चुनाव आयोग के आंकड़ों से हुआ खुलासा
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दिल्ली में तैयारियां जोरों पर हैं। इस बीच, चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों से यह सामने आया है कि जहां राजधानी में मतदाताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, वहीं मतदान केंद्रों की संख्या में कमी आई है। इन बदलावों को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है।
मतदाताओं की संख्या में ऐतिहासिक इजाफा
चुनाव आयोग के मुताबिक, दिल्ली में कुल मतदाताओं की संख्या 1.49 करोड़ तक पहुंच गई है। यह संख्या 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में 7.3% अधिक है। इस बार 10.33 लाख नए मतदाता जोड़े गए हैं, जिनमें 18-19 आयु वर्ग के 2.69 लाख युवा मतदाता शामिल हैं। यह आंकड़ा इस बात का संकेत है कि युवा वर्ग इस बार के चुनाव में अपनी सक्रिय भागीदारी दर्ज कराने को तैयार है।
घटे 718 मतदान केंद्र: क्यों और कैसे?
हालांकि, मतदाताओं की संख्या बढ़ने के बावजूद मतदान केंद्रों की संख्या में 718 की कमी आई है। 2019 में जहां दिल्ली में कुल 13,033 मतदान केंद्र थे, वहीं इस बार यह संख्या घटकर 12,315 रह गई है। चुनाव आयोग ने इसे पुनर्गठन और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन का हिस्सा बताया है। आयोग का कहना है कि नई व्यवस्था के तहत प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं को बेहतर सुविधा और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित की जाएगी।
मतदान केंद्रों की कमी पर क्या हो सकता है असर?
विशेषज्ञों का मानना है कि मतदान केंद्रों की संख्या में कमी से कुछ क्षेत्रों में भीड़भाड़ और मतदाताओं के लिए असुविधा हो सकती है। यह विशेष रूप से उन इलाकों में समस्या बन सकती है जहां मतदाताओं की संख्या अधिक है। हालांकि, चुनाव आयोग ने कहा है कि हर मतदान केंद्र पर आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएंगी ताकि किसी भी मतदाता को परेशानी न हो।
दिल्ली के राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
मतदान केंद्रों की संख्या में कमी और मतदाताओं की वृद्धि को लेकर राजनीतिक दलों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। एक ओर विपक्षी दल इसे चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका मान रहे हैं, वहीं सत्ताधारी दल ने इसे आयोग द्वारा बेहतर प्रबंधन का हिस्सा बताया है।
महत्वपूर्ण आंकड़े
- कुल मतदाता: 1.49 करोड़
- नए मतदाता: 10.33 लाख
- युवा मतदाता (18-19 वर्ष): 2.69 लाख
- मतदान केंद्र (2024): 12,315
- मतदान केंद्र (2019): 13,033
आयोग की विशेष तैयारियां
चुनाव आयोग ने मतदाता जागरूकता अभियान को प्राथमिकता देने की बात कही है। इस बार ईवीएम और वीवीपैट (VVPAT) के इस्तेमाल में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं। आयोग का कहना है कि मतदान केंद्रों पर बुनियादी सुविधाओं, जैसे पानी, शौचालय, और रैंप जैसी सेवाओं का ध्यान रखा जाएगा।
जनता की अपेक्षाएं और तैयारियां
दिल्ली के मतदाताओं को इस बार चुनाव प्रक्रिया से काफी उम्मीदें हैं। युवा और पहली बार वोट डालने वाले मतदाता इसे लोकतंत्र का उत्सव मान रहे हैं। हालांकि, मतदान केंद्रों की संख्या में कमी को लेकर कुछ क्षेत्रों में असंतोष है, लेकिन आयोग के आश्वासन ने भरोसा भी बढ़ाया है।
दिल्ली का यह चुनाव न केवल बढ़े हुए मतदाताओं बल्कि घटे हुए मतदान केंद्रों और आयोग की नई व्यवस्थाओं के कारण चर्चा में है। अब देखना होगा कि यह बदलाव मतदान प्रक्रिया को कितना सुगम बनाता है।