delhi university research

डीयू, एम्स, आइआइटी तिरुपति और टेरी के अध्ययन में आया सामने

खुले में काम करने वालों के स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव का किया गया अध्ययन

दिल्ली के विभिन्न इलाकों में करीब 20 जगहों के लोग अध्ययन में शामिल

Delhi university research वायु प्रदूषण की समस्या दिनों दिन सुरसा के मुंह की तरह बड़ी होती जा रही है। दिल्ली में हालात किस कदर बिगड़ रहे हैं, इसका अंदाजा तो इसी से लगाया जा सकता है कि यहां स्कूल, कालेज बंद करने की नौबत तक आ चुकी है। वायु प्रदूषण यहां के बाशिंदों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाल रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय, एम्स (पल्मोनरी विभाग), आइआइटी तिरुपति और टेरी स्कूल आफ एडवांस स्टडीज के शोधार्थियों ने दिल्ली के 20 जगहों पर खुले में काम करने वालों के स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभावों का अध्ययन किया।

अध्ययन में शामिल साठ से अधिक लोगों का पीएफटी(पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट)भी किया गया। पता चला कि सिरदर्द, आंखों में जलन, आंखें लाल होना, बैक पेन के अलावा फेफड़े को भी प्रभावित कर रहा हैं। खुले में काम करने वालों के फेफड़े भी कमजोर पाए गए। यह अध्ययन हाल ही में अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका स्प्रिंगर जर्नल में भी प्रकाशित हुआ है। Delhi university research

228 लोगों पर अध्ययन
Delhi university research : शोधार्थियों ने खुले आसमान के नीचे अधिकतर समय काम करने वाले कर्मियों पर वायु प्रदूषण के प्रभाव का अध्ययन किया। आटो रिक्शा चालक, स्ट्रीट वेंडर और स्वीपर अध्ययन में शामिल किए गए। कुल 228 लोगों के स्वास्थ्य का मूल्यांकन किया गया। इसके अलावा अध्ययन में शामिल 63 लोगों का पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट यानी पीएफटी भी किया गया। 47 प्रतिशत आटो रिक्शा चालक, 47 प्रतिशत वेंडर और 48 प्रतिशत स्वीपर ने माना कि स्वास्थ्य पर प्रदूषण का असर परिलक्षित हो रहा है। पता चला कि अधिकतर सिरदर्द, कमजोरी मांसपेशियों में ऐंठन, सिरदर्द, आंखों में जलन आदि से जूझ रहे हैं।

आटो रिक्शा चालक सबसे अधिक आंखं संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। 43 प्रतिशत ने आंख लाल होने जबकि 36 प्रतिशत ने आंख में जलन की बात कही। वहीं 35 प्रतिशत स्वीपर ने कंधे में दर्द और 38 प्रतिशत ने बैक पेन से ग्रसित होना बताया। वेंडर यानी विक्रेताओं की बात करें तो 40 प्रतिशत के आंख लाल होने और 43 प्रतिशत के सिरदर्द से जूझने का पता चला। अध्ययन में यह भी निकलकर आया कि फेफड़े ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे हैं। Delhi university research

इन जगहों पर हुए अध्ययन
औद्योगिक इलाके—नारायणा, वजीरपुर, ओखला।
आवासीय इलाके—द्वारका, जनकपुरी, पीतमपुरा, रोहिणी, राजौरी गार्डन, आनंद विहार, पंजाबी बाग, लक्ष्मीनगर, सिरीफोर्ट, वसंत कुंज, आरकेपुरम, मयूर विहार।
व्यवसायिक इलाके—इनकम टैक्स आफिस, नेहरू प्लेस, आनंद विहार, कनाट प्लेस।

अध्ययन की खास बातें
-आटो रिक्शा चालक दिनभर में 47 प्रतिशत समय घर से बाहर गुजारते हैं।
-स्ट्रीट वेंडर—48 प्रतिशत समय बाहर रहते हैं।
-स्वीपर–35 प्रतिशत समय घर से बाहर रहते हैं।
-अध्ययन में शामिल लगभग सभी लोगों ने सांस फूलना, खांसी की शिकायत की।
-आंखें लाल होना, पानी आना सरीखे लक्षण भी सामान्य।

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