स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती
स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती

स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती ने बताया, “वर्तमान में जीना ही तनाव से मुक्ति का मार्ग है”

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

तनाव मुक्त जीवन (Stress Free Life) जीना हर व्यक्ति की इच्छा होती है। कोई धन चाहता है, कोई सफलता, तो कोई सिर्फ मानसिक शांति। लेकिन स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती कहते हैं — “आनंदपूर्वक जीवन जीना और तनावमुक्त जीवन जीना — दोनों एक ही बात हैं। फर्क सिर्फ नज़रिए का है।”
उन्होंने बताया कि जब हम ‘वर्तमान’ में जीना सीख लेते हैं, तभी सच्ची शांति और आनंद का अनुभव होता है।

तनाव (Stress) क्यों होता है? कारण समझिए

स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती के अनुसार, तनाव का जन्म “वास्तविकता और चाहत” के बीच की दूरी से होता है।

“जहां मैं हूं और जहां मैं होना चाहता हूं — इन दोनों के बीच जितनी दूरी होगी, उतना ही तनाव बढ़ेगा।”

उदाहरण के लिए:

  • अगर किसी के पास 1 करोड़ है और वह 10 करोड़ का सपना देखता है, तो यह दूरी ही तनाव का कारण बनती है।
  • यदि कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका को खो देता है, तो उसकी चाह और हकीकत के बीच यह दूरी मानसिक पीड़ा में बदल जाती है।

यानी तनाव की जड़ महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि वर्तमान से असंतोष है।

तनाव मुक्त कैसे बनें? उपाय (Ways to Live Stress Free Life)

1. वर्तमान क्षण को स्वीकार करें

जो है, उसे स्वीकार करें। वर्तमान में आनंद खोजें।

“यदि आप अभी जो हैं, उसे पसंद कर लेते हैं — तो तनाव स्वतः समाप्त हो जाता है।”

2. भविष्य की चिंता और अतीत का पछतावा छोड़ें

अतीत चला गया, भविष्य अभी आया नहीं। जो अभी है, वही सच्चा जीवन है।

“जो बात हो गई, जाने दो; जो आने वाली है, आने दो; अभी जो है, उसका आनंद लो।”

3. प्रसन्नता को ‘परिणाम’ नहीं, ‘प्रक्रिया’ बनाएं

स्वामी जी कहते हैं — सफलता का आनंद तब ही मिलेगा जब आप हर छोटे क्षण को जीना सीख लें।
जैसे –

  • चाय पी रहे हैं तो सिर्फ चाय का स्वाद महसूस करें।
  • नहा रहे हैं तो पानी की ठंडक को महसूस करें।
  • मित्रों से बातचीत कर रहे हैं तो पूरे मन से करें।

यह है “क्षण-क्षण जीना (Living Moment to Moment)”।

महत्वाकांक्षा जरूरी है, लेकिन आसक्ति नहीं

विकास और प्रगति जरूरी है, लेकिन यदि आप अपने लक्ष्यों से चिपक गए तो तनाव बढ़ेगा।

“लक्ष्य रखें, पर चिंता छोड़ दें। जो प्रयास करना है, करें — परिणाम की आसक्ति छोड़ें।”

यही वह संतुलन है जो आपको स्ट्रेस फ्री लाइफ की ओर ले जाएगा।

स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती का सार

“तनाव वहीं होता है जहां दूरी है। और आनंद वहीं है जहां स्वीकृति है।”
“वर्तमान क्षण को जियो, तो तनाव और दुख अपने आप मिट जाएंगे।”

उनके अनुसार, यह कोई दीर्घ साधना नहीं है — यह तुरंत परिणाम देने वाला अभ्यास है।
जैसे ही आप “अब और यहीं” को स्वीकार करते हैं, आप तनावमुक्त हो जाते हैं।

Stress Free Life जीने का रहस्य धन, शक्ति या सिद्धियों में नहीं — बल्कि “स्वीकृति” में छिपा है।

“जो है, वही ठीक है” — यह सोच ही तनावमुक्त जीवन की शुरुआत है।
जैसे ही आप वर्तमान क्षण का आनंद लेना सीख जाते हैं, जीवन स्वतः आनंदमय और सहज हो जाता है।

FAQs (सवाल-जवाब)

Q1. तनाव मुक्त जीवन जीने का सबसे सरल तरीका क्या है?
A- वर्तमान क्षण को स्वीकार करें और जो है उसका आनंद लें।

Q2. क्या तनाव पूरी तरह खत्म हो सकता है?
A- हाँ, यदि आप ‘अभी’ में जीना सीख लें, तो मन में तनाव की कोई जगह नहीं रहती।

Q3. क्या महत्वाकांक्षा रखना गलत है?
A- नहीं, लेकिन जब लक्ष्य आपकी खुशी का केंद्र बन जाए, तब तनाव बढ़ता है।

Q4. क्या ध्यान या मेडिटेशन जरूरी है?
A- यह मदद करता है, लेकिन मूल कुंजी है “वर्तमान में सजग रहना”।

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