Gold Rate Today: ग्लोबल संकेतों और फेड पॉलिसी से निवेशकों को राहत

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Gold Rate Today: सोने की कीमतों में एक बार फिर तेजी देखने को मिल रही है। वैश्विक बाजारों से मिले सकारात्मक संकेतों, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव और फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दर कटौती ने गोल्ड को नई मजबूती दी है।

बीते दिन की गिरावट के बाद निवेशकों में यह सवाल उठ रहा था कि क्या गोल्ड का बुलिश ट्रेंड थम गया है, लेकिन 8 अप्रैल को आई तेजी ने इस आशंका को दूर कर दिया। घरेलू बाजार में भी एमसीएक्स पर सोना ₹88,000 प्रति 10 ग्राम के पार चला गया, जो निवेशकों के लिए एक मजबूत संकेत है कि सोने में अभी और बढ़त बाकी है।

ग्लोबल मार्केट से गोल्ड को मिली मजबूती

सोने की कीमतों में एक दिन की गिरावट के बाद फिर से मजबूती देखने को मिली है। 8 अप्रैल को इंटरनेशनल मार्केट में सोना 0.5% की तेजी के साथ $2,996.6 प्रति औंस तक पहुंच गया, जबकि यूएस गोल्ड फ्यूचर्स 1.3% उछलकर $3,010.70 प्रति औंस पर ट्रेड कर रहा था। यह रुझान दर्शाता है कि निवेशक अभी भी गोल्ड को सुरक्षित निवेश विकल्प मान रहे हैं।

भारत में भी एमसीएक्स पर सोने की कीमतों में उछाल

घरेलू बाजार में भी गोल्ड की चमक लौट आई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने की कीमत ₹1,103 यानी 1.28% की बढ़त के साथ ₹88,045 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई। बीते दिन 7 अप्रैल को सोने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन अब बाजार में फिर से तेजी का माहौल बन गया है।

गिरावट की असली वजह क्या थी?

7 अप्रैल को आई गिरावट के पीछे अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर का तनाव प्रमुख कारण था। ट्रंप प्रशासन की टैरिफ पॉलिसी के जवाब में चीन ने भी कड़े टैरिफ लागू कर दिए, जिससे ग्लोबल मार्केट्स में डर का माहौल बना। इसका असर न सिर्फ गोल्ड बल्कि क्रूड ऑयल और शेयर बाजारों पर भी पड़ा। इस गिरावट को एनालिस्ट्स ने ‘प्रॉफिट बुकिंग’ बताया, जो किसी एसेट में लंबी तेजी के बाद स्वाभाविक मानी जाती है।

फेडरल रिजर्व की नीतियों से सोने को मिला समर्थन

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा दिसंबर तक ब्याज दरों में 93 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती की उम्मीद जताई जा रही है। इससे डॉलर में कमजोरी आएगी और गोल्ड को सपोर्ट मिलेगा। निवेशकों की नजर अब अमेरिकी इकोनॉमिक डेटा पर है, जो सोने की दिशा तय करेगा।

निवेशकों के लिए क्यों जरूरी है गोल्ड में संतुलित निवेश

बाजार में अनिश्चितता और महंगाई के दौर में गोल्ड को एक सुरक्षित आश्रय माना जाता है। विशेषज्ञों की सलाह है कि किसी भी इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में 10-15% गोल्ड होना चाहिए। यह न केवल रिस्क को कम करता है, बल्कि लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न देने की क्षमता भी रखता है।

आगे क्या रहेगा गोल्ड का ट्रेंड?

एनालिस्ट्स का मानना है कि गोल्ड में तेजी का यह सिलसिला जारी रह सकता है, खासकर तब जब अमेरिका और चीन के बीच तनाव बना रहे और फेड की नीति नरम बनी रहे। साथ ही, अगर किसी अन्य ग्लोबल क्राइसिस ने दस्तक दी तो गोल्ड की चमक और बढ़ सकती है।

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