मेरा टेसू यहीं अड़ा

खाने को मांगे दही बड़ा

दशहरे के आसपास लड़कों की टोलियां गली-मुहल्लों में हाथ में टेसू लिए घूमती फिरती थीं। एक किंवदंती के अनुसार टेसू का संबंध महाभारत काल से है। कहते हैं कि रानी कुंती के क्वॉरेपन में ही दो लड़के हुए थे। बड़े लड़के का नाम बभ्रुवाहन था जिसे कुन्ती जंगल में छोड़ आई थी। बभ्रुवाहन कुछ वर्षों में ही इतना बढ़ गया कि उसने प्रदेश में सबको तंग करना शुरू कर दिया। पांडु ने परेशान होकर सुभद्रा के जरिए कृष्ण भगवान से उनकी रक्षा करने के लिए कहलवाया। भगवान कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन काट दी, लेकिन बभ्रुवाहन ने अमृत पी रखा था, इसलिए वह मरा नहीं। कृष्ण ने उसके सिर को खजूर के पेड़ पर रख दिया। मगर बभ्रुवाहन को चैन नहीं पड़ा। कृष्ण ने अपनी ताकत से झांझी को पैदा किया और टेसू से उसका ब्याह रचाया। एक अन्य किंवदंती के अनुसार बभ्रुवाहन भीम का पुत्र, बहुत शूरवीर और दानी व्यक्ति था। कृष्ण को यह डर था कि अगर बभ्रुवाहन कौरवों के साथ मिल गया तो पांडव हार जाएँगे। कृष्ण एक दिन ब्राह्मण के वेश में उसके पास गए और उससे कहा कि यदि तु दानी है तो अपना सिर काटकर मुझे दान में दे दे। बभ्रुवाहन ने सिर काटकर दे दिया, मगर यह प्रार्थना की कि इसे किसी ऐसे स्थान पर टांग दिया जाए जहां से मैं महाभारत का युद्ध देख सकूं। कृष्ण ने उसका सिर पेड़ पर टाँग दिया, जहाँ से युद्धभूमि साफ़ दिखाई देती थी। लेकिन जब भी पांडवों और कौरवों की सेनाएँ लड़ने के लिए पास आती थी, बभ्रुवाहन इतने जोर से हंसता था कि दोनों ओर की सेनाएँ डर कर पीछे हट जाती थीं और युद्ध शुरू न हो सका। कृष्ण ने यह सोचकर कि इस तरह तो महाभारत का युद्ध कभी शुरू नहीं होगा, उस शाखा में जिसमें बभ्रुवाहन का सिर रखा था दीमक लगा दी। शाखा टूट गई और सिर नीचे गिर पड़ा। नीचे से वह युद्ध नहीं देख सकता था इसलिए महाभारत का युद्ध शुरू हो सका।

टेसू को कुम्हार तीन खपचियों का स्टैण्ड-सा बनाकर उसके ऊपर रख देते हैं। नीचे दीया रखने की जगह होती है। कई कुम्हार एक छोटे-से टेसू को घोड़े पर बिठाकर उसके हाथ में एक तलवार भी पकड़ा देते हैं। दिल्ली में ऐसे भी टेसू देखने में आते थे जो किसी राक्षस की मूर्ति की तरह भयानक शक्ल के होते थे, क्योंकि एक किंवदंती के अनुसार टेसू एक राक्षस भी था। बच्चे टेसू उठाकर घर-घर जाकर पैसे मांगते थे। बहुत छोटे बच्चे टेसू का पूरा गीत तो नहीं गा सकते थे, मगर इतना जरूर गाते-

मेरा टेसू यहीं अड़ा खाने को मांगे दहीबड़ा

दही बड़े में पन्नी घर दे भाई अठन्नी

कई बच्चे यह छोटा गीत गाते थे-

मेरा टेसू यहीं अड़ा, खाने को माँगे दही बड़ा

दही बड़े में मिरचें बहुत, आगे देखो क़ाज़ी हौज

काजी हौज पर चली छुरी, आगे देखो फतेहपुरी

फतेहपुरी पर उड़ा चिड़ा, आगे देखो लाल किला

लाल क़िले में बैठा नाई, आगे देखो जमना माई

टेसू का यह गीत भी घरों में और गलियों में गाया जाता था-

टेसू आए घर के द्वार, खोलो रानी चंदन किवाड़

चंदन किवाड़ में रोड़ी घर घर बाँटे कोड़ी

कोर कोर के टके बनाएं इन गलियों में चुनने आएं

चनना मनता किया सिंघार, मोम की छाती धरा अंगार

स्मिता के पांचों भाई मारते मारते खबर आई

खबर आई सरया सूनी सारया सूनी बड़ा बलाव

जिस पर बैठे टेसू राव टेसू राव के सात बोहड़िया

मन मन पीसें दस गन खाएँ बड़े मल्ल से लड़ने जाएं

बड़े मल्ल की पातन छुरी सौ सौ कंबल सौ सौ तीर

एक तीर मैंने माँग लिया चढ़ घोड़े पर सलाम किया

मारूंगा जी मारूंगा, जा दिल्ली पुकारुंगा

जा दिल्ली के काले कोट, मार सिकंदर पहली चोट

जा रखा चूल्हे ओट चूल मांगे सौ सौ रोट

एक रोट घट गया, चूल्हा बेटा नट गया

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