10 और 11 दिसंबर को इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित होगा महोत्सव
दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल वारिस शाह की 300वीं बरसी का जश्न मनाएगा
दिल्लीवासियों का पसंदीदा महोत्सव एक बार फिर हाजिर है। दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल इस बार हिंदी, उर्दू, पंजाबी और अंग्रेज़ी में ख़ास अंदाज़ में शायरी और कविता का जश्न मनाएगा। इस कविता उत्सव में कविता के इर्द-गिर्द होने वाली चर्चाओं पर रोशनी डालने के लिए कई वक्ता मौजूद होंगे, आपका मन मोह लेने के लिए कई कलाकार मौजूद होंगे और कविताएं और शायरी ऐसी होंगी जो आपके रूह में उतर जाएंगी।
दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल की संस्थापक और अध्यक्षा डॉली सिंह ने कहा कि
“दिल्ली हमेशा ही कवियों और शायरों की भूमि रही है। यहां की गलियों में आज भी खुसरो, गालिब और जफर की शायरी गूंजती है। कविता और शायरी करना इंसान का स्वभाव है। इससे राहत मिलती है और हमारे ख़यालों पर इसका असर आता है। इसमें हैरत की कोई बात नहीं की शायरी और कविताओं में इंसान डूब जाता है। अच्छी कविताएं इंसान के अंदर एक लौ जला सकती हैं। इनसे हमारा ख़ुद को और दुनिया को देखने का नज़रिया भी बदलता है।”
दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल के एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर संजय अरोड़ा ने बताया कि
“परेशान जेहन और बिगड़े नज़रिए के लिए शायरी एक पनाहगाह है। 2013 में अपनी स्थापना के बाद से ही दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल काव्यात्मक अभिव्यक्ति के लिए प्लेटफार्म देने और बदलाव की बयार लाने के लिए प्रतिबद्ध है। ये उत्सव इसबार भी शायरी और कविताओं के विभिन्न आयामों को उनके बेहतरीन रंग में सामने लाने के लिए तैयार है।”
पंजाब से निकलने वाली सबसे असरदार शायराना आवाज़ों में से एक और हीर रांझा महाकाव्य के लेखक वारिस शाह को उनकी 300वीं बरसी पर याद करते हुए मनाया जाएगा। इस साल हम उत्सव में पंजाबी कविताएं भी जोड़ रहे हैं और ऐसा करने के लिए इससे बेहतर साल क्या ही होगा जब महान कवि वारिस शाह की 300वीं जयंती मनाई जा रही है।
इसमें पंजाबी के मशहूर कवि पदम् श्री सुरजीत पातर जिन्होंने वारिस शाह की कविताओं पर बड़े पैमाने पर काम किया है और खुशमिज़ाज डॉ वनिता के बीच सहज बातचीत शामिल होगी जिसे ‘हवा विच लिखे हर्फ नाम’ दिया है। सुरजीत पातर को दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल के बोर्ड सदस्य के रूप में भी जगह दी जाएगी। बोर्ड में वसीम बरेलवी, सुकृता पॉल कुमार, फरहत शहज़ाद और उदय प्रकाश जैसे नाम भी शामिल हैं। वारिस शाह के कविताओं की चर्चा 21वीं सदी में हीर की प्रासंगिकता के अनिवार्य विषय पर की जाएगी जिसमे वारिस शाह की हीर और उनका प्यार, उनका जीवन, उनका संघर्ष और उनकी मौत पर बातें होंगी। डॉली सिंह द्वारा संचालित इस कार्यक्रम में डॉ वनिता, रेने सिंह और सकून सिंह अपने विचार साझा करेंगी। पंजाबी विद्वान और इतिहासकार सुमेल सिंह सिंधु वारिस शाह पर अपनी बात रखेंगे और महान कवि वारिस शाह के प्रति अपने दशकों पुराने प्रेम का इज़हार करते हुए आज के समाज के लिए उनकी प्रासंगिकता बयान करेंगे। इस साल कार्यक्रमों का चयन बहुत सोच-समझ कर किया गया है और इसे युवाओं के लिए अर्थपूर्ण और सोच पैदा करने के लिए तैयार किया गया है।
यूक्रेन युद्ध पर केंद्रित कविताएं
यूक्रेन युद्ध को लेकर समर्थन और विरोध में बेहिसाब कविताएं लिखी जा रही हैं। निदेश त्यागी ने काफी मेहनत से ऐसी कुछ झकझोर देने वाली कविताओं का अनुवाद किया है और वे हमें युद्धग्रस्त भूमि के हालात का एहसास कराने के लिए ‘युद्ध की व्यथा- यूक्रेन की काव्य पुकार’ सत्र में इन अनुवादित कविताओं का पाठ करेंगे। देशों को अलग करने वाली सीमाएं नक़्शे पर बनी काल्पनिक रेखाएं हैं जो इन सीमाओं के आर-पार रहने वाले लोगों को अलग नहीं कर सकतीं। युवा एमी सिंह एक नायाब और बेहद आत्मीय पहल कर के हमारे साथ एक छोटा सा सत्र साझा करेंगी जिसमे वो लाहौर जीपीओ के पोस्टमॉस्टर जनरल को समर्पित अपने मार्मिक पत्रों को पढ़ेंगी। ‘इकोज़ ऑफ़ पार्टीशन’ में बंटवारे का दर्द, जानी-पहचानी गलियों की यादें और बिछड़े दोस्तों के क़िस्से दिल को सुकून पहुंचाएंगे।