दर्शक भी जानना चाहते हैं वैभव का परीक्षा परिणाम

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Kota factory season 3: जितेंद्र कुमार की फेमस वेब सीरीज ‘कोटा फैक्ट्री 3’ अपनी रिलीज के बाद से ही इंटरनेट पर धूम मचा रही है। जहां सीरीज के हर किरदार और एपिसोड ने फैंस के दिलों में एक अनोखी जगह बनाई है, वहीं इस बार मयूर मोरे के किरदार वैभव पांडे के क्लाइमेक्स को लेकर फैंस निराश हो गए। दरअसल, कोटा फैक्ट्री के इस सीजन के आखिरी एपिसोड में दिखाया जाता है कि वैभव पांडे फेल हो जाते हैं।

ऐसा क्यों हुआ इसका जवाब ‘कोटा फैक्ट्री 3’ के लेखक प्रवीण यादव, पुनीत बत्रा और मनीष चांदवानी ने देते हुए बताया कि पहले दो सीजन में जो यात्रा शुरू हुई थी वह खत्म नहीं हुई थी। खत्म करने के लिए, हमें एक नए सीजन की जरूरत थी।

Kota factory season 3: इसके अलावा, पुनीत ने सभी की उम्मीदों को तोड़ने वाले सीन, वैभव को परीक्षा में फेल करने के अपने फैसले के बारे में भी बात की। उन्होंने आगे बताया कि वास्तविक जीवन में 11 लाख छात्रों में से केवल 11,000 छात्र ही रैंक ले पाते हैं, जिसका मतलब है कि 99% बच्चे इसमें सफल नहीं हो पाते हैं। लेखक ने कहा कि इस बड़े प्रतिशत में वे बच्चे भी शामिल हैं जिनसे हर कोई उम्मीद करता है कि वे इसे पास कर लेंगे।

हीरो के साथ ऐसा करना था

Kota factory season 3: इसे वैभव के रोल से जोड़ते हुए, पुनीत ने कहा, ‘वैभव के साथ हमें ये लेके चलना था कि ‘हीरो ही पास नहीं होता है।’ जहां वैभव चिंता के कारण परीक्षा से एक रात पहले सो नहीं सका। फिर वह अगले दिन गलत परीक्षा केंद्र पर पहुंच गया। वो भी उस समय घबराते हुए पहुंचा जब गेट बंद होने ही वाला था।

आगे बढ़ेगी वैभव की कहानी

आगे पुनीत ने आगे एक दिलचस्प किस्सा शेयर करते हुए खुलासा किया कि वैभव का गलत केंद्र तक पहुंचना उनकी वास्तविक लाइफ से प्रेरित था। पुनीत ने बताया कि एक बार परीक्षा के दौरान उन्हें ईश्वर के आशीर्वाद का एहसास हुआ था जब सीरीज के जैसे ही लेट होने पर एक आदमी ने उन्हें परीक्षा केंद्र तक पहुंचाया था। वह आदमी अपने बेटे को छोड़ने के बाद वापस लौट रहा था। वैभव के बारे में लेखकों ने कहा है कि यह अंत नहीं है क्योंकि वैभव की कहानी आगे बढ़ेगी।

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