कुलदीप नैयर से शास्त्री जी ने बताई थी अपने मन की बात
21 नवंबर 1962 की मध्यरात्रि चीन (India China war 1962) ने भारत सरकार को बताए बिना ही एकतरफा युद्धविराम की घोषणा कर दी। सरकार की गुप्तचर एजेंसियों तक को पता नहीं चला इस युद्धविराम के बारे में, जबकि अखबारों के दफ्तरों में बकायदा चीन ने जानकारी भिजवाई थी। गृहमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (lal bahadur shastri) को जब पता चला तो उन्होंने तत्काल पीएम जवाहर लाल नेहरू (jawaharlal nehru) से बातचीत की।
शास्त्री चाहते थे कि भारत, चीन के प्रस्ताव को ठुकरा दें। उन्होंने कुलदीप नैयर से कहा था कि अगर हम झुकेंगे नहीं तो हम एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभरेंगे। उनका मानना था कि हमें विपरीत स्थितियों के बावजूद लड़ाई को जारी रखना चाहिए।
कुलदीप नैयर के साथ जब वो गुवाहाटी पहुंचे तो असम के मुख्यमंत्री विमला प्रसाद चेलिया एयरपोर्ट पर मौजूद थे। राज्यपाल भगवान सहाय का कहना था कि उन्होंने बहुत दिनों बाद चेलिया के चेहरे पर ऐसी खुशी देखी थी। यह युद्ध विराम की खबर का असर था। गुवाहाटी में इन्दिरा गांधी भी मौजूद थीं। उन्हें प्रस्ताव का आखिरी पैरा आपत्तिजनक प्रतीत हो रहा था। उनका कहना था कि चीनी नियंत्रण बरकरार रहने से उन्हें वहाँ के लोगों की मानसिकता को प्रभावित करने का मौका मिलेगा।