सॉफ्ट टॉय बिजनेस से आत्मनिर्भर बनीं उत्तराखंड की महिलाएं
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
मुलायम और सुरक्षित खिलौने, यानी सॉफ्ट टॉय, बच्चों और बड़ों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। उत्तराखंड की महिलाओं ने इन्हीं खिलौनों को बनाकर रोजगार का बेहतरीन जरिया खोजा है। अपनी कला और हुनर से ये महिलाएं सॉफ्ट टॉय बिजनेस से लाखों रुपये कमा रही हैं। जानिए, कैसे हस्तनिर्मित सॉफ्ट टॉय इन महिलाओं के लिए कमाई का प्रभावशाली माध्यम बना।
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राष्ट्रपति भवन में सॉफ्ट टॉय का स्टॉल
दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में इस समय ‘उद्यान उत्सव’ चल रहा है, जो 23 फरवरी तक चलेगा। इस उत्सव में उत्तराखंड की महिला उद्यमियों ने अपने हाथों से बनाए गए सॉफ्ट टॉय का स्टॉल लगाया है। इन हस्तनिर्मित खिलौनों की गुणवत्ता और अनूठे डिजाइनों को लेकर दर्शक बेहद खुश हैं।
400 से अधिक महिलाओं को मिल रहा रोजगार
चंपावत से आई मनीषा ने बताया कि वे और उनकी साथी महिलाएं ‘दयाल अन्त्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन’ से जुड़ी हुई हैं। इस योजना के तहत 400 से अधिक महिलाएं हस्तनिर्मित सॉफ्ट टॉय और ऊनी वस्त्र बनाकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं।
पर्यावरण के अनुकूल सॉफ्ट टॉय की खासियत
मनीषा के अनुसार, इन सॉफ्ट टॉय को बनाने में कपास और सूती धागे का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें किसी भी प्रकार का प्लास्टिक नहीं होता, जिससे ये पूरी तरह से सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल होते हैं। ये खिलौने 290 रुपये से 3000 रुपये तक की रेंज में उपलब्ध हैं।
विदेशों तक फैली है इन सॉफ्ट टॉय की डिमांड
उत्तराखंड की इन महिला उद्यमियों द्वारा बनाए गए हस्तनिर्मित सॉफ्ट टॉय की डिमांड अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि अमेरिका, फ्रांस और स्विट्जरलैंड तक पहुंच चुकी है। इस बिजनेस से जुड़े महिलाओं का सालाना टर्नओवर 17 लाख रुपये तक पहुंच चुका है।
सॉफ्ट टॉय बिजनेस से आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा
अगर आप भी इन खूबसूरत और सुरक्षित खिलौनों को खरीदना चाहते हैं, तो राष्ट्रपति भवन के ‘अमृत उत्सव’ में जाकर इन्हें देख सकते हैं। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सही दिशा में मेहनत और कौशल से कोई भी बिजनेस को सफल बना सकता है। उत्तराखंड की महिलाओं का यह उदाहरण प्रेरणादायक है कि कैसे एक छोटा सा आइडिया बड़े बदलाव ला सकता है।
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