क्या आपको पता है कि भारत की पहली डबल ग्रेजुएट मुस्लिम महिला कौन है? उनका नाम है इस्मत चुगताई (Ismat Chughtai)। जिन्हे हमसब प्यार से इस्मत आपा (Ismat aapa) भी बुलाते हैं। इस्मत, दस भाइ-बहनों में छोेटी थी। बड़ी बहनों की शादी और विदाई हो चुकी थी, इसलिए बचपन भाईयों के साथ खेलते बिता। भाईयों के साथ हॉकी, फुटबॉल, गिल्ली डंडा सरीखे खेलती थी। इस्मत बताती थी कि भाईयों के साथ खेलते देख उनकी मां गुस्सा होतीं थीं। उनकी मां के लिए यह सब शर्मनाक था। भाईयों की संगत का इस्मत पर असर पड़ा और वो धीरे धीरे विद्रोही हो गई। उनके अंदर बेेबाकी आ गयी जो अंतत: दुस्साहस और अतीव मुखरता में तब्दील हो गया। शायद यही कारण था कि रिश्तेदारों के भारी विरोध के बावजूद इस्मत ने 1938 में लखनऊ से बीए किया और फिर अलीगढ़ से शिक्षक प्रशिक्षण की डिग्री ली।

इस्मत के भाई मिर्जा अजीम बेग चुगताई लेखक थे। अत: भाई रूपी उस्ताद मिलना लेखिका बनने में सहायक सिद्ध हुआ। इस्मत प्रोगेसिव राइटर एसोसिएशन के लिए भी लेख लिखती थी। संकीर्ण मुस्लिम सोच वाले परिवार को इससे काफी दिक्कत होती थी। अंगारे और लिहाफ में मुस्लिम औरतें के बारे में वो लिखा जो कभी सामने नहीं आया। साउथ एशिया में इनकी कहानी बैन कर दी गई। इस्मत ने 1942 में फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक शाहिद लतीफ से शादी की। शादी के बाद ही इनका बालीवुड का सफर शुरू हुआ और इन्होने कई फिल्मों के लिए पटकथा और संवाद लिखे।

इनकी पहली लिखी फिल्म 1948 में जिद्​दी आयी। आरजू, सोने की चिड़िया लिखी। जुनून, करमवा, जवाब आएगा सरीखी फिल्मों की कहानी भी इस्मत ने ही लिखी थी। इनके बारे में कई कहानियां लोक जनमानस में प्रचलित है।

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