सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की गिनती देश के चुनिंदा कद्दावर नेताओंं में होती है। इटली से भारत के सबसे शक्तिशाली परिवार की बहू बनने तक का सफर भी दिलचस्प है। सोनिया (एडविगे एंटोनियो माइनो) के पिता मुसोलिनी से जुड़े थे तो सोवियत सेना बंदी बना कर ले गयी । वहां रूसी लोगों के बीच में रह कर बेटियों के रूसी नाम रख दिए- अनौष्का, सोनिया और नादिया। फिर वहां से ये अपने गांव लुसियाना लौट गए। यह इटली की आल्प्स श्रृंखला के बीच बसा छोटा सा गांव है, जहां की आबादी तब तीन हजार थी।
विश्व-युद्ध के बाद इटली एक गरीब देश में तब्दील हो चुका था, और अमरीका की मदद से ही कुछ ऊपर उठ रहा था। पढ़ाई तो खैर क्या ही होती! उस जमाने में इटली में भी लड़कियां कम ही पढ़ाई जाती थी। गांवों में मिडल स्कूल होते नहीं थे। सोनिया भी वहां से मीलों दूर एक स्कूल में रह कर पढ़ती थी।
सोनिया ने अंग्रेज़ी पढ़ने के लिये कैम्ब्रिज (इंग्लैंड) के एक स्कूल (cambridge school) में दाखिला लिया। इसी शहर में राजीव (Rajeev Gandhi) मिले। सोनिया के विपरीत राजीव भारत के सबसे शक्तिशाली परिवार से ताल्लुक रखते थे। दून स्कूल से पढ़े थे, फर्राटा अंग्रेज़ी बोलते थे। वह उस ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़ने आए, जहां उनके नाना जवाहरलाल नेहरू पढ़ चुके थे।
पहली नजर में प्यार हो गया
सोनिया ट्रिनिटी के ग्रीक रेस्तरां अक्सर जाती थी, क्योंकि वह इतालवी भोजन के करीब था। वहीं वह ‘वेट्रेस’ बन गयी। वहां एक इतालवी दोस्त के साथ एक दिन राजीव गांधी भोजन करने आए। सोनिया ने लिखा है कि पहली नज़र में ही प्यार हो गया। राजीव का ऐसा कथन नहीं मिलता, लेकिन 1965 की उस पहली मुलाक़ात के बाद वे मिलने ज़रूर लग गए। उनके एक सहपाठी लिखते हैं कि, कैम्ब्रिज में छात्र – छात्रा का अनुपात 12:1 का था, तो इतनी कम लड़कियों में यह कहना गलत न होगा कि सोनिया सबसे सुंदर लड़की थी और ये दोनों सबसे सुंदर जोड़ी।
राजीव रोज साईकिल से उनके घर जाते, और वीकेंड पर अपनी एक सेकंड-हैंड फॉक्सवैगन (वोक्सवैगन) में घूमने जाते। 1965 में ही राजीव सोनिया को लेकर बॉलरूम गए मिलने का यह सिलसिला चलता रहा। इस बीच राजीव भी एक बेकरी में पार्ट-टाइम जॉब करने लगे।