-इंद्रप्रस्थ कालेज की छात्राओं ने महारानी के सामने इंकलाब जिंदाबाद का नारा किया बुलंद
ब्रितानिया हुकूमत के खिलाफ जनमानस में भड़कती आग को 1857 के आंदोलन ने मानों हवा दे दी। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र पूरी तरह से दिल्ली हो गया। चांदनी चौक से लेकर नजफगढ़ तक अंग्रेजों के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों की लहर दौड़ पड़ी। जगह जगह टोलियां अंग्रेजों के खिलाफ नारेबाजी करते। आजादी की लड़ाई की खासियत दिल्ली के युवाओं की भागीदारी थी। महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन हो या अंग्रेजों भारत छोड़ो या फिर दिल्ली चलो। इन सभी आंदोलनों में युवाओं ने खासकर दिल्ली के नगर निगम, कालेज के छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। देशभक्ति की लहरें इस कदर उफान पर थी कि छात्राओं का एक समूह महारानी के सामने इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाने से भी नहीं डरा। स्कूली ड्रेस पर भगत सिंह की तस्वीरें लगा छात्रों ने प्रदर्शन में अपनी सहभागिता उपस्थित की। दिल्ली के सेंट्रल पार्क में यूथ फेस्टिवल में दिल्ली अभिलेखागार विभाग ने आजादी के आंदोलनों में भाग लेने वाले ऐसे ही बहादुर छात्रों की वीर गाथाओं की प्रदर्शनी लगाई थी।
राष्ट्रीय जंग के लिए सैनिक तैयार करने की कोशिश
देहली विद्यार्थी संघ ने आजादी की लड़ाई के लिए युवाओं का आह्वान करते हुए 1938 में एक पंपलेट पूरे शहर में बंटवाया था। दरियागंज स्थित कमर्शियल कॉलेज हास्टल से बांटे गए इस पर्चे में छात्रों को देहली विद्यार्थी संघ से जुड़ने की अपील की गई थी। लिखा गया था कि राष्ट्रीय जंग के लिए सैनिक तैयार करने, छात्रों की फीस कम कराने, जुर्माना बंद करने, अनिवार्य शिक्षा की कोशिश, गाली और बेंत के खिलाफ लड़ना, अच्छी लाइब्रेरी की मांग, जाति-पाति का भेद नहीं करता समेत विद्यार्थियों में जुल्म करने वालों के खिलाफ लड़ेगा। इस तरह 21 प्रमुख बिंदू बताए गए थे जिनके आधार पर छात्रों को जुड़ने की गुजारिश की गई थी।
बटन पर भगत सिंह की तस्वीर
5 नवंबर 1930 सीआइडी के पुलिस अधीक्षक ने डिप्टी कमिश्नर को पत्र लिखा था। जिसमें कहा कि मुझे एक विश्वसनीय सूत्र ने यह बताया है कि चंद दिन पहले ही नई दिल्ली स्थित एमबी हाईस्कूल के नौवीं के छात्रों ने आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया है। कक्षा में राजनीतिक गतिविधियां अंजाम दी गई। छात्रों ने ना केवल शर्ट की बटन पर भगत सिंह और दत्त की फोटो लगाई बल्कि उनकी तस्वीरें भी कक्षा में लगाई गई। यह भी देखा गया कि प्रधानाचार्य डोला राम ने कक्षा से तस्वीरें हटाने में भी देरी की है।
क्रांतिकारियों की मदद के लिए थियेटर
दिल्ली विद्यार्थी संघ ने आजादी के मतवालों की मदद के लिए 10 नवंबर 1938 को थियेटर का निर्णय लिया। न्यू रॉयल सिनेमा हाल में नाटक तय हुआ। जिसमें दिल्ली के विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने नाटक किया। साथ ही क्लासिकल और मार्डन डांस का भी आयोजन हुआ। थियेटर के टिकट चांदनी चौक में गांधी आश्रम, न्यू एशियाटिक एलेक्टि्रक, कांग्रेस आफिस में मिल रहे थे। जबकि दरीबा कलां में फेडरेशन के आफिस व नई दिल्ली में रमेश बुक डिपो में थियेटर के टिकट खरीदे गए। जबकि टिकट का दाम 1, 2, 3, 5 और 10 रुपया रखा गया था।
500 छात्रों की बनाई रिपोर्ट
ब्रितानिया हुकूमत स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने की भरपूर कोशिश कर रही थी लेकिन दिल्ली के विभिन्न स्कूलों, कालेजों के छात्र बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे थे। दिल्ली प्रोविंस के क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन विभाग के एडिशनल सुपरिटेंडेंट ने एक गोपनीय रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट में 500 छात्रों, अध्यापकों के नाम थे जो आजादी के लिए संघर्ष कर रहे विभिन्न दलों से जुड़े थे। रिपोर्ट में कहा गया कि विश्वसनीय सूत्रों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें निम्न स्कूलों के छात्रों, अध्यापकों का नाम था।
बंगाली कालेज–तरुनी बनर्जी, गोपीनाथ मित्र।
कमर्शियल हाईस्कूल–दुर्गा दास, टीकाराम, राम सिंह, सुकमन बनर्जी।
कमर्शियल कालेज, दरियागंज–केसी वर्मा, केतन प्रकाश।
हिंदू कालेज–काशीराम, नंद किशोर निगम।
लॉ कॉलेज–अजाज हुसैन।
रामजस कालेज दरियागंज–सम्पूर्ण सिंह, लेखराज, चिरंजी लाल, सत्यपाल, शिव चरन लाल, रामप्रकाश।
सेंट स्टीफंस कालेज–इकबाल हुसैन।
छात्रों की संख्यावार लिस्ट
स्कूल कालेज–छात्रों की संख्या
कमर्शियल कालेज–100
कमर्शियल हाईस्कूल–50
हिंदू कालेज–200
रामजस–100
रामजस हाईस्कूल–50
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छात्रों से भावुक अपील
देहली विद्यार्थी संघ ने एक अपील जारी की थी कि सभी छात्र, युवा आंदोलनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले। इसमें कहा गया कि चीन, फ्रांस, इजिप्ट जैसे देश अपने बौद्धिक संपदा के संरक्षण के लिए तत्पर है। दिल्ली के छात्रों को भी आगे बढ़ना चाहिए और आजादी के जंग में कूदना चाहिए। बकायदा, दिल्ली के कालेजों में छात्रों को बतौर प्रतिनिधि नियुक्त किया गया जिनके कंधों पर सदस्य नियुक्त करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
इन छात्रों को सौंपी गई जिम्मेदारी
सेंट स्टीफंस कालेज–प्रकाश नारायण, करन सिंह, मुकुनुद्दीन फारुखी, शिवनारायण।
हिंदू कालेज–कंवर लाल, ईश्वर चंद, कैलाश नारायण, शिवदास।
कमर्शियल कालेज–यगदूत शर्मा, हृदय नाथ।
अरेबिक कालेज-शमीम, मुस्ताक अहमद,
इंद्रप्रस्थ गर्ल्स कालेज–विमला वर्मा, प्रेम मुखी।
जामिया मिलिया–बरकत अली, इस्माइल मोहम्मद।
रामजस–आरपी मिश्रा, प्रेमनाथ।
तिबिया कालेज–मो सरदार।
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छात्राओं ने महारानी के सामने बुलंद की आवाज
7 दिसंबर 1942 को भारत सरकार के सचिव ने महारानी को पत्र लिखा। जिसमें वो लिखते हैं कि इरविन स्टेडियम में दिल्ली ओलंपिक एसोसिएशन ने महिला खेलकूद का आयोजन किया गया था। महारानी खुद इस आयोजन में शरीक होने आयी थी। लेकिन अचानक उनके सामने इंद्रप्रस्थ कालेज की छात्राओं का एक समूह आया और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने लगा। अपने पत्र में सचिव ने इसे कोल्ड ब्लड घटना करार देते हुए महारानी को लिखा कि वो इंद्रप्रस्थ कालेज को सलाना दिया जाने वाला अनुदान 5003 रुपये रोकने पर भी विचार कर रहे हैं। यही नहीं इसकी एक उच्च स्तरीय जांच भी कराई जा रही है ताकि उन छात्राओं की पहचान हो सके। पूरी घटना विस्तार से बताते हुए लिखा गया है कि 4 दिसंबर को महारानी तीन बाजर 45 मिनट पर स्टेडियम में दाखिल हुई। उनके दांयी तरफ के सीट से दो मिनट तक छात्राओं ने नारे लगाए।