बाढ़ रोकने और सूखे से बचाव में सहायक बनेगा मानचित्र

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) में 13 दिसंबर को ‘भारत के लिए जिला स्तरीय जलवायु जोखिम आकलन’ रिपोर्ट जारी की गई। इस रिपोर्ट में देशभर के 698 जिलों में बाढ़ और सूखे के खतरे, जोखिम और संवेदनशीलता का गहन विश्लेषण किया गया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा समर्थित और स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन के सहयोग से यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे के बीच देश में बाढ़ और सूखे से प्रभावित जिलों का आकलन करने के लिए आईआईटी मंडी, आईआईटी गुवाहाटी और सीएसटीईपी बेंगलुरु ने मिलकर एक रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट जिला स्तर पर बाढ़ और सूखे के खतरे को मापने का मानचित्रण प्रस्तुत करती है।

रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ के 50 जिलों और सूखे के 91 जिलों को ‘बहुत उच्च’ जोखिम श्रेणी में रखा गया है। दिलचस्प बात यह है कि 11 जिले ऐसे हैं जो बाढ़ और सूखे दोनों के ‘बहुत उच्च’ जोखिम में हैं। इनमें पटना (बिहार), अलपुझा (केरल), और मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) जैसे प्रमुख जिले शामिल हैं।

रिपोर्ट का महत्व
इस रिपोर्ट में हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए अलग-अलग जिला स्तरीय मानचित्र तैयार किए गए हैं, जिनसे राज्य सरकारों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने और जोखिम प्रबंधन की योजना बनाने में मदद मिलेगी।

डीएसटी की सीईएसटी प्रभाग प्रमुख डॉ. अनीता गुप्ता ने कहा कि रिपोर्ट का उद्देश्य उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में अनुकूलन रणनीति विकसित करना है। उन्होंने स्थानीय समुदायों को संवेदनशील बनाने और सशक्त करने के लिए जागरूकता अभियानों की योजना पर जोर दिया।

प्रमुख आंकड़े और निष्कर्ष

  • बाढ़ जोखिम: 50 जिले ‘बहुत उच्च’ और 118 जिले ‘उच्च’ बाढ़ जोखिम श्रेणी में।
  • सूखा जोखिम: 91 जिले ‘बहुत उच्च’ और 188 जिले ‘उच्च’ सूखा जोखिम श्रेणी में।
  • दोहरा जोखिम: बिहार, असम, केरल, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के 11 जिलों में बाढ़ और सूखे का दोहरा खतरा।

कार्यक्रम में उपस्थिति
कार्यक्रम में आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा, आईआईटी गुवाहाटी के निदेशक प्रो. देवेन्द्र जलिहाल, और स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन के वरिष्ठ सलाहकार पियरे-यवेस पिटेलोड समेत कई प्रमुख विशेषज्ञ और नीति निर्माता उपस्थित थे।

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