एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट दिल्ली टीचर एसोसिएशन (एएडीटीए) के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अपील की कि वे संचालन परिषद के नौ ट्रस्टियों द्वारा उठाई गई आपत्तियों के आलोक में गुजरात विद्यापीठ के कुलाधिपति की नियुक्ति पर आवश्यक कार्रवाई करें। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ आदित्य नारायण मिश्रा ने इस बाबत राष्ट्रपति को पत्र लिखा है।
उन्होंने गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद की शासी परिषद के कुलाधिपति की नियुक्ति को लेकर नौ ट्रस्ट सदस्यों द्वारा उठाई गई चिंताओं को इसमें चिन्हित किया है। इन सभी चिंताओं को विश्वविद्यालय की संस्थागत स्वायत्तता की रक्षा के वास्ते यथोचित रुप से समाधान किए जाने की जरूरत क्योंकि ये स्वायत्तता विश्विद्यालय द्वारा उसकी भूमिका, जिम्मेदारी और कर्तव्यों को निभाने के लिए अहम है। वह इन नौ ट्रस्टियों द्वारा गुजरात के राज्यपाल को लिखे उनके पत्र में व्यक्त किए गए विचार का पूरा समर्थन करते हैं, जिसमें वो यह लिखते हैं – “यह नितांत रूप से आवश्यक है कि सभी शैक्षणिक संस्थान– भले ही उन्हें सरकारी अनुदान प्राप्त हो– स्वतंत्र रहें और सत्ता तथा राजनीति की उथल-पुथल से सुरक्षित रहें। उन्हें सत्ता की आधिकारिक लाइन पर चलने के लिए या शासन के दबाव में व्यक्तियों को नियुक्त करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। इन संस्थानो का सरकार के निजी हित में कार्य करना समाज में इनकी सार्थकता को नष्ट करेगा। ऐसे संस्थानों को किसी राजनीतिक दल या धार्मिक व्यवस्था के वर्चस्व से अनिवार्य रूप से मुक्त रहना चाहिए।”
विश्वविद्यालयों में होने वाली नियुक्तियों में राजनीतिक पक्षपात के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। राजनीतिक पक्षपात और दलीय प्रतिबद्धता से प्रेरित नियुक्तियां ज्ञान और सृजनात्मकता के विकास और प्रसार पर अनुचित रूप से अंकुश लगाने का कार्य करेंगी। शैक्षणिक पदों को संरक्षित वितरण तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय के नियमों, विनियमों और लंबे समय से चली आ रही परंपराओं का अक्षरश: पालन किया जाना चाहिए। जिन मूल्यों का निर्माण 1920 में महात्मा गांधी के कुलाधिपति होने से आरंभ हुआ और सरदार पटेल तथा डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसे दिग्गजों द्वारा मजबूत किया गया, और इस पद की गरिमा को बकरार रखने के खातिर उन मूल्यों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए, उसे कमजोर नहीं किया जाना चाहिए।