाय के लोग रोजगार के लिए दिल्ली आए हैं, इसलिए उनके लिए स्थिर और बेहतर रोजगार के अवसर प्राथमिकता में रहेंगे।
- स्वास्थ्य और शिक्षा: बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और बच्चों की उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा इनकी मांग रहती है।
- सुरक्षा और बुनियादी सुविधाएं: झुग्गी-झोपड़ी और किराए के मकानों में रहने वाले इस समुदाय को सुरक्षा और बुनियादी सुविधाएं चाहिए।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में पूर्वांचली वोटर निर्णायक भूमिका निभाने वाले हैं। आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस इस समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा दल अपनी रणनीति को बेहतर तरीके से लागू कर पाता है और पूर्वांचलवासियों का विश्वास जीतता है।पूर्वांचल वोटरों का यह दबदबा न केवल दिल्ली की राजनीति में उनके महत्व को रेखांकित करता है बल्कि यह भी साबित करता है कि जब तक समुदाय अपनी एकजुटता बनाए रखेगा, तब तक वे राजनीतिक दलों की प्राथमिकता बने रहेंगे।