Home मनोरंजन जब Amitabh Bachchan बने खलनायक… और पहले ही शॉट में दिग्गज अभिनेता...

जब Amitabh Bachchan बने खलनायक… और पहले ही शॉट में दिग्गज अभिनेता ने कह दिया– ‘आज शूटिंग बंद करो!’

153
0
source-google

परवानाके पहले सीन में Amitabh Bachchan की अदाकारी देख ओमप्रकाश रह गए दंग

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Amitabh Bachchan की पहली फिल्म थी सात हिंदुस्तानी। दूसरी फिल्म सुनील दत्त साहब की रेशमा और शेरा थी। ‘रेशमा और शेरा’ के बाद अमिताभ एक बार फिर खाली हो गए थे।

अब वे मैरिन ड्राइव की बजाय अपने प्रिय मित्र अनवर के साथ अंधेरी में रह रहे थे। अनवर अपने बड़े भाई महमूद के एक बड़े फ्लैट में बिल्कुल अकेले रह रहे थे, और बहुत आग्रहपूर्वक अमिताभ को अपने साथ ले गए थे।

एक बार फिर स्टूडियो-दर-स्टूडियो और फिल्म निर्माताओं के दफ्तरों के चक्कर काटने का सिलसिला शुरू हो गया था। मैरिन ड्राइव की तुलना में अंधेरी से फिल्म-स्टूडियो भी नजदीक थे और निर्माताओं के दफ्तर भी।

‘रेशमा और शेरा’ एक बड़ी फिल्म थी और अपनी छोटी-सी भूमिका में अमिताभ ने काफी अच्छा काम किया था। लेकिन एक तो यह फिल्म बुरी तरह पिट गई, दूसरे यह फिल्म उनकी ‘तीसरी फिल्म’ के रूप में काफी बाद में रिलीज हुई।

इससे पहले ‘आनंद’ चुपके से शुरू हुई, रिलीज हुई, और वे ‘बाबू मोशाय’ के रूप में पूरे देश के दर्शकों के दिलों पर छा गए।

लेकिन ‘रेशमा और शेरा’ और ‘आनंद’ के बीच उन्होंने काफी दौड़-भाग के बाद एक और फिल्म साइन की थी ‘परवाना’। इस फिल्म में वे खलनायक की भूमिका में थे।

आज अमिताभ के करोड़ों चाहने वालों को यह सोचकर आश्चर्य हो सकता है कि कभी उन्होंने ‘खलनायक’ की भूमिका की थी। लेकिन यह बिल्कुल सच है। कुछ समय बाद उन्होंने एक और फिल्म में भी खलनायक की भूमिका की थी- ‘गहरी चाल’ में, जिसमें जीतेंद्र और हेमा मालिनी केंद्रीय भूमिकाओं में थे।

source-google

नवीन निश्चल और योगिता बाली की मुख्य भूमिकाओं से सजी ‘परवाना’ को इसके लोकप्रिय गीतों के लिए आज भी याद किया जाता है। मदन मोहन ने बहुत दिनों बाद किशोर कुमार के साथ काम किया था। वर्षों पहले उन दोनों की जोड़ी ने ‘जरूरत है, जरूरत है, एक श्रीमती की, कलावती की, सेवा करे जो पति की’ (‘मनमौजी’) जैसा लोकप्रिय गीत दिया था।

वह किशोर कुमार का पहला दौर था एक ‘सिंगिंग हीरो’ अर्थात् ‘गायक-नायक’ के रूप में। अब 1969 में राजेश खन्ना की ‘आराधना’ के बाद एक प्ले-बैक गायक के रूप में अचानक ही उनका एक नया और चमत्कारिक दौर शुरू हो गया था।

साठ के दशक में रफी के साथ एक-से-एक मधुर गीतों की रचना करने वाले मदन मोहन भी किशोर कुमार के इस ‘नए जन्म’ के प्रभाव से बच नहीं सके। ‘परवाना’ के लिए उन्होंने उनके साथ ‘सिमटी-सी, शरमाई-सी, किस दुनिया से तुम आई हो’ और ‘यूँ न शरमा, फैला दे, अपनी गोरी गोरी बाँहें’ जैसे सुपरहिट गीतों की रचना की।

इसके अलावा लता और आशा द्वारा गाया वह लोकप्रिय गीत भी-‘पिया की गली, लागे भली, रोको न सखि, जिया बस में नहीं।’ एक बार फिर मजरूह और मदन मोहन का जादू सर चढ़कर बोला था।

source-google

अमिताभ का पहला (और अंतिम) स्क्रीन-टेस्ट लेने वाले मोहन सहगल की ‘सावन भादों’ की जबर्दस्त सफलता के बाद नवीन निश्चल उन दिनों बहुत ज्यादा ‘डिमांड’ में थे और बहुत-सी फिल्मों में नायक की भूमिकाएँ कर रहे थे। योगिता बाली लगभग नई थीं और विनोद मेहरा के साथ उनकी पहली फिल्म ‘परदे के पीछे’ भी अभी रिलीज नहीं हुई थी।

अमिताभ ‘परवाना’ में एक ईर्ष्यालु प्रेमी की भूमिका में थे एक हत्यारे की भूमिका में।

इस फिल्म में उनका पहला शॉट जाने-माने और प्रतिष्ठित चरित्र अभिनेता ओमप्रकाश के साथ था। निर्देशक थे ज्योति स्वरूप ।

शॉट पूरा हुआ तो ओमप्रकाश ने चौंककर अमिताभ की तरफ देखा, और फिर आगे बढ़कर उन्हें गले से लगाते हुए बोले, “बहुत खूब! बहुत दिनों बाद इतने अच्छे अभिनेता के साथ काम करने का अवसर मिला है!”

वे अमिताभ की तारीफों के पुल बाँधते रहे, और फिर निर्देशक ज्योति स्वरूप की तरफ मुड़ते हुए बोले, “भई, आज और शूटिंग नहीं करेंगे। इतना अच्छा अभिनय आजकल कहाँ देखने को मिलता है? कुछ पार्टी-वार्टी हो जाए!”

अमिताभ बच्चन स्पेशल

Amitabh Bachchan ने ऐसा क्या कि परेशान हो गई रेशमा और शेरा फिल्म की शूटिंग यूनिट

कौन था वो सुपरस्टार, जिसकी वजह से ‘रेशमा और शेरा’ में Amitabh Bachchan को करना पड़ा मूक बधिर का रोल…

सड़क किनारे बेंच पर Amitabh Bachchan ने गुजारी दो रात…

राजेश खन्ना, शशि कपूर की शूटिंग देखने के लिए Amitabh bachchan को करनी पड़ती थी मशक्कत

कभी बी. आर. चोपड़ा से लेकर शक्ति सामंत तक ने Amitabh bachchan को दे डाली थी एक्टिंग छोड़ घर…

दिल्ली के शीला सिनेमा में पहली बार खुद को बड़े पर्दे पर देखा Amitabh Bachchan ने – मां-बाप भी…

दोस्तों ने कहा ताड़ पर Amitabh Bachchan को देख जया ने कही थी यह बात…

Amitabh Bachchan: जिसे सबने नकारा, उसे K.A. अब्बास ने कैसे बना दिया ‘सदी का महानायक’!

किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है Amitabh Bachchan को मिला पहला ब्रेक!

मुंबई आया था हीरो बनने, होटल में ठहरा तो भी किसी ने नहीं पूछा–…जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया फोन, फिर भी Amitabh Bachchan को झूठ बोलना पड़ा…

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here