roti kapada aur makaan
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Roti Kapada Aur Makaan: 51 साल बाद भी प्रासंगिक, एक फ़िल्म जिसकी किस्मत जंजीरने बदली

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Roti Kapada Aur Makaan: आज से ठीक 51 साल पहले, 18 अक्टूबर 1974 को, जब मनोज कुमार की सामाजिक फ़िल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान’ रिलीज़ हुई, तो इसने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया था। लेकिन फ़िल्म की कामयाबी के पीछे एक ऐसा नाटकीय किस्सा छिपा है, जो ख़ुद फ़िल्म की कहानी से ज़्यादा पेचीदा और दिलचस्प है। यह किस्सा जुड़ा है फ़िल्म के सबसे आइकोनिक और सदाबहार गीत “हाय हाय ये मजबूरी” से, जिसके फिल्मांकन ने दो प्रमुख अभिनेत्रियों—मौसमी चटर्जी और ज़ीनत अमान—के बीच एक अनचाहा विवाद पैदा कर दिया था।

असल में, यह गाना पहले मौसमी चटर्जी के किरदार पर फ़िल्माया जाना था, लेकिन ऐन मौके पर डायरेक्टर मनोज कुमार ने इसे ज़ीनत अमान को दे दिया। इस बदलाव के पीछे प्रेग्नेंसी की फ़िक्र, करियर की प्रतिस्पर्धा और एक गहरी नाराज़गी छुपी थी। यह लेख आपको उस ब्लॉकबस्टर फ़िल्म के निर्माण की अनूठी यात्रा पर ले जाएगा, जिसके पर्दे के पीछे के किस्से, अमिताभ बच्चन की बदली किस्मत और बॉक्स ऑफिस के रिकॉर्ड आज भी बॉलीवुड प्रेमियों को हैरान करते हैं।

बेरोज़गारी को समझने की भारत कुमारकी मेहनत

मनोज कुमार, जो अपने देशभक्तिपूर्ण और सामाजिक सरोकार वाली फिल्मों के लिए जाने जाते थे, उन्होंने रोटी कपड़ा और मकान को अपनी पिछली फिल्मों से भी ज़्यादा यथार्थवादी बनाने का निर्णय लिया। फ़िल्म का केंद्रीय किरदार भारत (मनोज कुमार) बेरोज़गारी से जूझ रहे नौजवानों का प्रतीक था। अपने किरदार को अधिकाधिक प्रामाणिक (ऑथेंटिक) बनाने के लिए, मनोज कुमार उस समय के बेरोज़गारी का शिकार हुए कई नौजवानों से व्यक्तिगत रूप से मिले। उन्होंने उनकी निराशा, हताशा और संघर्ष को नज़दीक से समझा, जिसने फिल्म की पटकथा को एक गहरी भावनात्मक परत दी।

मनोज कुमार ने ही इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को फ़ाइनेंस किया, डायरेक्ट किया और लिखा। उनका दृष्टिकोण इतना स्पष्ट था कि उन्होंने ₹1 करोड़ 30 लाख के बजट वाली इस फ़िल्म को 1974 की सबसे बड़ी बॉक्स ऑफिस हिट में बदल दिया।

अमिताभ बच्चन की किस्मत का संयोग: जंजीरका फ़ायदा

यह फ़िल्म अमिताभ बच्चन के करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, लेकिन इसका श्रेय सीधे तौर पर फ़िल्म के बनने के समय को जाता है।

जिस समय मनोज कुमार ने अमिताभ बच्चन को फ़िल्म में कास्ट किया था, वह इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। ‘रोटी कपड़ा और मकान’ की शूटिंग चल रही थी, लेकिन फिर 1973 में उनकी फ़िल्म ज़ंजीर रिलीज़ हुई और रातोंरात ब्लॉकबस्टर बन गई। ‘ज़ंजीर’ ने अमिताभ को एंग्री यंग मैन बना दिया और उन्हें एक अलग ही सुपरस्टारडम दिया।

जब ‘रोटी कपड़ा और मकान’ 1974 में रिलीज़ हुई, तब तक अमिताभ बच्चन एक स्थापित सितारे बन चुके थे। फ़िल्म में पहले से ही मनोज कुमार, शशि कपूर, ज़ीनत अमान और मौसमी चटर्जी जैसे बड़े नाम थे, लेकिन अमिताभ के नए सुपरस्टारडम ने दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने में बड़ी मदद की। इस तरह, जंजीरकी सफलता का सीधा और ज़बरदस्त फायदा इस फ़िल्म को भी मिला, जहाँ अमिताभ का छोटा, लेकिन शक्तिशाली किरदार दर्शकों के बीच एक अलग छाप छोड़ गया।

पर्दे के पीछे के नाटकीय किस्से: विवाद और ठुकराए गए सितारे

फ़िल्म का सबसे आइकोनिक और हिट गाना, हाय हाय ये मजबूरी”, मनोज कुमार और ज़ीनत अमान पर फ़िल्माया गया था। लेकिन असल योजना इसे मौसमी चटर्जी पर फ़िल्माने की थी।

मौसमी चटर्जी उस वक्त गर्भवती थीं। मनोज कुमार, जो शायद मौसमी की प्रेग्नेंसी को लेकर फ़िक्रमंद थे, उन्होंने यह गाना ज़ीनत अमान पर फ़िल्माने का फ़ैसला किया। मौसमी चटर्जी को यह बदलाव बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। उनका तर्क था कि गाने के बोल—”हाय हाय ये मजबूरी, ये मौसम और ये दूरी…”—किसी साधारण, ग्रामीण/देहाती पृष्ठभूमि वाली लड़की (जो उनका किरदार था) पर पूरी तरह से फ़िट बैठते थे, न कि ज़ीनत अमान के शहरी, ग्लैमरस किरदार पर।

मौसमी चटर्जी ने इस फ़ैसले को मनोज कुमार की नाराज़गी का नतीजा बताया। उन्होंने याद दिलाया कि फ़िल्म के एक और गाने महंगाई मार गई” की शूटिंग के दौरान भी वह गर्भवती थीं, तब तो मनोज कुमार ने उनकी प्रेगनेंसी की फ़िक्र नहीं की। यह वाकया फ़िल्म के सेट पर हुए बड़े रचनात्मक मतभेदों में से एक था।

स्मिता पाटिल का इंकार और मोहन बाबूकी दौड़

मनोज कुमार ने उस समय की एक अनजान अदाकारा स्मिता पाटिल को भी एक रोल ऑफर किया था। लेकिन स्मिता पाटिल ने उस रोल को पसंद न आने के कारण ठुकरा दिया था। मनोज कुमार इस इंकार से नाराज़ भी हुए थे, हालांकि बाद में स्मिता पाटिल भारतीय सिनेमा की एक बहुत बड़ी और सम्मानित अभिनेत्री बनीं।

फ़िल्म में शशि कपूर द्वारा निभाया गया मोहन बाबू का महत्वपूर्ण किरदार कई उतार-चढ़ावों के बाद उन्हें मिला था:

  1. राजेश खन्ना को ऑफर, जिन्होंने व्यस्तता के कारण मना कर दिया।
  2. नवीन निश्चल को ऑफर, जिन्होंने मल्टी-स्टारर फ़िल्म न करने की नीति के चलते मना किया।
  3. राजेंद्र कुमार को ऑफर, जिन्होंने रोल में बदलाव की शर्त रखी, जिसे मनोज कुमार ने नहीं माना।

आख़िरकार, यह रोल शशि कपूर को मिला, जिन्होंने बिना किसी शर्त या बदलाव के मनोज कुमार की स्क्रिप्ट को स्वीकार कर लिया।

1974 की सबसे बड़ी Blockbuster

रोटी कपड़ा और मकान ने कमाई के मामले में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। फ़िल्म का बजट भले ही 1 करोड़ 30 लाख रुपए था, लेकिन इसने ₹5 करोड़ 25 लाख रुपए की नेट कमाई की। यह आंकड़ा इसे साल 1974 की सबसे सफल फ़िल्म बनाता है।

तुलना के लिए, उस साल की दूसरी सबसे सफल फ़िल्म चोर मचाए शोर ने ₹3 करोड़ और तीसरी सबसे सफल फ़िल्म दोस्त ने ₹2.5 करोड़ की नेट कमाई की थी। यह तथ्य शशि कपूर के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि 1974 की टॉप-3 फ़िल्मों में से दो (रोटी कपड़ा और मकान और चोर मचाए शोर) में उन्होंने अभिनय किया था।

भारत कुमार की नैतिकता का संतुलन

मनोज कुमार ने अपनी देशभक्त भारत कुमार की साफ़-सुथरी और आदर्शवादी छवि को बनाए रखने का पूरा ध्यान रखा। यही वजह थी कि उन्होंने ज़ीनत अमान, जो उस समय अपने ग्लैमर के लिए मशहूर थीं, उनके साथ कोई भी ऐसा रोमांटिक सीन नहीं रखा जिसमें उन्हें ज़ीनत के ज़्यादा क़रीब जाना पड़ता। मनोज कुमार ने जानबूझकर अपनी व्यावसायिक सफलता और अपनी व्यक्तिगत/सार्वजनिक छवि के बीच एक नैतिक संतुलन बनाए रखा।

एक कालजयी फ़िल्म की विरासत

51 साल बाद भी रोटी कपड़ा और मकान भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर बनी हुई है। यह सिर्फ़ एक सफल फ़िल्म नहीं है; यह एक ऐसा दस्तावेज़ है जो दिखाता है कि कैसे एक दूरदर्शी निर्देशक ने बेरोज़गारी जैसे गंभीर सामाजिक मुद्दे को लिया, उसमें व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं और नैतिक दुविधाओं को पिरोया, और उसे एक ऐसी ब्लॉकबस्टर में बदल दिया जिसने बॉलीवुड के एक ‘स्ट्रगलर’ के भाग्य को भी चमका दिया। यह फ़िल्म आज भी प्रासंगिक है और मनोज कुमार के सामाजिक सिनेमा की श्रेष्ठता का प्रमाण है।

FAQs अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1: ‘रोटी कपड़ा और मकानकी रिलीज़ डेट क्या थी?

A: यह फ़िल्म 18 अक्टूबर 1974 को रिलीज़ हुई थी।

Q2: ‘रोटी कपड़ा और मकानका कुल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन (नेट कमाई) कितना था?

A: फ़िल्म की नेट कमाई ₹5 करोड़ 25 लाख रुपए थी, जो इसे 1974 की सबसे सफल फ़िल्म बनाती है।

Q3: अमिताभ बच्चन को इस फ़िल्म में काम करने का क्या ख़ास फ़ायदा हुआ?

A: फ़िल्म की शूटिंग के दौरान ही ‘ज़ंजीर’ (1973) हिट हुई, जिससे अमिताभ बच्चन सुपरस्टार बन गए। ‘रोटी कपड़ा और मकान’ की रिलीज़ पर अमिताभ के इस नए स्टारडम का फ़ायदा फ़िल्म को मिला।

Q4: ‘हाय हाय ये मजबूरीगाना ज़ीनत अमान पर क्यों फ़िल्माया गया?

A: यह गाना असल में मौसमी चटर्जी पर फ़िल्माया जाना था, लेकिन उनकी गर्भावस्था के कारण मनोज कुमार ने इसे ज़ीनत अमान पर फ़िल्माने का फ़ैसला किया, जिस पर मौसमी चटर्जी ने आपत्ति जताई थी।

Q5: ‘मोहन बाबूका रोल निभाने वाले शशि कपूर से पहले यह रोल किसे ऑफर किया गया था?

A: यह रोल सबसे पहले राजेश खन्ना को ऑफर हुआ था, जिन्होंने व्यस्तता के कारण मना कर दिया था। इसके बाद नवीन निश्चल और राजेंद्र कुमार को भी ऑफर किया गया था।

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