जीवनी, Amjad Ali khan Personal Life
ustad Amjad Ali khan biography महान सरोद वादक अमजद अली खान ने 6 वर्ष की बाल्यावस्था में अपना पहला मंचीय प्रदर्शन किया और उसके बाद फिर कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा। अमजद की संगीत की तालीम उनके पिता और गुरु ग्वालियर के महान संगीतकार हाफिज अली खां के सान्निध्य में हुई। अमजद का जन्म संगीत को समर्पित महान बंगेश घराने में हुआ।
वे अपने वंश के छठे चश्मोचिराग हैं। अपने पहले प्रदर्शन से ही अमजद ने दर्शा दिया था कि वे अपने नाम का इतिहास लिखने जा रहे हैं और वही हुआ भी। उन्होंने संसार को सरोद के नवीन से नवीनतम सुरों से परिचित कराया।
श्रोताओं से मिली प्रेरणा
अमजद अली खान (ustad Amjad Ali khan biography) कहते हैं कि नवीनतम सुरों से दर्शकों को परिचित कराने की प्रेरणा उन्हें अपने श्रोताओं से मिलती है। वे श्रोताओं को अपनी प्रेरणा की आत्मा मानते हैं। वे शास्त्रीय और लोकप्रिय संगीत में कोई अंतर नहीं मानते। वे संगीत को संगीत मानकर अपने श्रोताओं को उससे जोड़ते हैं।
अमजद अली खां को मिले पुरस्कार
अमजद अली (ustad Amjad Ali khan biography) ने देश-विदेश के अनेक संगीत महोत्सवों में अपनी कला का प्रदर्शन करके वाहवाही लूटी है। अनेक अवार्ड और सम्मान उनके नाम हैं। उन्हें ये अवार्ड मिले हैं:-
यूनेस्को अवार्ड,
पद्म विभूषण,
यूनीसेफ नेशनल एंबेसडरशिप द क्रिस्टल अवार्ड आदि।
इन विश्वविद्यालयों ने अमजद अली खान को प्रदान की ऑनरेरी डॉक्टरेट उपाधियां
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी (१९९०),
इंग्लैंड एवं दिल्ली यूनिवर्सिटी (१९९८),
रवींद्र भारती यूनिवर्सिटी (२००७),
कोलकाता एवं विश्व भारती (२००१)
अमजद अली खान की उपलब्धियां, Amjad Ali khan achievement
-उन्होंने वेनिस में पहली वर्ल्ड आर्ट्स समिट (१९९१) में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
-अमजद अली खान ने टेक्सस राज्य की सम्मानार्थ नागरिकता प्राप्त की (१९९७)।
-मैसाच्यूसेट्स की सम्मानार्थ नागरिकता उन्हें १९८४ में मिली।
-टेंनीसी की १९९७ में तथा अटलांटा, जॉर्जिया की २००२ में और ओकलाहोमा की २००७ में २० अप्रैल, १९८४ का दिन बोस्टन, मैसाच्यूसेट्स में सम्मानार्थ नागरिकता प्रदान की गई। ‘अमजद अली खान दिवस‘ घोषित किया गया था।
-सन् १९९५ में पेरिस में उनकी रचना ‘बापूकोंस‘ के लिए उन्हें ‘गांधी यूनेस्को पुरस्कार‘ प्रदान किया गया।
-सन् २००३ में फ्रांसीसी सरकार ने उन्हें ‘कमांडर ऑफ दि ऑर्डर ऑफ आर्ट्स एंड लेटर्स सम्मान‘ से नवाजा।
-सन् २००७ में जापान में उन्हें ‘फुकोओका कल्चरल ग्रांड प्राइज‘ से सम्मानित किया गया।
-अमजद अली खान यॉर्कशायर, वाशिंगटन, नॉर्थ ईस्टर्न और न्यू मेक्सिको यूनिवर्सिटीज के विजिटिंग प्रोफेसर रहे।
-१९९९ में अमजद ने बौद्ध नेता दलाई लामा के साथ ‘वर्ल्ड फेस्टिवल ऑफ सेक्रेड म्यूजिक‘ का विमोचन किया। -सन् १९९८ में अमजद ने ४८वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की सिग्नेचर ट्यून की रचना की।
-अमजद कारिनेजी हॉल, रॉयल अल्बर्ट हॉल, रॉयल फेस्टिवल हॉल, केनेडी सेंटर, सेंचुरी हॉल, हाउस ऑफ कॉमंस, थिएटर डेल विले, एस्प्लेंडे (सिंगापुर), मोजर्ट हॉल (फ्रैंकफुर्त ) शिकागो सिंफनी सेंटर, सेंट जेम्स पैलेस, ओपेरा हाउस (ऑस्ट्रेलिया) आदि के नियमित कलाकार हैं।
-उस्ताद अमजद अली खान ने सरोद वादन की अपनी शैली विकसित की और कई नए रागों की रचना की।
-उनपर दो पुस्तकें लिखी गई हैं। पहली पुस्तक १९९५ में छपी ‘वर्ल्ड ऑफ अमजद अली खान‘। दूसरी पुस्तक २००२ में छपी – ‘अब्बा-गॉड्स ग्रेटेस्ट गिफ्ट टू अस‘, जो उनके दो सुपुत्रों अमान और अयान ने लिखी है।
-उन पर बने एक वृत्तचित्र ‘स्ट्रिंग्स फॉर फ्रीडम‘ को ‘बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन‘ अवार्ड मिला और उसे ‘अंकारा फिल्म महोत्सव‘ (१९९६) में भी दिखाया गया।
-वर्ष २००७ में भारत की आजादी के ६० वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में अमजद को भारतीय संसद् के सेंट्रल हॉल में प्रदर्शन का अवसर मिला।
-सन् २००९ में अमजद ने सरोद की ताइपे चाइनीज ऑर्केस्ट्रा के साथ संगीत समागम की प्रस्तुति की।
-9/11 की नौवीं सालगिरह के मौके पर अमजद ने संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय न्यूयॉर्क में एक पीस कंसर्ट किया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून भी दर्शक व श्रोता के रूप में मौजूद थे।
-अमजद अली खान के दो बेटे हैं- अमान अली खान और अयान अली खान।
-दोनों बेटों ने पिता के नक्शे-कदम पर चलते हुए संगीत की दुनिया में अपनी जगह बना ली है।
-अमजद की पत्नी शुभालक्ष्मी खान भी भरतनाट्यम की एक महान् नृत्यांगना हैं। लेकिन बाद में अपने परिवार के लिए उन्होंने इसका त्याग कर दिया।
-अमजद की संगीत यात्रा जारी है। ये संगीत और प्रेम को जीवन की दो बेजोड़ ताकतें मानते हैं और इन दोनों को परिपूर्णता से जीते हैं।
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