इसका जिक्र ऊपर आया है। यह संगमरमर के बिल्कुल बेजोड़ पत्थर में पायों सहित तराशा हुआ है, जो शाहजहां के वक्त में मकराने की खान से लाया गया था। यह हौज 10 फुट 2 इंच लंबा, 9 फुट 6 इंच चौड़ा, और 2 फुट 3 इंच गहरा है। यह चार मुरब्बा संगमरमर के पायों पर खड़ा है। इसे बड़ी अहतियात से मकराने से लाकर लाल किले के मोती महल में रखा गया था। गदर के बाद इसे कंपनी बाग में ले जाया गया। 1911 ई. में इसे रंगमहल के सामने रखवा दिया गया।
दरिया महल
रंगमहल और इमतियाज महल के पास इस नाम का एक महल था। अब इसका कोई पता नहीं रहा।
छोटी बैठक
इमतियाज महल के दक्षिण में यह भी एक इमारत थी। यह भी और इमारतों की तरह बहुत सुंदर थी। अब यह बाकी नहीं है।
मुमताज महल
अब इसमें अजायबखाना है। यह उत्तर से दक्षिण को 44 फुट और पूर्व से पश्चिम को करीब 82 फुट है। इसका शुमार बड़े महलों में था। गदर के बाद इससे कैदखाने का काम लिया गया। इसकी छत के चारों कोनों पर सुनहरी छतरियां थीं। वे अब नहीं रहीं।
असद बुर्ज
किले के दक्षिण और पूर्व के कोने में एक बहुत बड़ा बुर्ज है। जब हरनाथ चेले ने 1803 ई. में दिल्ली पर हमला किया था तो कर्नल डेविड आक्टर लोनी ने बहादुरी से उसको परास्त किया था। बुर्ज को हमले से बहुत हानि पहुंची थी, लेकिन अकबर शाह सानी ने फिर से उसको ठीक करके बनवा दिया था।
बदर रौ दरवाजा
यह किले के दक्षिण तथा पूर्व के कोने में असद बुर्ज के पास है। इस दरवाजे के सामने भी घोघस बना हुआ है, जो शायद औरंगजेब ने बनवाया था।