कटी पतंग–एक फिल्म, जो आज भी दिलों पर राज करती है

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

राजेश खन्ना का नाम हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े सुपरस्टार्स में शुमार किया जाता है। उनकी पहचान सिर्फ एक अभिनेता के रूप में नहीं, बल्कि एक पूरे पीढ़ी के दिलों पर राज करने वाले सितारे के रूप में बनी। 1970 के दशक की शुरुआत में उन्होंने अपनी एक्टिंग के साथ-साथ एक खास पहचान भी बनाई। साल 1970 के आखिरी महीनों में उनका फिल्मी करियर नए शिखर पर पहुँच चुका था, और ‘कटी पतंग’ ने उनके सितारे को और भी चमका दिया।

कटी पतंग: एक मील का पत्थर

1970 में रिलीज़ हुई फिल्म *कटी पतंग* एक अद्भुत फिल्म थी, जिसमें राजेश खन्ना का अभिनय और संगीत की जोड़ी ने मिलकर इतिहास रच दिया। इस फिल्म में आशा पारेख मुख्य भूमिका में थीं, लेकिन राजेश खन्ना का स्टारडम इस महिला प्रधान फिल्म में भी छाया रहा। फिल्म के गाने, जो किशोर कुमार की आवाज़ में थे, आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं। ‘ना कोई उमंग है ना कोई तरंग है’ जैसे गाने को आज भी लोग गाते हैं। इस फिल्म के संगीतकार आरडी बर्मन ने अपनी धुनों से फिल्म में नया जीवन डाला। इसके साथ ही, शबनम और मुकेश जैसे गायकों ने भी अपनी आवाज़ से इस फिल्म को और भी दिलचस्प बना दिया।

कथा और विषय: विधवा विवाह

फिल्म की कहानी एक विधवा महिला की जीवन यात्रा पर आधारित थी, जो अपनी सहेली के बच्चे के साथ ससुराल आती है। यह कहानी न केवल सामाजिक मुद्दों को उठाती है, बल्कि उस समय के समाज की सोच पर भी सवाल उठाती है। यह फिल्म न केवल एक मजबूत महिला पात्र के बारे में थी, बल्कि इसमें राजेश खन्ना ने अपने शानदार अभिनय से फिल्म को और भी जीवंत बना दिया। उनका हर संवाद, हर गाना एक अमिट छाप छोड़ता है।

कटी पतंग का कमर्शियल और म्यूज़िकल सक्सेस

कटी पतंग न केवल एक कमर्शियल हिट फिल्म थी, बल्कि एक म्यूज़िकल ब्लॉकबस्टर भी साबित हुई। फिल्म के गाने आज भी युवा और वृद्धों दोनों के बीच समान रूप से पसंद किए जाते हैं। इस फिल्म का संगीत फिल्म के कंटेंट से भी ज्यादा महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसने फिल्म की कहानी को एक अलग ही दिशा में ले जाकर उसे दर्शकों से जोड़ दिया।

राजेश खन्ना की भूमिका और शक्ति सामंत का निर्देशन

फिल्म के निर्देशक शक्ति सामंत का भी इस फिल्म के सफलता में बड़ा हाथ था। उन्होंने अपनी फिल्म में राजेश खन्ना और आशा पारेख जैसे शानदार कलाकारों का चुनाव किया, जो फिल्म की सफलता की कुंजी बने। शक्ति सामंत की सोच और निर्देशन ने फिल्म को एक नई दिशा दी। राजेश खन्ना की पर्सनलिटी के साथ उनका अभिनय भी फिल्म को और दिलचस्प बना गया।

कटी पतंग की विरासत

कटी पतंग न केवल 1970 के दशक की एक बड़ी फिल्म थी, बल्कि आज भी इसे एक कल्ट फिल्म माना जाता है। इस फिल्म का योगदान केवल हिंदी सिनेमा में ही नहीं, बल्कि भारतीय समाज की सोच और संस्कृति को भी प्रभावित करने में था। इस फिल्म ने यह सिद्ध किया कि एक अभिनेता का स्टारडम और एक फिल्म की कहानी एक साथ मिलकर क्या कर सकती है।

राजेश खन्ना का यह दशक उनके करियर का स्वर्णिम दौर था, जिसमें कटी पतंग जैसी फिल्में उनके सुपरस्टारडम को स्थापित करने में सहायक साबित हुईं। उन्होंने एक दशक में 15 बैक-टू-बैक हिट फिल्में दीं, और फिल्म इंडस्ट्री में अपनी खास जगह बनाई। कटी पतंग आज भी उन फिल्मों में से एक है, जो न केवल दर्शकों को एक अद्भुत फिल्मी अनुभव देती है, बल्कि उनकी यादों में हमेशा के लिए बस जाती है।

राजेश खन्ना का योगदान हिंदी सिनेमा के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा। उनकी फिल्में आज भी उतनी ही लोकप्रिय हैं जितनी वे 1970 के दशक में हुआ करती थीं। कटी पतंग उनके करियर का एक अहम हिस्सा है और यह फिल्म दर्शकों को उनके अभिनय की जादुई दुनिया में खो जाने का एक अनमोल मौका देती है।

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