प्रवीण कुमार झा अपनी पुस्तक गांधी परिवार में लिखते हैं कि जगजीवन राम (Jagjivan Ram) आजाद भारत के सबसे कद्दावर दलित नेताओं में से रहे। इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के समय रक्षा मंत्री रहे, और इमरजेंसी के ठीक बाद पाला बदल कर जनता पार्टी की सरकार में पुनः रक्षा मंत्री बन गए। जाहिर है इंदिरा गांधी के लिये यह पीठ में छुरा भोंकने के बराबर था। लेकिन, इसका बदला लेने के फेर में राजनीति अपने रसातल में चली गयी।
जगजीवन राम के पुत्र सुरेश राम गया (बिहार) से विधायक रहे थे। बाद में दिल्ली में उनके साथ ही रहते थे। शादीशुदा थे, बावजूद इसके सत्यवती कालेज (Satyawati college) की एक 20 साल की लड़की से इश्क करते थे। वह जाट थी। यह बताना इसलिये जरूरी है कि उस वक्त जनता पार्टी टूटने की कगार पर थी। जगजीवन राम और जाटों के सिरमौर नेता चौधरी चरण सिंह में प्रधानमंत्री बनने की होड़ मची थी।
प्रवीण लिखते हैं कि अधिकतर रिपोर्टों की सहमति यही है कि चौधरी चरण सिंह (chaudhary charan singh) और राज नारायण ने मिल कर इस खोटे सिक्के को भुनाना चाहा। उन्होंने इस रिश्ते के पीछे स्टिंग करने के लिये लोग लगा दिए। उस जमाने में विडियो तो नहीं, लेकिन पोलरॉयड कैमरा प्रचलित हो गया था। सुरेश राम और सुषमा की बेडरूम तस्वीरें निकल कर आ गयी। जैसे भी आयीं, मगर यह खजाना विपक्षियों के हाथ लग गया। अखबारों के अनुसार के. सी. त्यागी उस समय चरण सिंह के शिष्य हुआ करते थे। वही एक और सहयोगी के साथ मिल कर सुरेश राम की मर्सिडीज गाड़ी से ये फोटोग्राफ उड़ा लाए। फोटो राज नारायण तक पहुंची, जो अब साधु-संन्यासी बनने की राह पर थे और रामायण पाठ करते रहते थे। वह पत्रकारों को इन चित्रों पर काव्यात्मक कमेंट्री देने लगे। मोरारजी देसाई ने देख कर कहा, “क्या है ये? हटाओ इसको मेरे सामने से। ”
चित्र घूम-फिर कर पहुंचे भी तो खुशवंत सिंह (Khuswant Singh) के पास। उनके लिये यह क्या था, बताने की जरूरत नहीं। जगजीवन राम ने उन्हें संदेश भिजवाया कि अगर तस्वीरें नहीं छपीं, तो वे इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) से हाथ मिलाने को तैयार हैं। इंदिरा गांधी ने शर्त रख दी कि वे पहले इस्तीफा दें, और जनता पार्टी का साथ छोड़ें।
आखिर ये नौ चित्र मेनका गांधी (Menka Gandhi) की मैगजीन ‘सूर्या’ में छप गए और लाखों प्रतियां हाथों-हाथ बिक गयी। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार दिल्ली स्टेशन पर पचास रुपए में एक तस्वीर बिक रही थी। लखनऊ में पोस्टर ही लग गए थे। जगजीवन राम के सभी स्वप्न टूट गए और ये स्कैंडल उनके राजनैतिक करियर का अवसान तय कर गयी। न सिर्फ उनका, बल्कि जनता पार्टी सरकार का भी।
मेनका गांधी ने हेडलाइन दिलवाए थे, “क्या रक्षा मंत्रालय के पेपर लीक हुए हैं? चीन दूतावास को भेजे गए हैं?” मुमकिन भी होता, क्योंकि सुरेश राम रक्षा मंत्रालय में खुले-आम घूमते ह थे। लेकिन, यह तरीका ठीक नहीं था। सुरेश राम ने अपने बचाव में वही घिसा-पिटा बयान दिया कि उनका अपहरण कर नशे में तस्वीरें ले ली गयी ।