बर्मन दा की सीख पूरी जिंदगी आई काम

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

बॉलीवुड की लीजेंडरी गायिका अनुराधा पौडवाल का सफर, जो कभी डर और घबराहट से भरा हुआ था, आज एक प्रेरणा बन चुका है। अपनी शुरुआत के समय में जहां उन्हें संगीत में करियर बनाने को लेकर संकोच था, वहीं आज उनकी आवाज़ भारतीय सिनेमा का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। अनुराधा पौडवाल का यह सफर केवल संघर्ष नहीं, बल्कि एक ऐसी कहानी है जो दर्शाती है कि कैसे आत्मविश्वास और समर्पण से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है।

शुरुआती संघर्ष: पारिवारिक दवाब और संगीत के प्रति प्रेम

अनुराधा पौडवाल का जन्म एक मिडिल क्लास महाराष्ट्रीयन परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें संगीत में गहरी रुचि थी, और यह उनके पिता ने देखा भी था। उनके पिता, जो संगीत को लेकर खासे संवेदनशील थे, ने उन्हें संगीत की शिक्षा दी। लेकिन एक अजनबी कारण के चलते वे नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी फिल्मों में गायिका बने। उनके पिता का मानना था कि संगीत एक उच्च प्रतिष्ठा वाला कार्य है, और फिल्म इंडस्ट्री में सफलता पाना उतना आसान नहीं था।

हालांकि, अनुराधा ने अपने पिता की इच्छाओं का आदर करते हुए भी अपनी संगीत यात्रा को जारी रखा। उनका मानना था कि संगीत उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा है, और वह इसे खुद से दूर नहीं कर सकतीं। उनके जीवन में एक मोड़ तब आया जब उन्होंने शादी कर ली और उनके पति, अरुण पौडवाल, जो खुद एक संगीतकार थे और एचडी बर्मन के सहायक के रूप में काम कर चुके थे, ने उन्हें संगीत के क्षेत्र में और अवसर दिए।

पहली रिकॉर्डिंग: घबराहट और आत्मविश्वास की शुरुआत

अनुराधा का करियर उस समय एक नए मोड़ पर आया जब 1973 में फिल्म बर्मन दा ने “अभिमान” के लिए शंकर भगवान के एक श्लोक की रिकॉर्डिंग करनी थी। लता मंगेशकर, जो उस समय फिल्म के लिए रिकॉर्डिंग कर रही थीं, अनुपस्थित थीं। यह मौका बर्मन दा ने अनुराधा को दिया, हालांकि वह इस अवसर के लिए बहुत घबराई हुई थीं। उनके अंदर डर था कि क्या वह इस विशाल जिम्मेदारी को निभा पाएंगी?

यह वह क्षण था जब एचडी बर्मन ने उन्हें प्रेरित किया। उन्होंने अनुराधा से कहा, “तुम अभी छोटी हो, लेकिन जब तुम बड़ी हो जाओगी, तो तुम महसूस करोगी कि तुम कुछ भी नहीं हो।”  बर्मन दा के ये शब्द अनुराधा के लिए अमृत जैसे साबित हुए। उन्होंने अपनी घबराहट को दूर किया और श्लोक को बेहतरीन तरीके से रिकॉर्ड किया।

यह अनुभव उनके लिए एक जीवन बदलने वाला मोड़ साबित हुआ, क्योंकि इस रिकॉर्डिंग के बाद उनकी आवाज़ को गंभीरता से लिया जाने लगा।

करियर में मील का पत्थर

बर्मन दा “अभिमान”बर्मन दा  फिल्म के बाद अनुराधा को बॉलीवुड के प्रमुख संगीतकारों से काम मिलने लगा। म्यूजिक डायरेक्टर्स जैसे बर्मन दा, लक्ष्मी कान्त प्यारेलाल  ने उनके बेहतरीन गायन को पहचाना और उन्हें गाने का मौका दिया।

अनुराधा के करियर की सफलता का सबसे बड़ा राज उनका निरंतर मेहनत और आत्मविश्वास था। वह मानती हैं कि उनका सबसे बड़ा गाना जो उनकी पहचान बना, वह बर्मन दा “अभिमान”बर्मन दा  के संस्कृत में गाए श्लोक से ही शुरू हुआ। बर्मन दा के शब्द हमेशा उनके साथ रहे, और उन्होंने अपने करियर के दौरान इन्हें अपनी प्रेरणा के रूप में इस्तेमाल किया।

सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच

आज अनुराधा पौडवाल भारतीय फिल्म उद्योग की एक प्रतिष्ठित गायिका हैं। उन्होंने अपनी आवाज़ से सिनेमा की कई बड़ी हिट फिल्मों में चार चाँद लगाए हैं। उनका मानना है कि उनकी सफलता का राज केवल उनकी मेहनत नहीं, बल्कि उनके पति अरुण पौडवाल और एचडी बर्मन जैसे दिग्गजों की प्रेरणा भी है।

अनुराधा पौडवाल के संघर्ष की कहानी आज भी कई गायिकाओं और संगीतकारों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उन्होंने हर हालात में अपने सपनों का पीछा किया और साबित किया कि अगर दिल में जुनून हो, तो कोई भी मुश्किल रास्ता सफलता की ओर नहीं बढ़ने से रोक नहीं सकता।

प्रेरणा का संदेश

अनुराधा का संदेश है, बर्मन दा “अगर आप किसी चीज़ को पूरे दिल से चाहते हैं, तो उसे प्राप्त करना कठिन नहीं होता। सफलता के रास्ते में संघर्ष आएंगे, लेकिन आपको कभी हार नहीं माननी चाहिए।”बर्मन दा

अनुराधा का यह सफर एक प्रतीक है उस महिला के, जिसने अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से अपने सपनों को पूरा किया, और आज वह उन तमाम युवा गायकों के लिए एक आदर्श बन चुकी हैं, जो बॉलीवुड में अपनी जगह बनाना चाहते हैं।

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