महमूद को संघर्ष के दिनों में गुरुदत्त ने अपनी फिल्म प्यासा में एक रोल दिया था। फिल्म की शूटिंग के दौरान महमूद काफी शांत रहते थे लेकिन धीरे-धीरे वह गुरुदत्त साहब के ग्रुप में घुल मिल गए, ग्रुप के सभी सदस्यों के साथ उनकी ट्यूनिंग सही बन गई। इसी ग्रुप के जॉनी वॉकर भी थे।
गुरुदत्त साहब को महमूद के एक अंधविश्वास के बारे में पता चला। महमूद दरअसल बहुत अंधविश्वासी थे। यदि कोई उनकी नाक को हाथ लगा दे, नाक छू ले तो वो इसे अपशगुन मानते थे। गुरुदत्त साहब को एक मजाक सूझा। उन्होंने अपने ग्रुप के कुछ सदस्यों से बात की। तय हुआ कि महमूद साहब के साथ मजाक किया जाए।
अब हुआ यह कि जैसे ही महमूद स्टूडियो पहुंचे, ग्रुप का सदस्य पास पहुंचा और उनकी नाक को छू लिया। महमूद परेशान हो गए क्योंकि वह इसे अपशगुन मानते थे। जब तक नाक छूने वाले की वह खुद नाक नहीं छू लेते तब तक यह अपशगुन नहीं मिटता। अब हुआ यह कि महमूद साहब को शॉट देना था लेकिन वह तैयार नहीं हो रहे थे।
वो यह चाहते थे कि शूटिंग से पहले अपशकुन मिट जाए। जब तक अपशगुन नहीं मिट जाता वो शूटिंग नहीं करेंगे। अब काफी देर तक यह जद्दोजहद चलती रही। बाद में महमूद पहुंचे गुरुदत्त साहब के पास। गुरुदत्त से मिलकर उन्होंने सारी बात बताई। गुरुदत्त साहब ने स्टाफ के सदस्य को पास बुलाया तो महमूद ने उसकी नाक छू और इस तरह उनका अपशगुन हटा। लेकिन बाद में जब उन्हें पता चला कि यह सब गुरुदत्त साहब ने ही कराया है तो स्टाफ गुरुदत्त साहब और खुद महमूद भी जोर जोर से हंसने लगे।