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Amitabh Bachchan ने ऐसा क्या कि परेशान हो गई रेशमा और शेरा फिल्म की शूटिंग यूनिट

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फिल्म में गूंगे किरदार के कारण शूटिंग के दौरान शरारती हो गए थे अमिताभ

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Amitabh Bachchan: रेशमा और शेरा की शूटिंग के दौरान एक ऐसा किस्सा सामने आया जिसने सभी को चौंका दिया। महानायक अमिताभ बच्चन, जो फिल्म में गूंगे किरदार में नजर आए थे, अपने अभिनय से तो सभी को प्रभावित कर ही रहे थे, लेकिन उनके शरारती अंदाज़ ने फिल्म की पूरी यूनिट को हलकान कर दिया था।  

अमिताभ सही मायनों में एक कला-प्रेमी हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि वहीदा रहमान हिंदी सिनेमा की सर्वाधिक कलात्मक अभिनेत्री हैं। उनके सादगी भरे सौंदर्य और सहज, स्वाभाविक अभिनय के जादू से कोई भी नहीं बच पाया।

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गुरुदत्त ने न सिर्फ उन्हें खोजा, बल्कि उनके साथ ‘प्यासा’ और ‘कागज के फूल’ जैसी अविस्मरणीय फिल्में बनाईं। प्रसिद्ध गायक और संगीतकार हेमंत कुमार ने निर्माता के रूप में अपनी फिल्मों में उन्हें बार-बार दोहराया ‘बीस साल बाद’ से लेकर ‘कोहरा’ और ‘खामोशी’ तक।

अपनी नायिकाओं के चयन में हमेशा बहुत सतर्क रहने वाले दिलीप कुमार ने उनके साथ लगातार तीन फिल्मों में काम किया-‘दिल दिया दर्द लिया’, ‘राम और श्याम’ और ‘आदमी’। राज कपूर के साथ अपनी महत्त्वाकांक्षी फिल्म ‘आखरी कसम’ बनाने वाले शैलेंद्र ने भी अपनी नायिका के रूप में उन्हीं का चुनाव किया।

अपने कैरियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म ‘गाइड’ और एक निर्देशक के रूप में अपनी पहली फिल्म ‘प्रेम पुजारी’ बनाते समय देव आनंद को सिर्फ वहीदा रहमान की याद आई।

इसी तरह सुनील दत्त ने भी पहले ‘मुझे जीने दो’ और फिर ‘रेशमा और शेरा’ में वहीदा रहमान को ही नायिका के रूप में लेना पसंद किया था।

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उनके बाद अगर किसी अभिनेत्री में इस तरह का सादगी भरा सौंदर्य दिखा था तो सिर्फ जया भादुड़ी में, और अमिताभ ने उन्हें अपनी जीवन-संगिनी बनाने में देर नहीं लगाई थी।

‘रेशमा और शेरा’ के दौरान वहीदा रहमान अपने अभिनय कैरियर के आखिरी चरण में थीं, जबकि राखी के लिए यह एक शुरुआत भर थी। इस फिल्म से पहले, अमिताभ की तरह, उन्हें सिर्फ एक फिल्म का अनुभव था। वे धर्मेंद्र के साथ राजश्री प्रोडक्शन की ‘जीवन-मृत्यु’ में काम कर चुकी थीं, जो उनकी पहली फिल्म थी।

‘रेशमा और शेरा’ में राखी वहीदा रहमान की भाभी की भूमिका में थीं, जो अमिताभ के हाथों रंजीत की हत्या के बाद विधवा हो जाती है-अपने विवाह के कुछ ही घंटों बाद। इसके बाद फिल्म में राखी द्वारा अपनी सुहाग-चूड़ियाँ तोड़ने का दृश्य था जो बहुत मार्मिक बन पड़ा था।

इस फिल्म की शूटिंग से जुड़े अपने अनुभवों को याद करते हुए राखी ने कहा था कि उन्हें अमिताभ के तंबू में जाना बहुत अच्छा लगता था, क्योंकि उनका तंबू सबसे ज्यादा साफ-सुथरा रहता था।

“लेकिन वे उधम भी बहुत मचाते थे और यूनिट के सदस्यों के साथ अकसर शरारतें करते रहते थे।” संभवतः इसलिए कि सुनील दत्त ने फिल्म में उन्हें ‘गूँगा’ बना दिया था, और उन्हें अपने अभिनय की पूरी भड़ास निकालने का अवसर नहीं मिल पा रहा था-कलकत्ता में मित्रों के साथ धमा-चौकड़ियों के दिनों की तरह।

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