सरकार के सामने दीर्घकालिक सुधारों के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की चुनौती

लेखक- सुधांशु अनिरुद्ध, सहायक प्रोफेसर,दिल्ली विश्वविद्यालय

NEET : राष्ट्रीय पात्रता एवम प्रवेश परीक्षा ,नीट परीक्षा हाल के दिनों में विवाद के केंद्र में रही है, जिसमें धोखाधड़ी, पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं के आरोप इसकी छवि को धूमिल कर रहे हैं। इस  तरह के घोटाले न केवल शिक्षा प्रणाली में आम विद्यार्थियों का विश्वास कम कर रहे हैं बल्कि इस क्षेत्र मे जाने की सोचने वाले छात्रों का विश्वास भी कम कर रहे हैं। सरकार के सामने तत्काल इन मुद्दों को हल करने और नीट परीक्षा प्रक्रिया में विश्वास बहाल करने के लिए दीर्घकालिक सुधारों के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की चुनौती है।  बिना समय बर्बाद किए, केंद्र सरकार ने जांच के लिए एक निकाय का गठन किया। इसके अलावा, उन्होंने विपक्ष के धोखाधड़ी अन्य कदाचार और इसमें राजनीतिक संस्थाओं की संलिप्तता के कथित आरोपों के बाद अधिक व्यापक जांच के लिए इसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया है। पर केवल इनसे नहीं होगा सुधार। छात्रों की मेहनत के साथ करना होगा न्याय  जिन्होंने मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पाने के लिए बरसो मेहनत किया ।

केंद्र सरकार के प्रेस में छपे पेपर

परीक्षा प्रणाली में है कमजोरी या प्रशासन की चूक यह कहना जल्दबाजी होगी पर इस घोटाले ने परीक्षा प्रणाली में कमजोरियों की ओर इशारा किया है । भारत में परीक्षा के पेपर बनाने के लिए सिर्फ एक केंद्रीकृत प्रेस होना चाहिए और एक ही संस्था जिसकी देखरेख भारत सरकार के पास होना चाहिए। विभिन्न एजेंसी के द्वारा परीक्षा कराने के बजाय संघ लोक सेवा आयोग की तरह संस्था परिक्षा करवाए। जैसे एनडीए का होता है और पूर्णत्तः जिमेवारी इसी संस्था की होनी चाहिए। एन.टी. ए के बजाय संघ लोक सेवा आयोग कराए पेपर।

सरकार की जिम्मेवारी पर अधिकारियों पर लगाम जरूरी

जैसे ही घोटाला सामने आया सरकार और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तुरंत कई आवश्यक कदम उठाए और घोटाले की सीमा की जांच करने और किसी भी स्तर पर जिम्मेदार व्यक्ति की पहचान करने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति नियुक्त की। प्रधान ने कहा कि हम बिना गलती वाली परीक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और एन.टी.ए के कामकाज में सुधार के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर रहे है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि जांच में “कुछ क्षेत्रों में त्रुटियां” पाई गई हैं और उन्होंने छात्रों से वादा किया है कि सभी सुरक्षा उल्लंघन करने वालों को दंडित किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि एन. ई. ई. टी. मुद्दे पर दोषी साबित होने पर एन. टी. ए. के अधिकारियों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एन. टी. ए.) के अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया और स्थिति की गंभीरता को स्वीकार करते हुए और पूर्ण सुधार का वादा करते हुए बयान जारी किए गए। वादे से नहीं इरादो से होगा बदलाव।

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हो परीक्षा केंद्र और सख्त कानून

निजी केंद्रों और विद्यालयों में परीक्षा कराने में बजाय केंद्रीय विश्वविद्यालय को सौंपनी होगी जिम्मेवारी। सरकार को निश्चित करने होंगे प्रत्येक राज्य में परीक्षा केंद्र। इन केंद्रों को बनाने होगें साइबर सुरक्षा से युक्त और तमाम केंद्रों के अधिकारियों को लाना होगा कानून के दायरे में।

खामियों की ओर ध्यान देना होगा

परीक्षा के दौरान तमाम सुरक्षा और इंतजामात के बाद परीक्षा लीक होना इस बात का संकेत हैं कि पेपर पर नियुक्त पर्यवेक्षक के सामने मौजूद बंद बॉक्स खुलने से पहले ही पेपर लीक हो जाता है। इसको भारत के केंद्रीकृत प्रेस और संचालन के जरिए ही रोका जा सकता है । बैंक के जरिए प्रश्न पत्रों के वितरण की बजाय सीधे भारत सरकार और राज्य सरकार के प्रेस से हो वितरण। केंद्रीकृत परीक्षा केंद्र बनाना और निजी संचालकों से मुक्त परीक्षा केंद्र की जरूरत। परीक्षा के लिए सिर्फ सरकारी अधिकारियों को मिले जिम्मेवारी। सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को न बनाए केंद्र। रेलवे की तरह सख्त हो कानून और दोषियो को मिले आजीवन सजा। राजनैतिक पार्टियों के सदस्यों के स्वामित्व वाली संस्थाओं को नहीं मिले परीक्षा का अधिकार।। विभिन्न केंद्रों पर हो रही गतिविधियों को परीक्षा पूर्व ही निगरानी में रखा जाना चाहिए। प्रश्न पत्र की जिम्मेवारी सिर्फ सीमित लोगो के पास हो। परीक्षा के पूर्व ही उन क्षेत्रों पर हो निगरानी जहां छात्र और छात्रावास हो । कुछ कोचिंग केंद्रों की भी करनी होगी तहकीकात। इन बातों को अमल में ला कर मिल सकती है सफलता।

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