sohar geet

हिंदी में सोहर गीत का अर्थ भी पढ़िए   

Sohar Geet: विविधता में एकता का सबसे शानदार उदाहरण अगर कोई राज्य है तो वो दिल्ली (Delhi) है। दिल्ली में विभिन्न धर्मों, पंथों, समुदायों के लोग मिलजुलकर रहते हैं। देश का शायद ही कोई राज्य होगा, जहां के लोग दिल्ली में नहीं रहते होंगे। ये अपने साथ अपनी कला-संस्कृति को भी जिंदा रखें हैं। आइए आपको बेटे के जन्म पर दिल्ली में गाए जाने वाले सोहर से रूबरू कराते हैं। सोहर एक तरह का लोकगीत होता है, जो बच्चा पैदा होने पर गाया जाता है। उपरोक्त सोहर Sohar Geet में एक सास की प्रसन्नता का वर्णन हैं।

सोहर

पुत्र जनम मन भावन,मंगल हम गाइबि हो।

ललना जुग जुग जीए मोर,ललनवा निरखि सुख पाइवि हो॥१॥

बहुजी के कोखिया भरइलै, उमड़ि हिय मोर गइले हो।

ललना लेइके ललनवा के गोद, विहंसि हम खेलाइवि हो ।।२।।

बाजत बा बिमल बजइया, उठेला निव मंगल हो।

ललना गंगा में लहर हिलोरे, ललनवा के लोभाइबि हो।।३।।

भइले सुरुजवा के साज, त कोखिया सुफल भइले हो।

ललना के देखि के सुरतिया, हमार नयना जुड़ाइल हो।।४।।

अर्थ:-

बूढ़ी सास कहती है कि पुत्र का जन्म बड़ा मनभावन होता है। इस अवसर पर मैं मंगल गीत गाऊंगी। पुत्र युग-युग जीता रहे और उसे देखकर मैं सुख पाती रहूं ।।१।।

मेरी वधू का कोन भर गया और मेरा हृदय आनन्द से उमड़ गया है। मैं अपने पुत्र (पौत्र) को गोद में लेकर प्रसन्न होकर खिलाऊंगी ||२||

घर में मंगल वाद्य बज रहा है। नित्य गीत गाया जाता है। मेरे हृदयरूपी गंगा में लहरें हिलोर मार रही हैं।

मैं अपने पुत्र को खिलौनों से लुभाऊंगी। जब सूर्य भगवान् की प्रार्थना हुई तो कोख सफल हो गयी। अब मैं अपने पुत्र के रूप को देखकर अपनी आंखों को तृप्त करूंगी ।।४।।

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