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गारी गीत:
आचार्यश्री सुदर्शनजी महाराज द्वारा रचित यह गाली (गारी) गीत बड़ा ही सरस और मोहक है। सीता की बहनें और सखियां अपने जीजा श्रीराम से मजाक करते हुए पूछती हैं कि ऐ दूल्हा! हम लोगों ने सुना है कि आपके पिता महाराज दशरथ तीन-तीन शादियां कर चुके हैं।
आपकी बहन शृंगी ऋषि की प्यारी बन गईं और सबसे दिलचस्प बात यह बताइए कि अवध में खीर खाकर कैसे संतान की उत्पत्ति हो जाती है?
प्रस्तुत गीत में जीजा-साली का मधुर संवाद है। यह गीत भारत की लोक संस्कृति को जगमग करती है-
रामजी से पूछे, जनकपुर के नारी
बता द बबुआ, लोगवा देत काहे गारी
राजा दशरथ हईं, चतुर खेलाड़ी
हैं शक्तिशाली पर प्रेम के पुजारी
है खुद अकेले कयलन तीन-तीन गो नारी….
बता द बबुआ, लोगवा देत काहे गारी
गइलन विपिन में बनके शिकारी
बनवलन सुवक्षा के तोहर महतारी
रघुवर के वंश में इ केहन सदाचारी
बता द बबुआ, लोगवा देत काहे गारी
बहिन तोहर दूल्हा श्रृंगी के प्यारी
लोकलाज छोड़ के बनलन ऋषिनारी
कइसन है रीत दूल्हा अवध के न्यारी
बता द बबुआ, लोगवा देत काहे गारी
खीर पूड़ी खा के कइसे भेल पांव भारी
ब्रह्मा के सृष्टि उलट गेल सारी
कहत ‘सुदर्शन’ कइसे भेल सुत चारी
बता द बबुआ, लोगवा देत काहे गारी …।