यह स्थान गुरु गोविंद सिंह जी की यादगार है। यह हुमायूं के मकबरे की ऐन पुश्त पर मकबरे से मिला हुआ है। इमारत छोटी-सी है। द्वार से दाखिल होकर अंदर एक सायबान पड़ा है। उसके नीचे जो कमरा है, उसमें गुरु महाराज, बहादुर शाह के काल में एक बार आकर ठहरे थे। इस स्थान का नाम इसीलिए दमदम साहब पड़ा, चूंकि गुरु महाराज ने यहां आकर विश्राम लिया था।
यहां बादशाह की फौज ने अपने कुछ करतब दिखाए थे, जिन्हें बादशाह और गुरु साहब ने बहुत पसंद किया था। बादशाह ने कहा- क्या ही अच्छा होता, यदि उनकी फौज ने भी अपने कुछ करतब दिखाए होते। रिवायत है कि गुरु ने एक भैंसे को मंगा भेजा और बादशाह के मस्त हाथी से उसका मुकाबला करवा दिया, जिसमें जीत भैंसे की हुई। यहां हर वर्ष होला मोहल्ला मनाया जाता है। यहां गुरु महाराज के बैठने की बैठक है और एक स्थान में ग्रंथ साहब रखे हैं।