कादर खान फोन पर नहीं पहचान पाए दिलीप कुमार की आवाज
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
kader khan-dilip kumar: कभी-कभी ज़िंदगी का एक फोन कॉल इंसान की पूरी किस्मत बदल देता है। ऐसा ही कुछ हुआ था मशहूर अभिनेता, लेखक कादर खान kader khan के साथ, जब उन्हें खुद ट्रैजेडी किंग दिलीप कुमार dilip kumar का फोन आया — लेकिन दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने पहले उन्हें पहचाना ही नहीं।
“मैं यूसुफ़ खान बोल रहा हूं…” — वो कॉल जिसने इतिहास लिख दिया
एक दिन कादर खान के पास फोन आया। उधर से आवाज़ आई, “मैं यूसुफ़ ख़ान बोल रहा हूं।”
कादर खान ने पूछा, “कौन यूसुफ़ ख़ान?”
जवाब मिला, “वही जिसे दुनिया दिलीप कुमार के नाम से जानती है।”
दिलीप कुमार का नाम सुनते ही कादर खान सन्न रह गए। फोन उनके हाथों से गिरते-गिरते बचा। वो हैरान थे कि बॉलीवुड के सबसे बड़े सितारे ने उन्हें फोन क्यों किया?
कादर खान: एक इंजीनियर से कलाकार तक की यात्रा
इस फोन कॉल से दो दिन पहले तक कादर खान एक सिविल इंजीनियरिंग ग्रेजुएट थे। साथ ही वे थिएटर में “ताश के पत्ते” नामक नाटक में अभिनय और निर्देशन दोनों कर रहे थे।
उनके मन में कभी यह खयाल तक नहीं आया था कि एक दिन वे बॉलीवुड का जाना-माना नाम बन जाएंगे।
आगा साहब बने किस्मत का पुल
एक दिन पुराने जमाने के प्रसिद्ध कॉमेडियन आगा साहब वह नाटक देखने पहुंचे।
नाटक खत्म हुआ तो वे न केवल कादर खान की एक्टिंग से बल्कि उनके लेखन और निर्देशन से भी प्रभावित हुए।
उन्होंने दिलीप कुमार से मुलाकात के दौरान कादर खान की जमकर तारीफ की — “एक लड़का है, जिसने खुद नाटक लिखा, डायरेक्ट किया और अद्भुत अभिनय किया।”
दिलीप साहब को यह सुनकर दिलचस्पी हुई। और यहीं से तय हुआ — उन्हें कादर खान से मिलना ही होगा।
दिलीप कुमार का फोन और थिएटर से बॉलीवुड तक का सफर
दिलीप कुमार ने उसी शाम कादर खान को फोन लगाया। और यहीं से शुरू हुआ हिंदी सिनेमा के एक सुनहरे अध्याय का पहला पन्ना।
कादर खान ने उन्हें “ताश के पत्ते” देखने का न्योता दिया।
अगले दिन दिलीप कुमार खुद थिएटर पहुंचे।
स्टेज पर आए दिलीप कुमार और किया बड़ा ऐलान
नाटक खत्म होते ही दिलीप कुमार मंच पर आए और कहा:
“मैं किस्मत वाला हूं कि कादर खान ने मुझे यह नाटक देखने बुलाया। हमारे यहां इतने बेहतरीन स्टेज कलाकार हैं, जिन्हें फिल्मों में मौका मिलना चाहिए।”
फिर उन्होंने सबके सामने घोषणा की —
“मैं अपनी अगली फिल्म ‘सगीना महतो’ में कादर खान को एक रोल दे रहा हूं। और एक सप्ताह बाद शुरू होने वाली फिल्म ‘बैराग’ में भी उन्हें एक अच्छा किरदार मिलेगा।”
यही वह पल था जब एक इंजीनियरिंग प्रोफेसर से कादर खान, बॉलीवुड के चमकते सितारे बन गए।
सगीना महतो और बैराग: फिल्मी सफर की शुरुआत
फिल्म “सगीना महतो” (1970s) ने कादर खान के लिए बॉलीवुड का दरवाज़ा खोल दिया।
इसके बाद उन्होंने न केवल एक्टिंग की बल्कि डायलॉग राइटर के रूप में भी अपनी पहचान बनाई।
उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया और 200 से अधिक फिल्मों के लिए संवाद लिखे।
अमिताभ बच्चन, गोविंदा, शक्ति कपूर, अनुपम खेर जैसे कलाकारों के साथ उनका काम आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा है।
कादर खान: केवल अभिनेता नहीं, शब्दों के शिल्पकार
दिलीप कुमार से शुरू हुआ सफर आगे चलकर बॉलीवुड की स्क्रिप्ट और डायलॉग राइटिंग को नई दिशा देने वाला साबित हुआ।
उनके लिखे संवादों ने “कुली”, “शहंशाह”, “मुकद्दर का सिकंदर”, “अमर अकबर एंथनी” जैसी फिल्मों को अमर बना दिया।
दिलीप कुमार और कादर खान की दोस्ती
इस फोन कॉल से शुरू हुई मुलाकात बाद में गहरी दोस्ती में बदल गई।
दिलीप कुमार कादर खान की बुद्धिमत्ता और लेखन कौशल की हमेशा सराहना करते थे।
कादर खान भी उन्हें अपना मार्गदर्शक मानते थे — और कहते थे,
“अगर उस दिन यूसुफ़ ख़ान साहब का फोन नहीं आता, तो शायद मैं कभी फिल्मी दुनिया में नहीं आता।”
Q&A Section
Q1. दिलीप कुमार ने कादर खान को पहली बार कहाँ देखा था?
A- थिएटर में — “ताश के पत्ते” नामक नाटक में, जिसे कादर खान ने खुद लिखा और डायरेक्ट किया था।
Q2. कादर खान की पहली फिल्म कौन सी थी?
A- दिलीप कुमार की फिल्म “सगीना महतो”, जिसमें उन्होंने अपना पहला किरदार निभाया।
Q3. कादर खान फिल्मों में आने से पहले क्या करते थे?
A- वे सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट और एक कॉलेज में प्रोफेसर थे।
Q4. क्या दिलीप कुमार और कादर खान के बीच लंबी दोस्ती रही?
A- हां, दोनों के बीच गुरु-शिष्य जैसी गहरी दोस्ती और सम्मान का रिश्ता था।
Q5. कादर खान को फिल्म इंडस्ट्री में किसने मौका दिलाया?
A- अभिनेता दिलीप कुमार ने सबसे पहले उन्हें अपनी फिल्मों “सगीना महतो” और “बैराग” में रोल दिया।
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