हौजखास विलेज की चढ़ती सड़क के दोनों ओर चटख रंगों व रंगीन लाइटों से सजी रेस्तरां की दीवारों के पीछे सात समंदर पार के जायकों का अनूठा संसार बसा हुआ है। हर कदम पर नए अंदाज के साथ नए जायको का स्वाद चखा जा सकता है। यहां सात समंदर पार से आए सैलानी भी अपनापन महसूस करते हैं। ऐसा हो भी क्यों न, हौजखास की गली में हर देश के व्यंजनों का स्वाद जो छुपा है जो हर दिल अजीज भी है। इस जायके के संसार में गोते लगाने दिल्ली वासी भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं और विदेशी जायकों का लुत्फ उठाते हैं। फिरोजशाह तुगलक काल के स्मारकों से तारूफ कराने वाली इस सड़क पर जायकों का संसार भी बस गया है। हौजखास अपने सतरंगी जायकों के कारण विदेशों में भी अपनी खास जगह बना ली है।

हौजखास विलेज के बैरियर को पार करते हुए ही इस स्थान की चमक दमक आपको एक पल के लिए आकर्षित कर देगी। पार्किग की शुरुआत में ही रेस्तरां के बड़े बड़े होर्डिग व उस पर बने व्यंजन आपकों इन्हें ढूंढने पर मजबूर कर देगी। उस पर चुंबक, मकीना, चायोस जैसे कुछ अटपटे नाम के नेम प्लेट इन दुकानों में झांकने पर मजबूर होना पड़ेगा। जैसे जैसे सड़क अंदर की ओर जाएगी वैसे वैसे जायकों के साथ कुछ पेंटिंग्स, एंटीक, गिफ्ट शॉप भी आपसे बातें करते दिखाई देंगे। शीशे की दीवारों के अंदर झांक कर इन पेंटिंग्स का दीदार भी कर सकते हैं। विदेशी बाजारों की तरह हर एक रेस्तरां के बाहर पीले, लाल, नारंगी, हरे रंग जैसे चटक रंगों में एलईडी लाइट्स का इस्तेमाल किया गया है। जानकार बताते हैं कि चटक रंग भूख बढ़ाते हैं। इसलिए जायकों में भी व्यंजनों को आकर्षक रखा जाता है।

अरब देशों की तहजीब से तारूफ

इस सड़क पर फारसी नाम का एक रेस्तरा भी है जो अपने नाम को चरितार्थ करता दिखाई देगा। फारसी स्टाइल में इस रेस्तरां के गेट का डेकोरेशन किया गया है। आर्क नूमा दरवाजे पर बारीक बेलबूटे के डिजाइनों में लगे नीले रंग की लाइट हर किसी को एक नजर के लिए अपनी ओर खींच लेता है। कदम रूक से जाते हैं। गेट के बाहर ही इस रेस्तरां के जायकों की लंबी लिस्ट से आप रूपरू होते हैं। यहां टर्की, लेबनीज, और फारसी जायकों का सुस्वाद लिया जा सकता है। इसमें टेकअवे की भी सुविधा है। हर तरह के लीजज कबाब का स्वाद लिया जा सकता है। लेकिन इस रेस्तरां के अंदर बैठ कर इन स्वादों का चखने का मजा कुछ और ही है। टर्किश उद नाम के वाद्ययंत्र के मधुर संगीत के साथ फारसी स्टाइल में सजे इंटीरियर जायकों का लुत्फ दोगुना कर देती है। यहां चिकिन कूबीध रैप के साथ बकलावा, फारसी हलवा जैसे स्वीट डिश का भी लुत्फ उठाया जा सकता है। मांसाहारी खाना खाने के शौकीनों के लिए यकीनन एक नायाब जगह साबित हो सकती है।

पेरीपेरी चिकन का लुत्फ

फारसी जायकों के बाद अब आप थोड़ा दूर साउथ अफ्रीकन जायकों का भी लुत्फ उठा सकते हैं। साउथ अफ्रीका के बार्सिलॉस गांव के नाम पर रखा गया है बार्सिलॉस रेस्तरां का नाम। इस रेस्तरां की खासियत यहां की पेरीपेरी यानी मिर्च है जो साउथ अफ्रीका में उगाई जाती है। रेस्तरां के अंदर पेरीपेरी मिर्च की तस्वीर के साथ बार्सिलॉस के गांव की तस्वीर भी है जिसमें वहां के स्ट्रीट फूड के प्रति लोगों की चाहत की झलक मिलती है। रेस्तरां के अंदर का इंटीरियर भी बार्सिलॉस गांव के टेस्ट से मिलता जुलता है। लकड़ी के फर्नीचर पर करीने से सजे रखे पेरीपेरी सॉस। इन सॉस का लुत्फ हर व्यंजन के साथ लिया जा सकता है। वासको डिगामा की तस्वीर के साथ कुछ राजा की तस्वीरें भी अंदर देखी जा सकती हैं। पेरीपेरी मिर्च से बने सॉस से चिकिन, बर्गर, पास्ता का स्वाद वहां के गीत संगीत के साथ लिया जाता है। इस रेस्तरां की थीम में लोग न केवल यहां के व्यंजन का लुत्फ उठा सकते हैं बल्कि मीलों दूर बसे बार्सिलॉस गांव से भी रूबरू हो सकते हैं। तीखी मिर्च के व्यंजन के साथ यहां के मॉलिक्यूलर ड्रिंक भी कूल हैं। रेस्तरां के मैनेजर फिरोज बताते हैं कि दिल्ली में हौजखास में खुले रेस्तरां को अच्छा रिस्पोंस मिल रहा हैं। इस रेस्तरां के इंटीरियर व अनोखे व्यंजन को चखने के लिए दिल्ली वासी यहां आते हैं। खासकर साउथ अफ्रीका से आए सैलानियों को यहां अपने देश जैसा महसूस होता है।

इसी सड़क पर कुछ कॉन्टीनेंटल रेस्तरां भी हैं जजहां पर ग्रिल व भारतीय व्यंजनों का संगम देखा जा सकता है। विदेशी सैलानियों की पसंदीदा जगह में शुमार हो चुके हौज खास में पाकिस्तानी, अफगानी जायकों का भी लुत्फ उठाया जा सकता है। इसके अलावा यहां चाय के भी कुछ अलग जायके ट्राय किए जा सकते हैं। इस गर्मी के लिए आइस टी के कई फ्लेवर पीए जा सकते हैं। चाओस में चाय के कई फ्लेवर के साथ यहां केक का भी लुत्फ उठाया जा सकता है। इस रोड पर ही तकरीबन 45 से ज्यादा रेस्तरां और जायकों की पोटली है। हर पोटली को चखने के लिए यहां रोजाना आना होगा।

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