लाल रंग के पत्थरों से निर्मित लाल किला (red fort) देशी विदेशी पर्यटकों का मन मोह लेता है। नौ साल बाद 16 अप्रैल 1648 को बनकर तैयार हुए लाल किले में ऐतिहासिक धरोधर संजोए नक्कार खाना (naqqar khana), दीवाने आम (diwan e aam), रंग महल (rang mahal), मुमताज महल (mumtaz mahal), मुसम्मन बुर्ज (musamman burj), दीवाने खास (diwane khass), हमाम, खास महल (khas mahal) समेत हयात बख्श हर आने जाने वाले को इतिहास के स्वर्णिम धरोहरों से रूबरू कराती है। लाल किले की हर दरो दीवार कुछ कहती है। लाल किले के उत्तर में स्नानागार समूह या हमाम है जिसमें गलियों द्वारा तीन कक्ष हैं। ठीक इसके पश्चिम में एक छोटी मस्जिद है जिसे मोती मस्जिद (moti masjid) कहते हैं।

औरंगजेब ने अपने निजी इस्तेमाल के लिए इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। मस्जिद के प्रार्थना कक्ष में काले संगमरमर की बाहरी रेखा वाले मुसल्ले(प्रार्थना के लिए छोटी दरियां) बनीं हैं। यह आंगन की सतह से ऊंचाई पर स्थित है। यह कक्ष तीन उभरे हुए गुम्बदों द्वारा आच्छादित है जिन पर प्रारंभ में तांबे का पत्र लगा था जो गर्दन पर काफी हद तक दबा हुआ है। पूर्वी दरवाजे में तांबे के पत्रों की पत्तियां दी गई है। इस मस्जिद का प्रयोग हरम की महिलाएं भी करती थी। इसकी नक्काशी उत्कृष्ट हैं। कहते हैं लाल किले की दीवारें भी आभूषण जड़ित थी, इसलिए नक्काशी में जगह जगह रिक्त स्थान दिखाई देते हैं।

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