लाहौरी दरवाजे के छत्ते में से गुजरने के बाद हमको एक सजा हुआ चौक 200 फुट लंबा और 140 फुट चौड़ा मिलता है, जिसके गिर्द मकान बने हुए थे। इनमें उमरा और मनसबदारों की बैठकें थीं। इस चौक के दक्षिण और पश्चिम के कोने के कुछ और इमारतें थीं, जिनमें उच्च अधिकारी राज- कार्य में लगे रहते थे।

चौक के बीच में एक हौज था, जिसमें नहर गिरती थी और जो हर वक्त भरा रहता था। यह नहर चौक के बीचोंबीच में से गुजरती थी, जिससे इस चौक के दो टुकड़े हो गए थे। नहर के बराबर-बराबर दोनों ओर एक चौड़ी सड़क उत्तर से दक्षिण को थी जो एक ओर शाही बागों को चली गई थी।

जिनको यही नहर पानी पहुंचाती थी और दक्षिण की ओर दिल्ली दरवाजे से आ मिली थी। हौज के सामने और लाहौरी दरवाजे के बाजार के अंदरूनी दरवाजे के मुकाबले में एक पुख्ता जंगले के अंदर नक्कारखाने की लाल पत्थर की पक्की इमारत थी। अंग्रेजी जमाने में फौजी काम के लिए यहां बहुत कुछ टूट-फूट हुई है। अब न इस चौक की दीवारें हैं, न हौज, न कोई इमारत बाकी है, न ही वह पत्थर का जंगला रहा, लेकिन नक्कारखाने के कमरे और दर खुले हुए थे।

अब कई दर बंद कर दिए गए हैं। बाजार के दरवाजे और नक्कारखाने के बीच की इमारत गिराकर मैदान साफ कर दिया गया है। इसलिए यह पता नहीं चलता कि शाहजहां के काल में नक्कारखाने के दोनों ओर क्या-क्या इमारतें बनी हुई थीं। इस नक्कारखाने के ऊपर हर रोज पांच बार नौबत बजा करती थी।

इतवार को सारे दिन नौबत बजती थी, क्योंकि वह दिन शुभ माना जाता था। इसके अतिरिक्त बादशाह की जन्मतिथि को भी सारे दिन नौबत बजती थी। नक्कारखाना तीन फुट ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है, जो अब चबूतरे के इस सिरे से  उस सिरे तक बढ़ा दिया गया है। नक्कारखाने का दालान 70 फुट चौड़ा और 46 फुट ऊंचा है, जिसके चारों कोनों पर 10-10 फुट ऊंची बुर्जियां हैं।

नक्कारखाने का दरवाजा 29 फुट ऊंचा और 100 फुट चौड़ा है, जिसके बीच में दोनों ओर दोमंजिला कमरे हैं। उनके आगे भी महराबें बनी हुई हैं और इनके इधर-उधर ऊपर जाने को सीढ़ियां हैं। उसके ऊपर पंचदरा दालान हैं। इधर-उधर दोनों ओर उसके दर हैं। इसी दालान में नौबत बजा करती थी। छत के उत्तर-पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी कोनों पर चार खंभों की चौकोर बुर्जियां हैं, जिनके गुंबदों के नीचे एक चौड़ा छज्जा है। यह दरवाजा, जो नक्कारखाने के काम में आता था, वास्तव में दीवाने आम के सहन का दरवाजा है।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here