हाइलाइट्स

  • 21 नवंबर की मध्यरात्रि ही कर दी थी घोषणा
  • प्रमुख अखबारों के दफ्तर में भेजी थी सूचना
  • नेहरू को जब पता चला तो हैरानी के साथ कहा-क्या यह हो गया

1962 में चीनी सेनाएं एक-एक कर भारतीय जमीन पर कब्जा करती जा रही थी। कोई नहीं जानता था कि चीनी सेनाएं कब और कहां रुकेंगी। उन्हें शायद ही किसी विरोध का सामना करना पड़ रहा था। पीछे हटती भारतीय सेनाएं असम में डेरा डालने की तैयारी कर रही थीं। तब नेहरू ने कहा था, “मेरा दिल असम के लोगों के साथ है।” असमवासियों ने इन शब्दों को ‘अलविदा’ के रूप में देखा था मानो भारत ने उन्हें उनके भाग्य पर छोड़ दिया हो। उन्होंने नेहरू को इन शब्दों के लिए कभी माफ नहीं किया।

वह 20 नवम्बर, 1962 की सुबह थी। नेहरू के कहने पर लाल बहादुर शास्त्री हालात का जायजा लेने के लिए तेजपुर जाने की तैयारी कर रहे थे। कुलदीप नैयर भी उनके साथ जाने वाले थे। नैयर अपनी किताब एक जिंदगी काफी नहीं में लिखते हैं कि वो शास्त्री जी से पहले पालम एयरपोर्ट पर पहुंच गए। अखबार के स्टाल पर भारी भीड़ देखकर उन्हेें बड़ी हैरानी हुई। धक्का-मुक्की के बीच ‘स्टेट्समैन’ की एक कापी खरीदने में सफल रहे। देखा कि उसके मुखपृष्ठ पर चीन द्वारा इकतरफा युद्ध-विराम की घोषणा की खबर छपी हुई थी।

चीन ने एक वक्तव्य जारी करके कहा था-“21 नवम्बर की मध्यरात्रि से चीनी फ्रंटियर गार्ड उस नियंत्रण रेखा से 20 कि.मी. (121/2 मील) पीछे लौट जाएँगे जो 7 नवम्बर 1959 से चीन और भारत के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा रही है।” चीनियों ने इस घोषणा के लिए बड़ा उपयुक्त समय चुना था। दिल्ली के अखबारों के दफ्तरों में अकसर यह बात कही जाती थी कि चीनियों को सभी बड़े भारतीय अखबारों की ‘डेडलाइन की जानकारी थी। ये इस ‘इकतरफा युद्ध विराम’ की तरह अपने सभी महत्त्वपूर्ण वक्तव्य भारतीय अखबारों की डेडलाइन से एक घंटा पहले जारी किया करते थे। इसके पीछे चीनियों का यह उद्देश्य रहता था कि ये वक्तव्य सभी बड़े भारतीय अखबारों के सुबह के संस्करणों में छप सकें, लेकिन भारत सरकार को इतना समय न मिले कि वह अखबारों की डेडलाइन से पहले अपनी प्रतिक्रिया भी जारी कर सके।

भारत के सरकारी विभाग अखवारों की डेडलाइन के महत्त्व से पूरी तरह बेखबर प्रतीत होते थे। कुलदीप लिखते हैं कि ‘स्टेट्समैन’ से जुड़े उनके एक मित्र ने बताया था कि तड़के सुबह चार बजे विदेश मंत्रालय से फोन आया था कि वे चीनी बढ़त के दावों के खिलाफ वक्तव्य जारी करना चाहते थे। वे अधिकारी यह सुनकर दंग रह गए कि चीनी पहले से इकतरफा युद्ध-विराम की घोषणा कर चुके थे।

गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव एल.पी. सिंह गुप्तचर विभाग के संयुक्त निर्देशक एम. हूजा के साथ एयरपोर्ट पर पहुंचे तो मैंने उन्हें यह अखवार दिखाया। हैरानी की थी कि उन दोनों में से किसी को भी यह जानकारी नहीं थी। दूजा ने खबर की पुष्टि लिए आई. बी. को फोन किया। कुछ देर बाद गृहमंत्री एयरपोर्ट पर पहुंचे तो उन्हें भी कोई जानकारी नहीं थी। शास्त्री ने अखवार में छपी खबर पढ़ने के बाद कहा, “इससे बहुत फर्क पड़ गया है। शायद मुझे यह दौरा रद्द करना पड़े। मुझे पंडितजी से पूछना होगा कारों का एक काफिला प्रधानमंत्री के घर की तरफ चल पड़ा। नेहरू अभी-अभी सोकर उठे थे और वे चीनियों के प्रस्ताव से पूरी तरह अनजान थे। यह हमारी इंटेलीजेंस एजेंसियों और हमारी सरकार के कामकाज के तरीके का एक और नमूना था।

हालांकि युद्ध विराम वाला वक्तव्य आधी रात से पहले ही अखवारों के दफ्तरों में पहुच चुका था, फिर भी हमारी सरकार को सुबह तक भी इसकी कोई जानकारी नहीं थी। और तो और, जब आधिकारिक प्रवक्ता अखबारवालों ने जगाया तो उसे भी कोई जानकारी नहीं थी। एक युद्ध लड़ने का यह कैसा तरीका था। मैं बहुत देर तक मन-ही-मन सोचता रहा था। खबर सुनते ही नेहरू ने हिन्दी में कहा था, “क्या यह हो गया? मुझे उम्मीद थी कि ऐसा ही होगा।” फिर भी उन्होंने अखवार देखना चाहा। शास्त्री ने उनसे पूछा कि क्या वे असम दौरे को रद्द कर दें। “नहीं.” नेहरू ने जवाब दिया, “हम अपने प्लान नहीं छोड़ सकते। लेकिन आप जल्दी ही लौट आइएगा।”

शास्त्री चाहते थे कि हम चीन के प्रस्ताव को ठुकरा दें। उन्होंने मुझसे कहा था कि अगर हम झुकेंगे नहीं तो हम एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभरेंगे। उनका मानना था कि हमें विपरीत स्थितियों के बावजूद लड़ाई को जारी रखना चाहिए। हम गुवाहाटी पहुँचे तो असम के मुख्यमंत्री विमला प्रसाद चेलिया एयरपोर्ट पर मौजूद थे। राज्यपाल भगवान सहाय का कहना था कि उन्होंने बहुत दिनों बाद चेलिया के चेहरे पर ऐसी खुशी देखी थी। यह युद्ध विराम की खबर का असर था। गुवाहाटी में इन्दिरा गांधी भी मौजूद थीं। उन्हें प्रस्ताव का आखिरी पैरा आपत्तिजनक प्रतीत हो रहा था। उनका कहना था कि चीनी नियंत्रण बरकरार रहने से उन्हें वहाँ के लोगों की मानसिकता को प्रभावित करने का मौका मिलेगा।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here