ओटीटी पर हॉरर फिल्मों की बहार, लगातार आ रही फिल्में
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
Munjya Review: इन दिनों दर्शकों के बीच हॉरर फिल्में अपनी जगह बना रही हैं। हालांकि अब की हॉरर फिल्म पहले की हॉरर फिल्मों से भिन्न हैं। अब हॉरर फिल्म में कॉमेडी भी खूब होती है। इसी जॉनर में ‘स्त्री’, ‘भेड़िया’, ‘रूही’ जैसी हॉरर-कॉमिडी फिल्म बनी हैं। इसी तरह की फिल्म पिछले दो महीने पहले आई थी जिसका नाम था मुंज्या। अब ओटीटी में भी इसे स्ट्रीम किया गया है।
क्या है फिल्म की कहानी?
पुणे में बिट्टू रहता है जो डरपोक होता है। वह ब्यूटी पार्लर चलाने वाली अपनी मां पम्मी (मोना सिंह) और आजी यानी दादी (सुहास जोशी) के साथ रहता है। वह विदेश पढ़ने जाना चाहता है। हालांकि इसी बीच वो गांव जाता है। वहीं जमीन को लेकर दादी और चाचा के बीच बहस होती है। इस जगह को श्राप है कि अगर ब्राह्मण लड़के की मुंडन होने के 10 दिनों के भीतर ही मौत हो जाए तो वह ब्रह्मराक्षस यानी मुंजा बन जाता है। बिट्टू को पता चलता है कि उसके पिता की मौत भी ऐसे होती है जिसका खुलासा करने में वो लग जाता है। उसकी दादी की मौत भी मुंजा ले लेती है।
सूर्यास्त के बाद से सूर्योदय के समय तक वो गायब हो जाता है। फिर वह मुन्नी नामक लड़की को ढूढ़ने के लिए बिट्टू को प्रताड़ित करता है क्योंकि वह उससे शादी करना चाहता है। इससे बाद बिट्टू अपने दोस्त स्पीलबर्ग (तरनजोत सिंह) की मदद से मुन्नी को खोजता है। मुन्नी के मिलने के बाद मुंजा का दिल बिट्टू की बचपन की दोस्त बेला (शरवरी) पर आता है। जिसके साथ वह शादी की जिद करने लगता है। इस दौरान बिट्टू मुंजा से छुटाकारा पाने को लेकर आधुनिक तांत्रिक पडरी (एस सत्यराज) के पास मदद के लिए जाता है। वे बेला को झूठ बोलकर गांव लाते हैं। यहां पर शादी होती है या वे उससे छुटकारा पा पाएंगे? कहानी इस संबंध में हैं।
कैसा है फिल्म की स्क्रीनप्ले
फिल्म की कहानी योगेश चंद्रेकर ने लिखी है। पहले तो कहानी बढ़िया चलती है लेकिन मध्यांतर के बाद कहानी लड़खड़ाती है। फिल्म में हॉरर को पैदा करने के लिए साउंड इफेक्ट्स का प्रयोग हुआ है। वह बहुत प्रभावी नहीं बन पाया है। चेटूकवाड़ी को जितना डरावना संवादों में बताया है, वहां जाने पर वह डर कहीं महसूस नहीं होता।
कैसी है फिल्म में एक्टिंग
कलाकारों में बिट्टू बने अभय वर्मा का काम सराहनीय है। फिल्म का भार भी उनके कंधों पर है। उन्होंने बिट्टू के डरपोक, शर्मीले और दिमाग से तेज पात्र को सहजता से जीवंत किया है। शरवरी खूबसूरत लगी हैं। उनके किरदार और मुंजा के बीच कुछ प्रसंग को डालकर कहानी को रोचक बनाने की संभावना थी।