राकेश रोशन ने अपने करियर की शुरुआत में ‘K’ को लकी नहीं माना, लेकिन एक फैन के पत्र ने उनकी सोच बदल दी और इसके बाद ज्यादातर फिल्मों के नाम ‘K’ से ही शुरू हुए।

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

बॉलीवुड में अपनी अनोखी पहचान बनाने वाले निर्माता-निर्देशक राकेश रोशन ने फिल्मों के टाइटल ‘K’ से रखने की परंपरा कैसे शुरू की, इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। शुरुआत में, राकेश रोशन ने इस बात पर विश्वास नहीं किया कि ‘K’ उनके लिए लकी है। उन्होंने अपनी पहली प्रोडक्शन फिल्म का नाम आपके दीवाने रखा, जो ‘A’ से शुरू होता है।

इस परंपरा की शुरुआत तब हुई जब राकेश रोशन अपनी फिल्म जाग उठा इंसान बना रहे थे। फिल्म के निर्माण के दौरान उन्हें एक फैन का पत्र मिला, जिसमें सुझाव दिया गया था कि उनकी फिल्मों के टाइटल यदि ‘K’ से शुरू होते हैं, तो वह सफल रहती हैं। फैन ने ‘खेल खेल में’, ‘खानदान’, ‘खट्टा-मीठा’, ‘खूबसूरत’, और ‘कामचोर’ जैसी सफल फिल्मों का उदाहरण भी दिया, जो ‘K’ अक्षर से शुरू होती थीं। 

हालांकि, राकेश रोशन ने उस समय इस सुझाव पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और जाग उठा इंसान का नाम बदलने के बजाय उसी नाम से रिलीज कर दी। दुर्भाग्यवश, यह फिल्म फ्लॉप रही। इसके बाद उन्होंने भगवान दादा फिल्म बनाई, लेकिन यह भी असफल साबित हुई। इस लगातार असफलता से उनका आत्मविश्वास थोड़ा हिल गया। 

जब राकेश रोशन ने अगली फिल्म शुरू की, तो उन्हें फैन के उस पत्र की याद आई। इस बार उन्होंने कोई जोखिम न लेते हुए फिल्म का नाम खुदगर्ज रखा, जो ‘K’ से शुरू होता है। यह फिल्म सुपरहिट रही। बाद में उन्हें उसी फैन का एक और पत्र मिला जिसमें कहा गया था, “आपने मेरी बात मानी और देखिए, सफलता आपके कदमों में है।”

इस घटना ने राकेश रोशन की सोच बदल दी और इसके बाद उन्होंने लगभग सभी फिल्मों के टाइटल ‘K’ से शुरू करने का निश्चय कर लिया। फिर करण अर्जुन, कहो ना… प्यार है, कोई मिल गया, और कृष जैसी सुपरहिट फिल्मों ने इस परंपरा को मजबूती से स्थापित कर दिया।

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