mere apne movie
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गुलजार की ‘मेरे अपने’ के 54 साल: विनोद खन्ना, मीना कुमारी और एक फिल्म की अनसुनी दास्तान

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

आज, यानी 10 सितंबर 1971 को रिलीज़ हुई गुलज़ार साहब की पहली डायरेक्टोरियल फ़िल्म ‘मेरे अपने’ (mere apne movie) ने अपने 54 साल पूरे कर लिए हैं। यह फ़िल्म सिर्फ एक क्लासिक नहीं, बल्कि गुलज़ार के निर्देशन में एक नए अध्याय की शुरुआत थी।

इस फ़िल्म से जुडी कई कहानियां हैं जो बताती हैं कि पर्दे के पीछे कितनी मेहनत और दिलचस्प घटनाएं घटीं। यह फ़िल्म बंगाल की एक शॉर्ट स्टोरी और तपन सिन्हा की बंगाली फ़िल्म ‘अपनजन’ का हिंदी रीमेक थी, जिसने भारतीय सिनेमा को एक नया नज़रिया दिया।

मेरे अपने’ की कहानी: एक बंगाली फ़िल्म से जन्म

गुलज़ार की फ़िल्म ‘मेरे अपने’ की कहानी, साल 1968 में आई तपन सिन्हा की फ़िल्म ‘अपनजन’ से प्रेरित थी। असल में, तपन सिन्हा खुद इस कहानी को हिंदी में रीमेक करना चाहते थे और उन्होंने गुलज़ार साहब को हिंदी स्क्रिप्ट लिखने की ज़िम्मेदारी दी थी। तपन दा ने तो किशोर कुमार और वहीदा रहमान को लीड रोल निभाने के लिए अप्रोच भी किया था, जबकि एसडी बर्मन जी को संगीत के लिए साइन कर लिया गया था।

मगर फिर कुछ दिन गहन विचार करने के बाद तपन सिन्हा ने ‘अपनजन’ को हिंदी में रीमेक करने का आईडिया ड्रॉप कर दिया। तब गुलज़ार साहब ने इस कहानी को हिंदी में बनाने के राइट्स उनसे खरीद लिए, जो कि इंद्र मित्रा की एक शॉर्ट स्टोरी पर आधारित थी।

निर्देशन का मौका और एन.सी. सिप्पी का विश्वास

जब प्रोड्यूसर एन.सी. सिप्पी को पता चला कि गुलज़ार के पास हिंदी राइट्स हैं, तो उन्होंने फ़िल्म बनाने के बारे में गुलज़ार साहब से बात की। गुलज़ार ने सिप्पी साहब को बताया कि उनके पास सिर्फ हिंदी स्क्रिप्ट है और यह मूल बंगाली स्क्रिप्ट से कुछ अलग है।

चूंकि तब एन.सी. सिप्पी की अधिकतर फ़िल्मों के डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी हुआ करते थे, और गुलज़ार साहब भी ऋषि दा के साथ काम करते थे, तो उन्होंने हिम्मत जुटाकर एन.सी. सिप्पी से कहा कि अगर ऋषि दा ने ये फ़िल्म डायरेक्ट करने से इंकार कर दिया, तो फिर इसे मैं ही डायरेक्ट करूंगा।

गुलज़ार जानते थे कि सिप्पी सुबह बहुत जल्दी जाग जाते हैं, तो वो चार बजे ही उनके घर पहुँच गए। उन्होंने अपनजन के हिंदी वर्ज़न, मेरे अपने की कहानी एन.सी. सिप्पी को समझाई। गुलज़ार साहब का कहानी कहने का अंदाज़ एन.सी. सिप्पी को बहुत पसंद आया। कहानी कंप्लीट होने पर उन्होंने गुलज़ार से कहा, “ओके, आप ही इसे डायरेक्ट करेंगे।” गुलज़ार ने कहा था कि वो इस फ़िल्म को एक म्यूज़िकल ड्रामा नहीं, बल्कि एक रियलिस्टिक, क्लॉज़ टू द यूथ्स हार्ट फ़िल्म बनाना चाहते थे। इसी बात को ध्यान में रखकर उन्होंने एन.सी. सिप्पी को कहानी सुनाई थी।

मीना कुमारी और विनोद खन्ना की कास्टिंग: एक ज़बरदस्त जुगलबंदी

मीना कुमारी जी का रोल

मीना कुमारी जी का किरदार मूल बंगाली फ़िल्म ‘अपनजन’ में छाया देवी ने निभाया था। गुलज़ार को लगता था कि छाया देवी को ही ‘मेरे अपने’ में कास्ट कर लिया जाना चाहिए। मगर, एन.सी. सिप्पी ने गुलज़ार से अपनी कॉलेज डेज़ की क्रश निम्मी को कास्ट करने को कहा। गुलज़ार ने बहुत विनम्रता से मना कर दिया और कहा कि वो छाया देवी को ही कास्ट करना चाहते हैं। मगर एन.सी. सिप्पी ने कहा, अगर निम्मी नहीं तो किसी और को कास्ट करो, मगर छाया देवी को नहीं लेंगे।

तब गुलज़ार साहब ने मीना कुमारी का नाम सुझाया। जब एन.सी. सिप्पी और गुलज़ार की ये बातें चल रही थीं, तब एन.सी. सिप्पी के बड़े बेटे रोमू सिप्पी भी वहां मौजूद थे, जिन्हें प्रोडक्शन संभालने की ज़िम्मेदारी दी गई थी। रोमू सिप्पी ने मीना कुमारी के नाम का समर्थन किया। और इस तरह मीना कुमारी जी को कास्ट कर लिया गया, जबकि उनकी तबियत उन दिनों अच्छी नहीं रहती थी। शुरुआत में मीना कुमारी जी ने मना भी किया था। मगर गुलज़ार व रोमू सिप्पी के काफ़ी गुज़ारिश करने पर मीना कुमारी ‘मेरे अपने’ फ़िल्म में काम करने को तैयार हो गईं।

विनोद खन्ना का श्यामकिरदार

फ़िल्म में विनोद खन्ना का किरदार ‘श्याम’ पहले संजीव कुमार और राजेश खन्ना को ऑफ़र हुआ था। लेकिन दोनों ने यह कहकर मना कर दिया कि यह एक महिला-प्रधान फ़िल्म है। तब गुलज़ार साहब की नज़र विनोद खन्ना पर पड़ी, जिन्हें उन्होंने ‘मन का मीत’ फ़िल्म में देखा था।

जब गुलज़ार ने ए.सी. सिप्पी से विनोद खन्ना का ज़िक्र किया तो ये दोनों विनोद खन्ना की एक फ़िल्म देखने गए। गुलज़ार साहब बताते हैं कि उन्हें ये तो अब याद नहीं आता कि वो कौन सी फ़िल्म थी, मगर इंटरवल में ही एन.सी. सिप्पी सिनेमाहॉल से बाहर निकल आए और बोले, “ये लड़का सही रहेगा।” ‘मेरे अपने’ से पहले विनोद खन्ना अधिकतर फिल्मों में विलेन या फिर निगेटिव कैरेक्टर्स में ही नज़र आए थे, लेकिन इस फिल्म के बाद उन्हें हीरो के रोल्स भी मिलने लगे। 1971 में ही आई “हम तुम और वो” बतौर सोलो हीरो विनोद खन्ना जी की पहली फिल्म थी।

इसी फ़िल्म के सेट पर गुलज़ार और विनोद खन्ना की गहरी दोस्ती हो गई, जो कई अन्य फ़िल्मों जैसे अचानक, मीरा और लेकिन में भी जारी रही।

छैनूका रोल और शत्रुघ्न सिन्हा

फ़िल्म में ‘छैनू’ का किरदार उस दौर के उभरते हुए कलाकार शत्रुघ्न सिन्हा ने निभाया था। उन्हें इस रोल के लिए एन.सी. सिप्पी के बड़े बेटे रोमू सिप्पी ने सुझाव दिया था। शत्रुघ्न सिन्हा उस वक़्त मज़ाक में कहते थे कि गुलज़ार ने उन्हें छोड़कर विनोद खन्ना को अपना लिया है, क्योंकि दोनों की दोस्ती काफ़ी गहरी हो गई थी। गुलज़ार साहब ने बाद में एक इंटरव्यू में कहा था कि ‘मेरे अपने’ फिल्म में उन्होंने अपने दो बहुत खास दोस्तों संग काम किया – एक विनोद खन्ना और दूसरी मीना कुमारी।

डैनी और दिनेश ठाकुर की डेब्यू

‘मेरे अपने’ ने कई नए चेहरों को मौका दिया। डैनी डेन्जोंगपा ने इस फ़िल्म से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया। वह पहले ‘छैनू’ का रोल चाहते थे, लेकिन उन्हें ‘संजू’ का किरदार मिला। उन्हें इस फ़िल्म में एक वेंट्रीलोक्विस्ट (पेट से बोलने वाला) का किरदार निभाना था। अपने किरदार को बेहतर बनाने के लिए डैनी एक वेंट्रीलोक्विस्ट को ढूंढते हुए बांद्रा की झुग्गियों में पहुंच गए थे। मीना कुमारी उनकी हिंदी से काफ़ी प्रभावित हुईं, क्योंकि वह सिक्किम से थे। मीना जी ने डैनी साहब से ये भी कहा था कि उनकी और डैनी की नाक एक जैसी है।

अभिनेता दिनेश ठाकुर ने फ़िल्म में ‘बिल्लू’ का कैरेक्टर प्ले किया था। उन्हें यह रोल संगीतकार सलिल चौधरी के ऑफिस में मिला, जहां उनकी पहली मुलाकात गुलज़ार से हुई थी। उस वक्त गुलज़ार और सलिल चौधरी इस फिल्म के सबसे लोकप्रिय गीत हाल चाल ठीक ठाक है” पर काम कर रहे थे। गुलज़ार ने दिनेश ठाकुर को देखा और उनमें अपनी फिल्म के लिए संभावनाएं ढूंढनी शुरू कर दी। आखिरकार, अगले दिन उन्होंने दिनेश ठाकुर को ‘बिल्लू’ का रोल ऑफर कर दिया।

संगीत: सलिल चौधरी और यादगार गाने

‘मेरे अपने’ का संगीत सलिल चौधरी ने तैयार किया था, और इस फ़िल्म के सभी चार गीत गुलज़ार साहब ने खुद लिखे थे। इस फ़िल्म के गीत कोई होता जिसको अपना” की ट्यून सलिल दा ने आनंद फ़िल्म के बैकग्राउंड म्यूज़िक के एक हिस्से से तैयार की थी। गुलज़ार साहब ने इस गीत के कुछ डमी बोल सलिल दा को दिए थे, और सलिल दा ने उन्हीं डमी बोलों पर वो पूरी धुन कंपोज़ की थी।

गुलज़ार का अनुभव और प्रीमियर की नर्वसनेस

बिमल रॉय के असिस्टेंट रह चुके गुलज़ार पहली बार स्वतंत्र रूप से फ़िल्म डायरेक्ट कर रहे थे। ‘मेरे अपने’ के कई ट्रायल शोज रखे गए। इन ट्रायल शोज में गुलज़ार बड़े नर्वस होते थे, क्योंकि बतौर डायरेक्टर ये उनकी पहली फ़िल्म थी।

दिल्ली के डिलाइट सिनेमा में हुए प्रीमियर के दौरान, जब फ़िल्म शुरू हुई और दर्शक सकारात्मक प्रतिक्रिया देने लगे, तब जाकर उन्हें राहत मिली। उनके दोस्त और एक्टर असरानी ने उस वक्त गुलज़ार का हाथ थामकर उन्हें शांत कराया था।

गुलज़ार साहब को एक ही बात का अफ़सोस है कि वह मीना कुमारी पर एक गाना फ़िल्मा नहीं पाए, क्योंकि उनकी तबीयत बहुत ख़राब थी। वह गाना था, “रोज़ अकेली आए, रोज़ अकेली जाए। चांद कटोरा लिए भिखारन रात।” मेरे अपने आखिरी फ़िल्म थी जो मीना कुमारी ने शूट की थी। गुलज़ार बताते हैं कि अक्सर फ़िल्म के सभी युवा कलाकारों के साथ मीना कुमारी जी मज़ाक करते हुए कहती थी, “ये डायरेक्टर तुम लोगों से इतनी मेहनत करा रहा है। कम से कम उससे एक बियर पार्टी के लिए तो कहो।” मगर वो बियर पार्टी कभी नहीं हो सकी।

गुलज़ार साहब ने ‘मेरे अपने’ की शूटिंग 40 दिन में पूरी कर ली थी। गुलज़ार कहते हैं कि फ़िल्म का प्रदर्शन बढ़िया रहा था। यह फ़िल्म कोई बंपर हिट तो नहीं थी, मगर जब भी इसे दोबारा दिखाया गया, लोग इस फ़िल्म को देखने आए ज़रूर।

Q&A: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. गुलज़ार की पहली फ़िल्म कौन-सी थी?

गुलज़ार की पहली डायरेक्टोरियल फ़िल्म ‘मेरे अपने’ थी, जो 1971 में रिलीज़ हुई।

2. मीना कुमारी ने ‘मेरे अपने’ में क्यों काम किया?

मीना कुमारी शुरू में इस फ़िल्म में काम करने को तैयार नहीं थीं क्योंकि उनकी तबीयत ठीक नहीं थी, लेकिन गुलज़ार और रोमू सिप्पी के आग्रह पर वह मान गईं। यह उनकी शूट की गई आख़िरी फ़िल्म थी।

3. विनोद खन्ना को ‘मेरे अपने’ से पहले कौन-से रोल्स मिलते थे?

विनोद खन्ना को ‘मेरे अपने’ से पहले ज़्यादातर खलनायक या नकारात्मक किरदार मिलते थे। इस फ़िल्म के बाद उन्हें नायक की भूमिकाएँ भी मिलने लगीं।

4. फ़िल्म ‘मेरे अपने’ की कहानी किस पर आधारित है?

यह फ़िल्म 1968 की बंगाली फ़िल्म ‘अपनजन’ की रीमेक है, जिसकी कहानी इंद्र मित्रा की एक शॉर्ट स्टोरी पर आधारित थी।

5. शत्रुघ्न सिन्हा को ‘छैनू’ के रोल में किसने कास्ट कराया था?

शत्रुघ्न सिन्हा को ‘छैनू’ के रोल के लिए एन.सी. सिप्पी के बड़े बेटे रोमू सिप्पी ने कास्ट कराया था।

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