वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) का जन्म 14 मई 1938 को तमिलनाडू के चेंगलपट्टू में हुआ था। पिता IAS अधिकारी थे। वहीदा का बचपन बड़े कष्ट में बीता। 8 साल की उम्र में इनकी तबियत खराब हाे गई। जिसकी वजह से ये काफी कमजोर हो गई। कई बार तो स्कूल में पढ़ते-पढ़ते सो जाती। कमजोरी की वजह से स्कूल छोड़ना पड़ा। वहीदा जी को डांस सीखने का बहुत शौक था। Waheeda Rehman biography in hindi

पिता ने वहीदा की इच्छा के मुताबिक डांस ट्रेनिंग की इजाजत दे दी। वहीदा की अन्य बहनें पढ़ने जातीं और वो घर पर डांस की ट्रेनिंग लेती। धीरे-धीरे तबियत में भी सुधार होने लगा। वहीदा शीशे के सामने खड़ी होेकर अलग अलग तरह की भाव भंगिमा बनाती। पिता ने एक बार देखा तो अपनी हंसी राेक नहीं पाए। पूछे-ये क्या कर रही हो।

वहीदा ने जवाब दिया कि उन्हें लोगाें को रुलाना-हंसाना अच्छा लगता है। इसी काम की वजह से एक दिन मेरा फोटो अखबार में छपेगी। खैर ये बात आयी और गयी। वहीदा की उम्र उस समय 13 साल की थी जब जिंदगी ने अचानक यू टर्न लिया। एक बार भारत के पहले वायसराय का उनके शहर आगमन हुआ। वहीदा के पिता को वायसराय के स्वागत सत्कार की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई।

पिता ने कल्चरल नाइट प्रोग्राम रखा। सोच रहे थे कि किसे आमंत्रित करें। उनके दिमाग में नृत्यांगना कमला लक्ष्मी का नाम घूम रहा था। हालांकि, वो उन्हें आमंत्रित करते इसके पहले वायसराय आफिस से आए एक फोन ने उनकी टेंशन बढ़ा दी। कहा गया कि वायसराय लोकल आर्टिस्ट की प्रस्तुुति देखना चाहते हैं। वहीदा जी के पिता ने अधिकारियों की मीटिंग बुलाई। इस पर चर्चा चल ही रही थी जब एक अधिकारी ने उन्हें वहीदा जी की प्रस्तुुति का सुझाव दिया। वो मान भी गए। वहीदा जी ने वायसराय चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (C. Rajagopalachari) के सामने प्रस्तुति दी। वायसराय ने उनकी प्रतिभा की जमकर सराहना की। उन्होंनेे कहा कि पहली बार किसी मुस्लिम को भरतनाट्यम करते देखा। पिता ने कहा कि बेटी ने साबित कर दिया कि कला का कोई धर्म नहीं होता। अगले दिन वहीदा की फोटो सभी अखबारों में छपी। उन्होंने अपने अब्बा को कहा कि मैं ना कहती थी कि एक दिन मेरी फाेटो अखबारों में छपेगी।

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