दिवाली को लेकर चांदनी चौक में खरीदारी करने की मारा मारी के बीच जायकों के संसार में गोते लगाने का अनुभव भी अद्भुत है। खासकर उस संसार में जहां शाहजहांनाबादी मिठास, कोलकाता के रसीले रस्सगुल्ले और बनारसी चंद्रकला का अनूठा स्वाद चखने का मौका एक छत के नीचे मिल जाए। मुंह में घुल जाने वाले मोतीचूर के लड्डुओं की 12 वरायटी, बनारस के मकदल, चंद्रकला, सोहन पापड़ी जैसी पारंपरिक मिठाईयों की खुशबू भी फिजाओं में घुली हैं। दीपों के त्योहार दिवाली के मौके पर चांदनी चौक और दिल्ली के दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस में हर मौकों को खास बना देने वाले जायकों के संसार तिवारी ब्रदर्स के हर दिल अजीज मिठाईयों से रूबरू कराएंगे।

टाउन हॉल के पास ही कोलकाता के मशहूर मिठाई ब्रांड तिवारी स्वीट्स अब यहां जाना पहचाना नाम है। खासकर मोतीचूर और बड़ी बूंदी वाले लड्डुओं के लिए तो यहां दूर दूर से लोग आते हैं। पुरानी दिल्ली घूमने आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक मुंह में घुलने वाला लड्डू को देख कर अपने कदम रोक लेते हैं और इसका स्वाद लेते हैं। पिछले चार दशकों से मोतीचूर के लड्डुओं के शौकीनों की पसंदीदा जगह बन गई है। यहां करीब 12 तरह के लड्डुओं की वरायटी बनाई जा रही है। कुछ साल से यहां संतरे, अनानास, कीवी, दूध, मलाई, नारियल, पंजीरी, सूजी, गोंद बादाम के लड्डू भी बनाए जा रहे हैं। अब दीवाली के मौके पर लोगों की पसंद के हिसाब से लड्डुओं की पैकिंग की जा रही है। बनारस और कोलकाता से आए लोगों के लिए भी यहां बहुत कुछ अपना सा लगने वाला स्वाद भी है।

गणपति के पसंदीदा मोतीचूर लड्डू

दिवाली के मौके लक्ष्मी गणेश की पूजा के लिए खास तरह के मोतीचूर के लड्डू बनाए गए हैं। तिवारी ब्रदर्स के रविकांत तिवारी कहते है कि दिल्ली में मोटी बूंदी के लड्डुओं के बीच मोतीचूर के लड्डुओं की खूब मांग है। अब लोग मोती चूर के लड्डू को मुंह में घुलने वाली मिठाई के नाम से जानते है। उन्होंने बताया कि सन 1936 में स्वर्गीय बनवारी लाल तिवारी ने कोलकाता में एक छोटी सी मिठाई की दुकान से यह सफर शुरू किया था, जो शाहजहांनाबाद होते हुए दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस पर राज करने लगा है। यहां मोती चूर के लड्डू, जलेबी, राजभोग, रसगुल्ला, बालूशाही, गोल सोहनपापड़ी, सत्त लड्डू, बुंदी लड्डू, चंद्रकला, नारियल बर्फी, बेसन लड्डू, मिल्क केक और गुलाब जामुन पसंद किए जाते है।

दिल्ली ने जाना मोतीचूर का स्वाद

तिवारी ब्रदर्स के गौरांग बताते हैं कि मोतीचूर के लड्डुओं का स्वाद से सबसे पहले उन्हीं की कंपनी ने दिल्ली वालों को रूबरू करवाया। इसलिए भी मोतीचूर के लड्डू उनके दुकान की पहचान भी है। दिवाली को देखते हुए लड्डुओं की खास पैकिंग का भी इंतजाम किया है। लोगों के ऑर्डर और उनके हिसाब से लड्डुओं को तैयार किया जा रहा है। चूंकि लड्डू इस त्योहार के लिए शगुन के तौर पर भोग लगाया जाता है इसलिए इसमें अलग अलग स्वाद में तैयार किया गया है। सन 1987 में चांदनी चौक में मोती चूर के लड्डू बनाए गए। शायद इसलिए भी इस दुकान की अलग पहचान है।

विदेशी भी आर्डर दे मंगाते है लड्डू

चांदनी चौक में प्रतिदिन सैकड़ों की तादात में विदेशी पर्यटक घूमने आते है। शुद्ध देशी घी में बने मुंह में घुलने वाले लड्डू का स्वाद भी चखते हैं और पैक करा कर विदेश ले जाते हैं। अमेरिका, न्यूआर्क ब्रिटेन,आस्ट्रेलिया, डेनमार्क, कनाडा समेत कई अन्य देशों के पर्यटक ना केवल मिठाई पसंद करते है बल्कि आर्डर देकर मंगवाते भी है।

सोहन पापड़ी का शाही स्वाद

सोहन पापड़ी वैसे तो हर मौसम में खाई खिलाई जाने वाली पसंदीदा मिठाईयों में से एक है लेकिन दिवाली के मौके पर इसे खासतौर पर तैयार किया जाता है। सोहन पापड़ी का स्वाद यूं ही नहीं लोगों का मन की खास बन जाती है। इसे तैयार करने वालों को देख समझ आता है कि क्यों इसके स्वाद में इतनी मिठास है। गौरांग बताते हैं कि सोहन पापड़ी बनाने में एक साथ पांच छह लोग लगते हैं। चार लोग चाश्नी में डले बेसन को खींचते हैं और उसकी परतें तैयार करते हैं। शायद यही वजह है कि इसका हर टुकड़े में स्वाद है।


बनारसी मकदल और चंद्रकला का जवाब नहीं

बनारस की मकदल, चंद्रकला के दिवाने भी दिल्ली में कम नहीं है। चांदनी चौक स्थित तिवारी स्वीट्स के गौरांग तिवारी बताते हैं कि दिवालली के मौके पर खासकर बनारसी लोग मकदल जरूर बनवाते हैं। उनकी मांग को देखते हुए मूंग की दाल का मकदल बनवाया जाता है। इसके साथ चंद्रकला का अलग स्वाद भी दिल्ली के लोगों को बहुत भाता है। खासकर दिवाली के मौके पर चंद्रकला, काजू और बादाम की गुझियां बनवाई जाती है।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here