गणेश स्तुति से प्रसन्न होते हैं भगवान विनायक

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

श्री गणेश स्तुति: से भगवान गणेश प्रसन्न होकर भक्तों के सभी दुख, बिघ्न, बाधा हर लेते हैं। भगवान बहुत ही दयालु है। भक्तों की हर विपत्ति को समाप्त करते हैं। भक्तों को आर्शिवाद देते हैं। भक्तों का बेड़ा पार लगाते हैं।

(1)

नमो नमस्तेऽखिललोकनाथ

नमो नमस्तेऽखिललोकधामन् ।

नमो नमस्तेऽखिललोककारिन्

नमो नमस्तेऽखिललोकहारिन् ॥ 1।

हे सर्वलोकेश्वर ! आपको नमस्कार है। हे सर्वलोकाधार ! आपको बार-बार नमस्कार है। हे निखिल सृष्टिके कर्ता एवं निखिल सृष्टिके संहारक ! आपको बार-बार नमस्कार है ॥ 1 ॥

(2)

नमो नमस्ते सुरशत्रुनाश

नमो नमस्ते हृतभक्तपाश।

नमो नमस्ते निजभक्तपोष

नमो नमस्ते लघुभक्तितोष ॥ 2।

हे देव-शत्रुओंके विनाशक ! आपको बार-बार नमस्कार है। भक्तोंका पाश नष्ट करनेवाले हे प्रभो! आपको बार-बार नमस्कार है। अपने भक्तोंका पोषण करनेवाले आपको बार-बार नमस्कार है। थोड़ी-सी भी भक्तिसे सन्तुष्ट होनेवाले हे प्रभो। आपको बार-बार नमस्कार है ॥ 2॥

(3)

निराकृते नित्यनिरस्तमाय

परात्पर ब्रह्ममयस्वरूप।

क्षराक्षरातीतगुणैर्विहीन

दीनानुकम्पिन् भगवन्नमस्ते ॥ 3 ॥

आप निराकार, अन्धकारसे सदा दूर रहनेवाले अर्थात् प्रकाशस्वरूप, परात्पर, ब्रह्मस्वरूप, क्षर-अक्षरसे अतीत, सत्त्वगुणादिसे रहित एवं दीनजनोंपर अनुकम्पा करनेवाले हैं; हे भगवन्! आपको नमस्कार है।॥ 3॥

(4)

निरामयायाखिलकामपूर

निरञ्जनायाखिलदैत्यदारिन्

नित्याय सत्याय परोपकारिन्

समाय सर्वत्र नमो नमस्ते ॥ 4 ॥

इति श्रीगणेशपुराणे श्रीविनायकस्तुतिः सम्पूर्णा ॥

आप निरामय, पूर्णकाम (सम्पूर्ण कामनाओंसे रहित), निरंजन, सम्पूर्ण दैत्योंका दलन करनेवाले, नित्य, सत्य, परोपकारी और सर्वत्र समरूपसे निवास करते हैं; आपको बार-बार नमस्कार है ॥ 4 ॥

इस प्रकार श्रीगणेशपुराणमें श्रीविनायकस्तुति सम्पूर्ण हुई ॥

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