हाइलाइट्स

  • गांव में इस समय 30 से अधिक आर्ट गैलरी
  • कश्मीर हाउस में इमारत को शाही बनाने का सभी साजो सामान
  • गांव में मिलती हैं एम एफ हुसैन, फ्रांसिस सूजा, एस एच रजा सरीखे विश्वप्रसिद्ध कलाकारों की पेंटिंग

जब कल्पना की उड़ान को कूचों और रंगों के सहारे कैनवास पर उतारा जाता है तो वो जीवंत हो उठता है। ख्याल, सपने सब ब्लैक एंड वाइट से चटख रंगीन हो उठते हैं। ठीक इसी तरह महरौली से कुछ ही दूरी पर स्थित लाडो सराय गांव के सपने भी रंगीन हो गए हैं। इस गांव को सतरंगी रंगों से रंगने का काम उन आर्ट गैलरियों और कलाकारों ने किया है जिनकी मेहनत और कोशिशों से कला जगत के साथ साथ गांव को नई पहचान मिली है। लाडो सराय गांव अब आर्ट हब हो गया है। दुनिया के नक्शे में अब लाडो सराय एक आर्ट हब के रूप में पहचान बना चुका है।

लाडो सराय, महरौली के कुतुबमीनार से करीब पांच सौ मीटर की दूरी पर ही हिचकोले खाते हुए टूटी सड़क व धूल के बादल गांव के उस गलियारे में ले जाती हैं जहां उम्मीदों में रंग भरे जाते हैं। पेड़ों और ट्रक स्टैंड से होकर गांव की मुख्य सड़क के दोनों ओर आर्ट गैलरी हैं, जिसके बोर्ड दूर से ही देखे जा सकते हैं। कुछ बोर्ड भी गैलरी की तरह खूबसूरत। पेंटिंग्स हब में कारपेट और इंटीरियर का भव्य शो रूम स्वागत करता दिखाई देता है। कश्मीर हाउस में भव्य इमारत के अंदर घर को शाही बनाने का सभी साजो सामान मौजूद है। इस भवन के बाद एक कतार में कई आर्ट गैलरियां हैं। सब में कुछ न कुछ अलग खूबसूरत सोच।

पेंटिंग्स की कल्पना थीम हकीकत से करीब तो, पहुंच से परे भी। कुछ अधूरी ख्वाहिशे, तो कुछ कहते चेहरे। हर एक गैलरी खूबसूरत कल्पना का शहर प्रतीत होता है। आर्ट डिस्ट्रक्ट आर्ट गैलरी में इन दिनों कलाकार गोपाल सांमतरे की ऐसी पेंटिंग्स देखी जा सकती है जो आज से करीब शायद सौ साल आगे की कहानी ब्यान करती प्रतीत होती है। वन्य जीव और विकास के बीच जीवनशैली की खूबसूरत प्रस्तुति। कहीं हिरण सड़कों पर टहल रहा है, तो कही शेर बल्ब की रौशनी में बादलों की ओर देख रहा है। कही बनती बिल्डिंगों के बीच परिंदों की जद्दोजहद। आर्ट गैलरी के प्रबंध निदेशक राजीव धवन ने बताया कि आर्ट गैलरी उभरते हुए कलाकारों को मंच दे रहा है और उनकी कला को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की कोशिश जारी है। साल में यहां करीब बारह कलाकारों को जगह दी जाती है। वहीं, पुरानी आर्ट गैलरी आर्टहोल्कि में छोटे बड़े सभी कलाकारों की पेंटिंग्स देखी जा सकती है। यहां उभरते हुए कलाकारों के साथ- साथ कला जगत के जाने पहचाने नाम बन चुके एम एफ हुसैन, फ्रांसिस सूजा, एस एच रजा, अंजलि इला मेनन, जहर दासगुप्ता, नेक चंद, सतीश गुजराल, नीरज गुप्ता की भी पेंटिंग्स देखी जा सकती है।

आर्ट गैलरी के संस्थापक पंकज साहिनी बताते हैं कि यहां कम रेंट के चलते कला प्रदर्शनी के लिए बड़ी जगह आसानी से मिल जाती है। इसलिए भी यहां इतनी संख्या में गैलरी खुल गई है। सबसे खास बात यहां की यह है कि यहां सब गैलरी में अलग काम देखने को मिलेगा। कही मॉर्डन आर्ट है तो कही कंटेंपररी आर्ट। इस गैलरी से थोड़ा आगे लैटीट्यूड 28 आर्ट गैलरी है जिसमें इन दिनों बच्चों को कला से रूबरू कराने के लिए वर्क शॉप आयोजित की जा रही है। हाल ही में जानी मानी आर्टिस्ट अनुपम सूद ने बच्चों को कैनवास पर रंग भरना सिखाया। गैलरी की संस्थापक भावना कक्कड़ ने बताया कि यहां हर महीने एक अलग आर्टिस्ट की कला की प्रदर्शनी लगायी जाती है। इस गैलरी से खादिम अली, वसीम अहमद, कार्तिक सूद, अनंदिता दत्ता, अनुपम सूद, जैसे कलाकारों की प्रदर्शनी लगाई जा चुकी है। हाल ही में महिलाओं के विभिन्न चेहरो, किरदारों और उसकी शक्ति के रूपों को मिट्टी से उकेरने की बेहतरीन कोशिश की गई। वे बंगाल से यहां अपने भीतर चल रही कल्पना को कैनवास पर मिट्टी से रंग भरे थे। बेहद खूबसूरत कलाकृतियां बनाई थी।

इसी तरह अबस्ट्रैक्ट पेंटिंग की भी कई पेंटिंग्स अब भी गैलरी में लगाए गए हैं। वे बताती हैं कि गैलरी में रोजाना काम होता है लेकिन पेंटिंग्स रोजाना नहीं बिकती। इस गैलरी के बाद एक्जीबिट्स 320, आर्ट पोजिटिव, आर्ट मोटिफ सहित करीब पंद्रह आर्ट गैलरियां हैं। कुछ दूरी पर रिहाइश शुरू हो जाती है और वो रंग बिरंगी रौशनी भी मद्यम होने लग जाती है। यहां छह बजे तक ही आर्ट गैलरी खुलती हैं।

आज से कभी सात सौ साल पहले कुतुबद्दीन एबक ने जब महरौली में कुतुब मीनार बनवाया, तब यहां मुसाफिरों के लिए सराय भी बनवाई होगी। इस गांव में डीडीए फ्लैट्स भभी हैं और आर्ट स्टूडियों भी । अब कुछ इंटीरियर की दुकाने भी खुल गई है।

टूरिज्म विभाग को देना चाहिए ध्यान

पंकज साहिनी आर्टहोल्कि, आर्ट गैलरी

पिछले दस बारह सालों से लाडो सराय गांव की पहचान बन चुके आर्ट गैलरी अपने बल बूते पर ही नाम कमा रही है। यहां के गैलरी में लग रही राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर की कला प्रदर्शनी को किसी भी सरकारी संस्था से मदद नहीं मिल रही है। गांव में जिस तरह का विकास कार्य होना चाहिए वो भी नहीं हो रहा है। अगर आर्ट हब का फेस लिफ्ट किया जाए, थोड़ी सड़कें अच्छी हो जाएं तो इस स्थान को नया लुक मिल जाए। मौजूदा समय में हम सब आर्ट गैलरी संचालक ने मिलकर रोड बनवाई थी और एक साथ नाइट आर्ट कार्यक्रम करते हैं जिसमें तकरीबन सभी गैलरी में कला प्रदर्शनी में भाग लेती है। विभिन्न कलाकारों की पेंटिग्स प्रदर्शित की जाती है। उस शाम को रौनक लगती है। गैलरी अपने स्तर पर ही इस आर्ट हब को जिंदा रखे हुए हैं। यहां दो हजार से लेकर पचास लाख तक की पेंटिग्स भी मिलती है।

कला को सभी तक पहुंचाना मकसद

राजीव धवन, आर्ट डिस्ट्रक्ट

कला की पहचान और महसूस करने वालों के लिए लाडो सराय अनजाना नाम नहीं है। यहां पिछले कई सालों में कुछ आर्ट गैलरियां खुली तो, कुछ बंद भी हो गई। लेकिन आर्ट गैलरी अब भी अच्छा बिजनेस कर रही है। यहां नए कलाकारों को मंच मिल रहा है। जिनकी पेंटिंग्स में सोच और रंगों का बेहतर तालमेल है और आज के लोगों को पंसद आ रही है वो अच्छा बिजनेस कर रहे हैं। विदेशों में भी अच्छी मांग बन रही है। यहां विदेशी कलाकार व कद्रदान आते हैं और उभरते हुए कलाकारों की पेंटिंग्स को खरीद ले जाते हैं।

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