जोश रॉगन संग पॉडकास्ट में मार्क जुकरबर्ग ने कही बड़ी बात

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने हाल ही में जोश रॉगन के पॉडकास्ट पर बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि बाइडन प्रशासन ने उनकी कंपनी पर दबाव डाला कि वे COVID-19 से जुड़ी सच्ची जानकारी और मीम्स को सोशल मीडिया से हटा दें। जुकरबर्ग ने कहा कि प्रशासन की मांगों में वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स से जुड़ी सच्ची जानकारी और हास्यपूर्ण मीम्स को हटाना भी शामिल था।

व्हाइट हाउस ने दी तीखी प्रतिक्रियाएं

जुकरबर्ग ने बताया कि व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने मेटा कर्मचारियों पर चिल्लाते हुए, यहां तक कि गाली-गलौज करते हुए, COVID-19 वैक्सीन से जुड़ी एक खास मीम को हटाने की मांग की। यह मीम अभिनेता लियोनार्डो डिकैप्रियो के एक सीन पर आधारित था जिसमें लिखा था, “10 साल बाद आपको एक विज्ञापन दिखेगा जिसमें कहा जाएगा कि अगर आपने COVID वैक्सीन ली है, तो आपको मुआवजा मिल सकता है।”

जुकरबर्ग ने कहा कि इस मीम को देखने के बाद व्हाइट हाउस ने तुरंत कार्रवाई की मांग की। प्रशासन का मानना था कि यह मीम COVID-19 वैक्सीन के खिलाफ भ्रम पैदा कर सकता है।

बाइडन प्रशासन की सेंसरशिप की कोशिश

पॉडकास्ट में जुकरबर्ग ने खुलासा किया कि बाइडन प्रशासन की मांग केवल मीम्स तक सीमित नहीं थी। व्हाइट हाउस चाहता था कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स से जुड़ी सच्ची जानकारी को भी प्लेटफॉर्म से हटाया जाए। उन्होंने कहा, “वे कहते थे कि वैक्सीन से साइड इफेक्ट्स के बारे में जो भी पोस्ट्स हों, उन्हें तुरंत हटा दें, भले ही वे सही क्यों न हों।”

जुकरबर्ग ने कहा, “यहां तक कि हमसे यह भी कहा गया कि हास्य को भी हटाएं। हमने साफ कह दिया कि हम सच्चाई और हास्य को सेंसर नहीं करेंगे। यह बहुत हद तक संविधान के खिलाफ है।”

COVID-19 वैक्सीन और मायोकार्डाइटिस का खतरा

इस दौरान COVID-19 वैक्सीन से जुड़ी मायोकार्डाइटिस (हृदय की सूजन) की घटनाओं का उल्लेख भी किया गया। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में वैक्सीन के कारण मायोकार्डाइटिस के मामले पिछले 30 वर्षों के औसत से 223 गुना अधिक थे।

इस रिपोर्ट के अनुसार, मायोकार्डाइटिस से प्रभावित लोगों में 76% को आपातकालीन इलाज की जरूरत पड़ी और 3% मामलों में मृत्यु हुई। यह स्थिति 30 साल से कम उम्र के लोगों में अधिक पाई गई।

मेटा की नई रणनीति

बाइडन प्रशासन के लगातार दबाव के बाद मेटा ने अब अपनी नीतियों में बड़े बदलाव किए हैं। जुकरबर्ग ने बताया कि कंपनी अब फैक्ट-चेकर्स पर कम निर्भर करेगी और उनकी जगह सामुदायिक नोट्स का उपयोग किया जाएगा, जैसा कि X (पूर्व में ट्विटर) करता है।

इसके साथ ही, मेटा ने अपने सभी डायवर्सिटी, इक्विटी और इन्क्लूजन (DEI) प्रोग्राम्स को भी समाप्त करने का फैसला किया है। कंपनी का कहना है कि यह कदम सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले और बदलते कानूनी परिदृश्य के कारण उठाया गया है।

कानूनी और नैतिक सवाल

पॉडकास्ट में जोश रॉगन ने कहा कि बाइडन प्रशासन का यह कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “सरकार का यह व्यवहार संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन लगता है। यह फर्स्ट अमेंडमेंट के खिलाफ है।”

रॉगन ने आगे कहा, “यह सरकार की एक बड़ी गलती थी। लोगों को डराने और वैक्सीन को लेकर डर पैदा करने के लिए इस तरह की सेंसरशिप का सहारा लिया गया। यह गलत था।”

मेटा और सरकार के बीच तनाव

यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर COVID-19 से जुड़ी “गलत जानकारी” फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा था कि सोशल मीडिया “लोगों की जान ले रहा है।” इसके बाद मेटा पर सरकारी एजेंसियों ने कई जांचें शुरू कीं।

जुकरबर्ग ने कहा, “जब हमने उनकी मांगों को मानने से इनकार किया, तो सरकार ने हमारे खिलाफ विभिन्न जांचें शुरू कर दीं। यह एक कठिन समय था।”

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की ओर वापसी

जुकरबर्ग ने कहा कि मेटा अब अपनी जड़ों की ओर लौट रहा है। उन्होंने कहा, “हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और सच्ची जानकारी को प्रसारित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।”

जोश रॉगन के पॉडकास्ट पर किए गए इस खुलासे ने तकनीकी और राजनीतिक जगत में हलचल मचा दी है। मेटा और बाइडन प्रशासन के बीच तनाव का यह मामला संविधान, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सोशल मीडिया के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया है।

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